Himachal: धूमल सरकार लाई थी पहली बार कब्जे नियमित करने की नीति, तीन मुख्यमंत्री के कार्यकाल में आई अलग-अलग पॉलिसी
Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अवैध कब्जों को नियमित करने की नीति को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 2026 तक कब्जे हटाने का आदेश दिया है। धूमल सरकार ने 2002 में पहली बार यह नीति पेश की थी जिसके तहत 1.67 लाख आवेदन आए थे। वीरभद्र सरकार ने 2017 में पांच बीघा तक के कब्जों को नियमित करने का प्रयास किया।

रोहित नागपाल, शिमला। Himachal Pradesh News, हिमाचल प्रदेश में अवैध कब्जों को नियमित करने की नीति को मंगलवार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि अब सभी अवैध अतिक्रमणों को हटाया जाएगा। हाई कोर्ट ने फरवरी 2026 तक कब्जे हटाने का आदेश दिया है। प्रदेश में अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए अब तक तीन प्रमुख नीतियां लागू की गई थीं।
2002 में आई थी पहली नीति, आ गए थे 1.67 लाख आवेदन
पहली नीति 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में आई थी। इस नीति के तहत सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों से आवेदन मांगे गए थे। उस समय 1,67,339 आवेदन शपथ पत्रों के साथ दायर किए गए थे, लेकिन आज तक इन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
2017 में आई थी नई नीति
इसके बाद, 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समय एक नई नीति लाई गई, जिसमें सरकारी भूमि पर पांच बीघा तक के बगीचों को नियमित करने का प्रस्ताव था। इसका उद्देश्य हिमाचल के छोटे बागबानों को राहत प्रदान करना था, लेकिन यह नीति भी लागू नहीं हो सकी। हाई कोर्ट के हालिया आदेश के बाद अब इस नीति का भी कोई महत्व नहीं रह गया है।
जयराम सरकार ने भी किया था कब्जे नियमित करने का प्रविधान
जयराम सरकार के कार्यकाल में शिमला के कृष्णानगर में अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए नीति बनाई गई थी। इस नीति के तहत उन लोगों के कब्जों को नियमित करने का प्रविधान था, जिन्होंने 1974 से पहले अवैध ढारों का निर्माण किया था। इसके लिए दस्तावेजों के साथ आवेदन करना आवश्यक था। हालांकि, कृष्णानगर के निवासियों को इस नीति के तहत आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज प्राप्त नहीं हो सके, जिससे किसी को भी लाभ नहीं मिल पाया।
कब्जों के नियमितीकरण की कोशिश फिर विफल
अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस नीति का भी कोई लाभ नहीं होगा। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 2002 के बाद अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए कितने आवेदन आए, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश में अवैध कब्जों के नियमितीकरण की कोशिश फिर विफल साबित हुई हैं।
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