हिमाचल में नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म, अब 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने पर अगली कक्षा में नहीं जा सकेंगे विद्यार्थी
Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाल शिक्षा के अधिकार नियमों में संशोधन करते हुए नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों को परीक्षा में पास होने के लिए न्यूनतम अंक प्राप्त करने होंगे अन्यथा उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh News, बच्चों को निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमों में संशोधन किया गया है। नए नियम में अब ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थी परीक्षा में फेल होने पर अगली कक्षा में सीधे नहीं जाएंगे। न ही विभाग पर उन्हें अगली कक्षा में सीधे भेजने की बाध्यता होगी।
परीक्षा पास करने के लिए न्यूनतम अंक प्राप्त करना अनिवार्य कर दिए हैं। राज्य सरकार ने सोमवार को इस संबंध में इसे राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है। संशोधित नियम के तहत अब 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में असफल हो जाने वाले विद्यार्थियों को दोबारा परीक्षा देनी होगी।
यदि वे दोबारा भी सफल नहीं होते हैं तो उनको अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। केंद्र ने यह संशोधन किया था और राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे भी इसमें अपने स्तर पर बदलाव कर सकते हैं।
762 विद्यार्थी किए गए इस बार फेल
राज्य सरकार ने पिछले साल यह निर्णय लिया था। इसी निर्णय के आधार पर ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले स्कूलों में इस नियम को मौजूदा सत्र से ही लागू कर दिया था, लेकिन इसे राजपत्र में प्रकाशित नहीं किया गया था, जबकि इस साल डिटेंशन पॉलिसी लागू होते ही 762 विद्यार्थी फेल किए गए थे। ग्रीष्मकालीन स्कूलों में पांचवीं के 183 और आठवीं कक्षा के 579 विद्यार्थी दूसरी बार हुई परीक्षा में भी पास नहीं हुए।
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शीतकालीन स्कूलों में दिसंबर में लागू होगी व्यवस्था
शीतकालीन स्कूलों में दिसंबर 2025 में होने वाली दोनों कक्षाओं की परीक्षाओं में नई व्यवस्था लागू होगी। देश में नो डिटेंशन पॉलिसी का फैसला लागू होने के बाद से हिमाचल इसका विरोध कर रहा है। अब कांग्रेस सरकार ने शिक्षा गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण ही दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम बेहतर नहीं हो पा रहा था। नई व्यवस्था में एक-दो साल के भीतर शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा।
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