Mandi Cloudburst: आंखों के सामने बह गई पांच गाड़ियां और टूट गए बुधराम, कुछ देर रोये... फिर छूट गई सांसें
Mandi Cloudburst थुनाग में बाढ़ ने बुधराम नामक एक ट्रांसपोर्टर की जिंदगी उजाड़ दी। उनकी पांच गाड़ियां बाढ़ में बह गईं जो उनकी रोजी-रोटी का साधन थीं। यह दृश्य देखकर वे सदमे में आ गए और कुछ देर रोने के बाद उन्होंने अपनी छाती पकड़ी और गिर पड़े। ग्रामीणों ने उन्हें उठाया लेकिन उनकी मृत्यु हो गई। बुधराम की मौत आपदा की असहाय पीड़ा का प्रतीक है।

हंसराज सैनी, थुनाग। Mandi Cloudburst, प्रकृति का कहर जब टूटता है, तो वह न केवल घर-मकान और सड़कें लीलता है, बल्कि जिंदगियों की सांसें भी छीन लेता है। सराज घाटी की इस भयावह बाढ़ ने ऐसा ही एक दर्दनाक मंजर बिखेरा, जब थुनाग क्षेत्र के बुधराम की जिंदगी उनकी आंखों के सामने उजड़ गई और उनका दिल इस त्रासदी को सह नहीं पाया।
बुधराम नामी ट्रांसपोर्टर थे। वर्षों की मेहनत और संघर्ष से उन्होंने पांच गाड़ियां खरीदी थीं, इसमें तीन टैक्सी थीं, यही उनकी रोजी-रोटी थी, यही उनके बच्चों का भविष्य भी था। लेकिन 30 जून की रात आई बाढ़ उनके लिए काल बन गई।
जब उन्होंने घर के सामने का नज़ारा देखा, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। तेज बहाव वाला उफनता नाला सब कुछ अपने साथ बहा ले गया था। उनकी पांचों गाड़ियां अब मलबे और पानी में गुम हो चुकी थीं। उन्होंने चीखकर आस-पास के लोगों को बुलाया, खुद भी नाले के किनारे दौड़े, लेकिन कुछ नहीं बचा था। सब कुछ लुट चुका था।
सीने पर हाथ रखा और लड़खड़ाकर गिर गए
बताते हैं कि बुधराम कुछ देर तक मलबे में कुछ ढूंढने की कोशिश करते रहे, कभी रोते, कभी चुपचाप उस बहते पानी को देखते। फिर अचानक उन्होंने सीने पर हाथ रखा, लड़खड़ाए और वहीं गिर पड़े। ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें उठाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
यह मौत एक आंकड़ा नहीं, आपदा की असहाय पीड़ा
बुधराम की मौत एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस असहाय पीड़ा की तस्वीर है, जो आपदा के समय आम आदमी झेलता है। घर का अकेला कमाने वाला अब इस दुनिया में नहीं रहा। उनकी पत्नी, बेटे और एक बेटी रो-रोकर बेसुध हैं। सारे गांव की आंखें नम हैं। सराज ने न केवल अपनी गाड़ियां, बल्कि एक जिंदा दिल इंसान भी खो दिया।
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