हिमाचल सरकार आर्थिक संकट के बीच फिर लेगी 1000 करोड़ रुपये का लोन, आगामी 3 महीने क्यों हैं चुनौतीपूर्ण?
आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार 1000 करोड़ रुपये का नया ऋण लेगी। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा और जल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी ढांचा ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार फिर 1000 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है। वित्त विभाग की ओर से शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। आरबीआइ ई-कुबेर प्लेटफार्म पर 30 दिसंबर को नीलामी रखी है। 31 दिसंबर को सरकारी कोष में यह राशि आ जाएगी।
ये प्रतिभूतियां भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआइ) के माध्यम से उपज आधारित नीलामी में बेची जाएंगी। 15 वर्ष की अवधि के लिए यह ऋण लिया जा रहा है। ऋण की राशि को जल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा।
इस वर्ष कितना लोन लिया
हिमाचल प्रदेश का कुल ऋण एक लाख करोड़ से अधिक तक पहुंच चुका है। मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में दिसंबर तक केंद्र सरकार ने हिमाचल को कुल 7200 करोड़ रुपये तक ऋण लेने की स्वीकृति दी थी, जिसे राज्य सरकार अप्रैल से अब तक उपयोग कर चुकी है। राज्य ने केंद्र सरकार के समक्ष अतिरिक्त ऋण लेने का मामला उठाया था।
केंद्र ने इसकी मंजूरी दे दी है, जिसके बाद सरकार अब एक हजार करोड़ का ऋण लेने जा रही है। हर साल 30 जून व 31 दिसंबर को दो बार इसका ब्याज दिया जाएगा।
तीन महीने चुनौतीपूर्ण
वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही प्रदेश सरकार के लिए वित्तीय दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। वित्त विभाग ने अप्रैल माह से ही नियमित रूप से ऋण उठाना शुरू कर दिया था, ताकि कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, विकास कार्यों और सामाजिक कल्याण योजनाओं के खर्च पूरे किए जा सकें। अब निर्धारित सीमा समाप्त होने के कारण सरकार को सीमित राशि के लिए अलग से अनुमति लेनी पड़ रही है।
सीएम लगातार उठा रहे थे मामला
मुख्यमंत्री इस मामले को कई बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने ऋण सीमा बढ़ाने और दो प्रतिशत अतिरिक्त ऋण सुविधा को बहाल करने का आग्रह करते हुए केंद्र सरकार को पत्र भी लिखे गए थे, जिसके बाद यह मंजूरी मिली है।
हर माह निपटानी होती हैं 2800 करोड़ की देनदारियां
मौजूदा समय में सरकार को प्रतिमाह लगभग 2800 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध देनदारियां निपटानी होती हैं। इसमें वेतन के लिए 2000 करोड़, पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है।
मुख्यमंत्री का निर्देश, सीमित संसाधनों के बावजूद वेतन-पेंशन भुगतान में न हो देरी
हिमाचल की आर्थिक स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने निर्देश दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद वेतन और पेंशन भुगतान में किसी तरह की देरी न हो। साथ ही कर एवं गैर कर राजस्व बढ़ाने, केंद्र से लंबित राशि की वसूली और खर्चों की प्राथमिकता तय करने के निर्देश दिए गए। शिमला स्थित राज्य सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में राज्य सरकार पर वेतन, पेंशन और ऋण भुगतान का सर्वाधिक वित्तीय दबाव रहता है। प्रदेश के कुल राजस्व व्यय का बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च होता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।