जम्मू-कश्मीर डिग्री कालेजों में स्थायी अध्यापकों की कमी, अकादमिक प्रबंधन के तहत नियुक्त टीचिंग स्टाफ की भूमिका अहम
जम्मू-कश्मीर के डिग्री कॉलेजों में शिक्षा प्रदान करने में अकादमिक प्रबंधन के तहत नियुक्त टीचिंग स्टाफ की भूमिका महत्वपूर्ण है। 143 डिग्री कॉलेजों में पंद्रह सौ से अधिक टीचिंग स्टाफ नियुक्त हैं। पिछले कुछ सालों में खोले गए कॉलेजों में कांट्रेक्ट पर स्टाफ अधिक है। स्थायी अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की जाती है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जम्मू कश्मीर के डिग्री कालेजों में विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध करवाने में अकादमिक प्रबंधन के तहत नियुक्त किए गए टीचिंग स्टाफ की भूमिका अहम है।
हर साल नियुक्त किए जाने वाले टीचिंग स्टाफ के सहारे डिग्री कालेज चल रहे हैं विशेषकर वो कालेज जो सात आठ साल पहले खोले गए थे। जम्मू कश्मीर के डिग्री कालेजों में अकादमिक प्रबंधन पर पंद्रह सौ से अधिक टीचिंग स्टाफ नियुक्त किए गए जिसमें लेक्चर व टीचिंग असिस्टेंट शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर के 143 डिग्री कालेजों में पढ़ाई शुरु होते ही अकादमिक प्रबंधन पर नियुक्त लेक्चर व टीचिंग असिस्टेंट ने कमान संभाल ली है। हालांकि स्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर सहित टीचिंग स्टाफ है लेकिन पंद्रह सौ लेकर दो हजार के करीब टीचिंग स्टाफ की जरूरत हर साल होती है।
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पिछले पांच से दस साल के बीच खोले गए कालेजों में तो कांट्रेक्ट पर स्टाफ अधिक है। साल 2018 के दौरान खोले गए डिग्री कालेजों में अकादमिक प्रबंधन पर स्टाफ की जरूरत अधिक है।
जरूरत के मुकाबले में स्थायी स्टाफ कम है इसलिए हर कालेज से विद्यार्थियों की संख्या, कोर्स को मद्देनजर रखकर ही अकादमिक प्रबंधन पर स्टाफ की नियुक्ति होती है। करीब करीब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है।
अगर सत्र शुरु होने के बाद कालेजों को स्टाफ की जरूरत महसूस होती है तो उच्च शिक्षा विभाग के पास आग्रह भेजा जाता है जो गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति करता है।
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जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन की तरफ से समय समय पर उच्च शिक्षा विभाग से पद रेफर करने के बाद पदों को भरा जाने की प्रक्रिया चलती है लेकिन शिक्षा के ढांचे की जरूरत के अनुसार स्थायी अध्यापकों की कमी पिछले कई सालों से चली आ रही है।
वहीं जम्मू विवि, कश्मीर विवि, क्लस्टर विवि जम्मू व श्रीनगर में भी अकादमिक प्रबंधन पर भी टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। विश्वविद्यालयों में स्थायी पदों की संख्या कम होने पर जरूरत के अनुसार हर साल अकादमिक प्रबंधन पर नियुक्तियां की जाती है।
इस साल की प्रक्रिया चल रही है। इन चार विश्वविद्यालयों में करीब एक हजार से अधिक नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।
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