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    Chamba Ramlila: 40 साल से दशरथ का किरदार निभाते अमरेश ने मंच पर छोड़ दी देह, रामकाज चालू रखने पर समिति ने लिया निर्णय

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 01:41 PM (IST)

    Ramlila in Chamba चंबा में रामलीला के दौरान दशरथ की भूमिका निभा रहे कलाकार अमरेश महाजन का मंच पर ही निधन हो गया। 73 वर्षीय अमरेश 40 वर्षों से रामलीला से जुड़े थे और अपनी भूमिकाओं में पूरी तरह से डूब जाते थे। रामकाज जारी रखने के लिए रामलीला जारी रहेगी और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जाएगी।

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    दशरथ का किरदार निभाने वाले अमरेश महाजन का फाइल फोटो व मंच पर बेसुध हुए अमरेश।

    सुरेश ठाकुर, चंबा। Ramlila in Chamba, एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराने चंबा नगर के चौगान मैदान में वीरवार शाम फिर रामलीला सजेगी। दशरथ समेत सभी पात्र होंगे। बस, मंगलवार रात तक दशरथ की भूमिका निभाते हुए मंच से ही वैकुंठ धाम के लिए निकले अमरेश महाजन नहीं होंगे।

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    रामलीला जारी रहेगी, ताकि रामकाज जारी रख समर्पित कलाकार साथी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाए। मंगलवार की रात विश्वामित्र के साथ संवाद के दृश्य में दशरथ बने अमरेश यह शब्द कह कर देह छोड़ गए थे -'मेरा राम मेरा प्राण है, मैं आपके लिए प्राण भी दे सकता हूं, अब मेरा राम ही आपके काम आएगा।'  

    बुधवार को चंबा शहर ने 73 वर्षीय अमरेश महाजन को नम आखों से विदाई दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ 45 वर्ष से जुड़े अमरेश को सब शिब्बू भाई के नाम से भी जानते थे। चंबा में ही व्यवसाय करने वाले अमरेश 40 वर्ष से रामलीला का अभिन्न भाग थे।

    कभी वह दशरथ की भूमिका में होते तो कभी रावण की। वह किसी भी भूमिका में होते, दर्शकों की आंखें मंच पर टिक जाती थीं। अमरेश पात्र में पूरी तरह खो जाते थे। जब रावण का रूप धरते तो बच्चे क्या, बड़े भी भय से सिमट जाते थे। उनका अट्हास गूंजता था। जब वह वचनबद्ध और पुत्र बिछोह झेलने वाले दशरथ की भूमिका निभाते थे तो दर्शक रोने लगते थे।

    10 दिन अभिनय नहीं होते थे साधना के दिन

    श्रीरामलीला के 10 दिन उनके लिए अभिनय नहीं, साधना के दिन होते थे। भूमिशयन करना, दिन में केवल एक बार भोजन लेना नियम था। इस बार रामलीला आरंभ होने से पूर्व उन्होंने कहा था, अब जान नहीं चलती, शायद यह अंतिम रामलीला हो। अब कुंभकर्ण का अभिनय करने वाले आंशू माली दशरथ बनेंगे और मेघनाथ का अभिनय करने वाले राजेश महाजन रावण। मगर चौगान का हर दर्शक जानता है कि शिब्बू के रौद्र रस और करुण रस अभिव्यक्ति का विकल्प कोई नहीं।

    चंबा में 1949 से हो रहा श्रीरामलीला मंचन

    चंबा चौगान में रामलीला का मंचन 1949 से हो रहा है। पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए स्थानीय लाला संसार चंद महाजन ने 1949 में रामलीला क्लब की स्थापना की थी और पहली बार यहां रामलीला करवाई थी। तब से कई कलाकारों, संवादों की गहराई, पात्रों की जीवंतता और दर्शकों की आस्था ने इस रामलीला को धरोहर बना दिया है। 

    हृदयाघात से हुई मृत्यु

    चिकित्सकों का कहना है कि अमरेश की मृत्यु हृदयाघात से हुई है। डा राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा, कांगड़ा में कार्डियोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. मुकुल भटनागर कहते हैं कि हृदयाघात यानी नसों में अवरोध आने से रक्त की आपूर्ति हृदय तक न पहुंचना। कई बार रोगी बच भी जाता है किंतु कार्डियक अरेस्ट यानी हृदय गति रुकने से बचना कठिन होता है। हृदय गति किडनी, न्यूरो से संबंधित या अन्य किसी रोग के कारण भी रुक सकती है।

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