हिमाचल: क्या है भर्ती एवं सेवा शर्त संशोधन विधेयक, जिसे सरकार ने ध्वनिमत से किया पारित, विपक्ष ने क्यों बताया कर्मचारी विरोधी?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों में सुधार के लिए एक संशोधन विधेयक पारित किया है, जिसका उद्देश्य नियमितीकरण में देरी को कम क ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू विधानसभा में।
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों के नियमितीकरण एवं भर्तियों में होने वाली 15 दिन से एक माह की देरी समाप्त हो गई है। इस उद्देश्य से बुधवार को सदन में हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें (संशोधन) विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
इस संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसे कर्मचारी विरोधी करार दिया और वापस लेने का आग्रह किया।
सीएम ने कर्मचारी हित में बताया
मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए इसे कर्मचारियों के हित में बताया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक के प्रविधान लागू होने के बाद कर्मचारियों की नियुक्ति और उनके नियमितीकरण में देरी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि यह कानून पिछले वर्ष बना है और भर्तियों का समय कम करने के उद्देश्य से सरकार ने इसमें संशोधन किया है। आर्टिकल 309 के प्रविधानों के तहत नियमों में संशोधन किया गया है।
यह कर्मचारी विरोधी : रणधीर
भाजपा के रणधीर शर्मा ने इसे कर्मचारी विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि सेवा शर्त को पूर्व प्रकाशन के बगैर लागू करना उचित नहीं है, जिससे कर्मचारियों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिलेगा।
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अधिकार किया समाप्त : जम्वाल
विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि सेवा शर्त नियमों में संशोधन कर सरकार कर्मचारियों के आपत्ति दर्ज करने के अधिकार को समाप्त करना चाह रही है। उन्होंने नियमों को अधिसूचित करने से पहले पूर्व प्रकाशन की शर्त को यथावत जारी रखने का आग्रह सदन में किया।

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