हिमाचल में तीन महीने पहले सरकारी नौकरी में आए अनुबंध कर्मी जॉब ट्रेनी कहलाएंगे, 2500 SMC शिक्षकों का भविष्य क्या होगा
Himachal Job Trainee Policy हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से लाई गई जॉब ट्रेनी पालिसी युवाओं के साथ कर्मचारियों के लिए भी मुसीबत बन चुकी है। हर वर्ग इस नीति का विरोध कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन माह के दौरान ज्वाइन करने वाले कर्मचारी जॉब ट्रेनी कहलाएंगे।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Job Trainee Policy, सरकारी नौकरी में ट्रेनी जाॅब की नई पद्धति ने अनुबंध पर सेवाएं दे रहे कर्मचारियों की चिंता बढ़ाकर रख दी है। दो-तीन माह पहले अनुबंध पर चयनित होकर सरकारी नौकरी कर रहे कर्मी भी ट्रेनी जाॅब का हिस्सा होंगे। एक परीक्षा देकर सरकारी नौकरी कर रहे अनुबंध कर्मियों को भी दो साल के बाद नियमित होने के लिए दूसरी बार परीक्षा में बैठना पड़ेगा।
शिक्षा विभाग में अप्रैल माह के दौरान प्रवक्ता स्कूल न्यू के पदों के तहत अनुबंध पर भर्ती हुई थी। इसी तरह से अप्रैल के बाद सरकार के विभागों व सार्वजनिक उपक्रमों में परीक्षा पास करके नौकरी पर लगे युवाओं को दो साल के बाद परीक्षा का सामना करना पड़ेगा।
यदि परीक्षा में उतीर्ण नहीं हुए तो ट्रेनी ही रहना पड़ेगा। इस स्थिति में पदोन्नति और भविष्य में वेतनमान भी प्रभावित होगा। नई भर्ती प्रणाली को लेकर शिक्षक संघ मुखर होकर सामने आ गए हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कर्मचारी संगठन अभी तक इस संबंध में निर्णय नहीं ले पाए हैं। यदि शिक्षा विभाग की बात की जाए तो स्कूलों में एसएमसी के तहत सेवाएं दे रहे 2500 शिक्षकों को दो साल बाद ट्रेनी जाॅब के लिए परीक्षा से गुजरना पड़ेगा।
बेरोजगार युवाओं व कर्मियों में रोष : पुंडरीर
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रांत महामंत्री डा. मामराज पुंडीर ने हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से अनुबंध नीति को समाप्त कर ट्रेनी जाॅब लागू करने के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं और कर्मचारियों में गहरा असंतोष व्याप्त है। इस नई नीति के तहत दो साल की ट्रेनी अवधि पूरी करने के बाद अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए पुनः परीक्षा देनी होगी।
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हित की बात कर सत्ता में आई सरकार अब दबाने का काम कर रही
इस प्रविधान को लेकर युवाओं और विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे बेरोजगारों के साथ घोर अन्याय करार दिया है। उन्होंने हैरान होते हुए सरकार के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हितों की बात करके सत्ता में आई थी, अब सरकार कर्मचारियों को दबाने का काम कर रही है।
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