Himachal High Court के आदेश के बाद रसूखदारों के भी हटेंगे कब्जे, 2002 के बाद कितनों ने कब्जाई सरकारी भूमि नहीं आंकड़ा
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकारी भूमि पर किए गए सभी अवैध कब्जों को हटाने का आदेश दिया है जिसमें नेताओं अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के कब्जे भी शामिल हैं। वर्ष 2002 के बाद के कब्जों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है और 2017 से कब्जों को नियमित करने के प्रयास विफल रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से सरकारी जमीन से सभी प्रकार के अवैध कब्जों को हटाने के आदेश के बाद अब नेताओं, अधिकारियों और रसूखदारों के किए गए अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलेगा। 2002 के बाद कितने लोगों ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे किए हैं, इस संबंध में डाटा ही उपलब्ध नहीं है। 2002 में अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा नीति बनाई गई, जिसे न्यायालय ने रद कर दिया है।
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए 2017 में ड्राफ्ट तैयार किया गया और उसके बाद से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए प्रयास चल रहे थे। ऐसे में अब सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए कोई प्रविधान नहीं रहा है।
छोटे किसानों पर कार्रवाई पर उठते थे सवाल, अब सब नपेंगे
सरकारी जमीन पर लगाए गए बागीचों को कटने के आदेश के दौरान कई बार सवाल उठे कि छोटे किसानों के अवैध कब्जे हटाए गए। बड़े किसानों के न्यायालय से स्टे लेने के कारण उनके अवैध कब्जे नहीं हटाए गए। अब न्यायालय के आदेश के बाद सभी के कब्जे हटेंगे। ऐसे में न्यायालय के आदेश की पालना के लिए ऐसे अवैध कब्जों का पूरा डाटा भी जुटाना होगा, जिससे न्यायालय को अवगत करवाया जा सके।
भाजपा सरकार में राजस्व मंत्री राजन सुशांत के समय मांगे थे आवेदन
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने नीति बनाई और आवेदन मांगे। उस समय राजस्व मंत्री राजन सुशांत थे। जिन्होंने नियमितीकरण को आवेदन किए उनके बागीचे कट रहे थे।
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