कुल्लू में शोरूम में कार्यरत महिला से बुजुर्ग ने की अश्लील हरकतें, महिला आयोग ने भी लिया संज्ञान
Kullu Misbehave with Woman कुल्लू में एक शोरूम में महिला कर्मचारी के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। महिला ने एक बुजुर्ग पर अश्लील हरकतें करने का ...और पढ़ें
संवाद सहयोगी, कुल्लू। Kullu Misbehave with Woman, हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में एक शोरूम में कार्यरत महिला से बुजुर्ग ने छेड़छाड़ की। भुंतर में फर्नीचर के एक शोरूम में कार्यरत महिला ने अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया है। सोमवार को मामला राज्य महिला आयोग के पास पहुंच गया।
महिला आयोग की अध्यक्षता विद्या नेगी ने इस संबंध में पुलिस अधीक्षक कुल्लू डा. कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन से बात की है। मामले की गंभीरता से पड़ताल करने और पीड़ित को सहायता उपलब्ध करवाने को कहा। एसपी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि मामले कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मामला 20 सितंबर का है। भुंतर पुलिस को सौंपी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया कि फर्नीचर शोरूम में एक बुजुर्ग ने उनके साथ अश्लील हरकतें की हैं, इससे वह इतना क्षुब्ध हो गई थीं कि आत्महत्या करने का विचार आ रहा था। महिला ने न्याय की मांग की है।
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युवती के अपहरण व दुष्कर्म के आरोपित की जमानत याचिका खारिज
वहीं, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुंदरनगर के न्यायालय ने युवती के अपहरण व दुष्कर्म के आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी है। याचिका में आरोपित का कहना था कि उसे फर्जी ढंग से इस मामले में फंसाया गया है, उसके विरुद्ध कोई वस्तु या सुबूत नहीं हैं। स्वजन उसके आश्रित हैं। आरोपित ने न्यायालय से निवेदन किया था कि उसे जमानत पर रिहा किया जाए व वह जांच में पूरी तरह सहयोग करेगा।
लोक अभियोजन ने तर्क दिया कि मामले में गंभीर अपराध हुआ है। आरोपित ने युवती को जबरन अपने वाहन में बैठाया। उसे गांव ले जाकर पीटा व दुष्कर्म किया। इसके अलावा, पीड़िता का मोबाइल भी तोड़ा गया। मेडिकल जांच व फोरेंसिक रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि हुई है।
न्यायालय ने कहा, दुष्कर्म गंभीर अपराध, समाज की नींव को भी करता है प्रभावित
न्यायालय ने जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि दुष्कर्म एक गंभीर अपराध है जो न केवल पीड़िता बल्कि समाज की नींव को भी प्रभावित करता है। आरोपित के रिहा होने से मामले की जांच और न्याय की प्रक्रिया प्रभावित होने का गंभीर खतरा है, क्योंकि वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि जमानत देने का निर्णय केवल आरोपों के प्रारंभिक प्रमाण पर आधारित नहीं हो सकता, और इस मामले में गंभीरता एवं सबूतों को देखते हुए याचिका खारिज करना उचित है। अंततः याचिका खारिज कर दी।

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