Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Panchayat: पंचायत खुद के पारित फैसले को नहीं बदल सकती, जानिए पंचायत प्रधान की शक्‍ितयां व जिम्‍मेवारी

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 27 Dec 2020 08:18 AM (IST)

    Panchayat Chunav ग्राम पंचायतों में मामले की सुनवाई अदालत के समान होती है। गवाहों के बयानों को न्यायपीठ द्वारा नियम 51 के अनुसार लेखबद्ध किए जाने का प्रावधान है। सर्वप्रथम अभियोगी पक्ष के गवाहों के बयान तथा बाद में अभियुक्त पक्ष के गवाहों के बयान लिए जाएंगे।

    Hero Image
    ग्राम पंचायतों में मामले की सुनवाई अदालत के समान होती है।

    जसवां परागपुर, साहिल ठाकुर। ग्राम पंचायतों में मामले की सुनवाई अदालत के समान होती है। गवाहों के बयानों को न्यायपीठ द्वारा नियम 51 के अनुसार लेखबद्ध किए जाने का प्रावधान है। सर्वप्रथम अभियोगी पक्ष के गवाहों के बयान तथा बाद में अभियुक्त पक्ष के गवाहों के बयान लिए जाएंगे। अभियुक्त को छोड़कर किसी व्यक्ति का परीक्षण करने से पूर्व शपथ दिलवाई जाती है। प्रत्येक पक्ष दूसरे पक्ष से जिरह कर सकते हैं। इस कार्यवाही के बाद धर्मासन दोनों पक्ष को बाहर भेजेगा और विचार-विमर्श करके सर्वसम्मति से निर्णय देगा। यदि मतभेद हो जाए तो निर्णय बहुमत से होगा। निर्णय मिसल पर लेख करके धर्मासन उस पर हस्ताक्षर करेगा और दोनों पक्षों को भीतर बुलाकर निर्णय सुनाया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धर्मासन प्रत्येक संभव तरीके से सच्चाई जानने की कोशिश करता है। सच्चाई जानने के लिए कुछ भी तय नहीं किया जा सकता है, यानी कोई ऐसा बना बनाया फार्मूला नहीं है अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग ढंग अपनाए जा सकते हैं। सच्चाई जानने के लिए ग्राम पंचायत मौका-ए- वारदात पर भी जा सकती है। पंचायत उन सबूतों पर गौर करेगी, जो दोनों पक्षों द्वारा पेश किए जाते हैं। पंचायत इसके साथ और भी सबूत मांग सकती है। सारे केस की कानूनी रूप से जांच पड़ताल करने के बाद पंचायत अपना फैसला लिखित रूप में पारित करेगी। पंचायत अपने द्वारा पारित फैसले को बदल नहीं सकती है परंतु कोई लिखने में हुई भूल का सुधार किया जा सकता है।

    पंचायत को यह भी अधिकार है कि अगर वह उचित समझे तो लागत सहित भी अपने फैसले को पारित कर सकती है, यानी वह दोषी पाई गई पार्टी को इस कार्यवाही का पूरा खर्च देने के लिए कह सकती है। परंतु यहां यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि पंचायत की शक्तियां उसी सीमा तक हैं जो हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम के अनुसार उसे दी गई हैं।

    हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम धारा 30 (2) अनुसार न्याय पंचायत की किसी भी कार्यवाही या सुनवाई के लिए कोरम या गणपूर्ति का होना अतिआवश्यक है। अगर कोरम न हो तो मामले की सुनवाई करना या फैसला देना गैरकानूनी होता है।

    यह भी पढ़ें: हिमाचल में 386 स्थानों पर होगा कोरोना वैक्सीन का भंडारण, स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीनेटर उपलब्ध होंगे

    यह भी पढ़ें: Himachal Weather Update: नववर्ष से पहले प्रदेश में दो दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना