Mandi Thunag Cloudburst: 2009 से त्रासदी सह रहा थुनाग, चौथी तबाही ने ढहाया कहर, तस्वीरें बयां कर रही पीड़ा
Mandi Thunag Cloudburst मंडी के थुनाग में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। 2009 के बाद यह चौथी बार है जब थुनाग में ऐसी प्राकृतिक आपदा आई है। बाढ़ और भूस्खलन से 150 से अधिक दुकानदारों का भारी नुकसान हुआ है उनकी दुकानें मलबे में दब गई हैं। सड़कें टूटी हैं बिजली और संचार व्यवस्था ठप है जिससे राहत कार्य में बाधा आ रही है।

जागरण संवाददाता, थुनाग। Mandi Thunag Cloudburst, जिला मंडी सराज घाटी का यह शांत और मेहनतकश इलाका अब एक बार फिर आंसुओं और मलबे के साए में है। वर्ष 2009 से लेकर अब तक, यह चौथी बार है, जब थुनाग प्राकृतिक आपदा की चपेट में आया है। लेकिन इस बार की तबाही ने अर्श से फर्श पर ला दिया। इतनी बड़ी तबाही कि गांव का गांव, बाजार का बाजार खामोश हो गया है।
सराज की तबाही का मंजर pic.twitter.com/RpDBQlS2vN
— manav kshyap (@manavkashyap) July 7, 2025
150 से अधिक दुकानदार गुमसुम
बाढ़ और भूस्खलन ने सिर्फ धरती नहीं खिसकाई, बल्कि लोगों की ज़िंदगियां भी उजाड़ दीं। जिन दुकानों में कभी ग्राहकों की भीड़ होती थी, आज वहां सिर्फ कीचड़, टूटे ताले और बिखरा मलबा है। 150 से अधिक दुकानदार अब गुमसुम बैठकर सिर्फ यह गिन रहे हैं कि उन्होंने क्या-क्या खो दिया, सामान, दस्तावेज़, मेहनत और उम्मीदें।
2009 से इस बार स्थिति बेहद बद्तर
लोगों को याद है कि 2009 में जब पहली बार बादल फटा था, तो नुकसान जरूर हुआ था, लेकिन लोग जल्दी संभल गए। फिर 2022, और 2023 में भी दोबारा प्रकृति ने हमला किया, मगर थुनाग ने हर बार हौसले से वापसी की। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। सड़कें कटी हुई हैं, संचार व्यवस्था ठप है, बिजली गुल है और राहत कार्य पहुंचने में भी देरी हो रही है।
'पहले जब तबाही आती थी तो अगले दो-तीन महीने में दुकानें फिर से सजने लगती थीं। अब लगता है सालों लगेंगे। हमारा सब कुछ बह गया।'
-ठाकुर दास, स्थानीय दुकानदार।
छोटे कारोबारी परेशान, नहीं करवाया था बीमा
सरकारी सहायता की घोषणाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस राहत नहीं मिली है। छोटे व्यापारियों का कहना है कि उनके पास बीमा नहीं था और बैंक की किस्तें अब सिर चढ़कर बोल रही हैं। कई दुकानों में लाखों का माल जमा था, जो अब मलबे में समा चुका है।
बुजुर्ग बोले, कई त्रासदी देखीं पर ऐसा कहर नहीं देखा
थुनाग के लोग अब एक अजीब से खालीपन में जी रहे हैं। कहीं से राहत का सामान आ भी जाए, तो मन में जो आघात है, उसे कोई नहीं भर सकता। गांव के बुजुर्ग कहते हैं, हमने कई हिमपात और तूफान देखे, पर ऐसा कहर नहीं देखा। अब थुनाग को न केवल पुनर्निर्माण की ज़रूरत है, बल्कि संवेदनशीलता, दीर्घकालिक योजना और ऐसी व्यवस्था की भी, जो अगली आपदा से पहले दीवार बन सके, वरना अगली बारिश कब फिर से सब कुछ बहा ले जाए, कोई नहीं जानता।
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