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    KCCB की निलंबित BOD वित्तीय अनियमितता पर आखिर क्यों खामोश? तय समय के बाद भी नहीं दिया जवाब

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 01:12 PM (IST)

    वित्तीय अनियमितताओं के कारण निलंबित कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) के निदेशक मंडल (बीओडी) को जवाब देने के लिए 6 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। रजिस्ट्रार ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब मांगा था। बीओडी पर एनपीए बढ़ने और नियमों का उल्लंघन कर लाभ पहुंचाने के आरोप हैं जिसके कारण चुनाव भी रद्द कर दिया गया है।

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    कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की निलंबित बीओडी को जवाब देने की डेडलाइन तय कर दी है। प्रतीकात्मक फोटो

    जागरण संवाददाता, धर्मशाला। KCCB BOD, वित्तीय अनियमितताओं पर निलंबित कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) के निदेशक मंडल (बीओडी) को नोटिस का जवाब देने के लिए छह अक्टूबर तक का समय मिला है। राज्य सहकारी सोसायटी के रजिस्ट्रार दोरजे छेरिंग ने केसीसीबी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया था।

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    साथ ही कहा था कि जवाब समय पर नहीं दिया तो उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बीओडी 11 सितंबर को निलंबित की गई थी और 21 सितंबर से पहले नोटिस का जवाब देना था, लेकिन नहीं दिया।

    गत तीन बीओडी के निर्णयों पर भी मांगा जवाब

    निलंबित बीओडी के सदस्यों ने रजिस्ट्रार से दस्तावेज एकत्र करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था और कहा था कि गत तीन बीओडी के निर्णयों का जवाब भी उनसे मांगा गया है। वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) से बैंक का नान परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ने और नियमों का उल्ल्ंघन कर चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप बीओडी पर लगे हैं। बीओडी के चुनाव को भी रद कर दिया है।

    माना जा रहा है कि बीओडी के अनजान बने रहने से ही एनपीए बढ़ा और अनियमितताएं होती रही। बैंक में मंडलायुक्त विनोद कुमार को प्रशासक तैनात किया है, जो इसी बैंक में प्रबंध निदेशक रह चुके हैं। विधायक सुधीर शर्मा ने मामले की जांच बाहरी एजेंसी से करवाने की पैरवी की है।

    इन आरोपों व आपत्तियों के कारण हुई कार्रवाई

    आरोप है कि बैंक ने आरबीआइ व नाबार्ड के दिशानिर्देशों की लगातार अवहेलनाकी है। साथ ही ई-केवाईसी, एएमएल व सीएफटी में भी कमी पाई गई है। बैंक के अधिसूचित क्षेत्र से बाहर 1,090 ऋण स्वीकृत किए हैं, जिनमें 80 प्रतिशत ऋण में बदल गए हैं।

    सकल एनपीए 23.45 और शुद्ध एनपीए 8.81 प्रतिशत है, जो तय पांच प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा 20.99 करोड़ रुपये के 241 धोखाधड़ी के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वित्तीय गिरावट भी आई है। इन सभी को कार्रवाई का आधार बनाया गया है।

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