Himachal: मायके में रह रही पत्नी को पति ने जम्मू कश्मीर से भेज दिया लिखित तीन तलाक, ...हत्या के लिए दी सुपारी
Triple Talaq Case Himachal हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एक मुस्लिम महिला को उसके पति ने जम्मू-कश्मीर से तीन तलाक भेज दिया। महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसमें उसने शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया। पुलिस ने पति के खिलाफ मुस्लिम महिला अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

जागरण संवाददाता, बिलासपुर। Triple Talaq Case Himachal, तीन तलाक को वर्ष 2019 में गैरकानूनी घोषित किया गया है, फिर भी कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं। हाल ही में जिला बिलासपुर के पुलिस थाना भराड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक पति ने अपनी पत्नी को लिखित रूप में तीन तलाक भेज दिया।
यह तलाक रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भेजा गया था। इस पर पुलिस ने पति के खिलाफ कानून का उल्लंघन करने और पत्नी के प्रति शोषण का मामला दर्ज किया है।
शिकायतकर्ता पत्नी ने बताया कि उसकी शादी सादिक मोहम्मद, निवासी कोट से 23 सितंबर 2022 को मुस्लिम रीति-रिवाज से सादिक के पैतृक गांव डोडला, डाकघर भूंड, तहसील बसोली, जिला कठुआ, जम्मू-कश्मीर में हुई थी। उनकी एक बेटी भी है।
शादी के बाद से सादिक ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इस संबंध में उन्होंने पिछले वर्ष न्यायालय में मामला भी दर्ज करवाया था, लेकिन सादिक ने दबाव डालकर वह मामला वापस ले लिया।
पत्नी का आरोप, मेरे माता-पिता की हत्या की दी है सुपारी
महिला ने आरोप लगाया कि पति उन्हें जान से मारने की धमकी देता है और कहता है कि उसने उसे और उसके माता-पिता को मारने के लिए पांच लाख रुपये की सुपारी दी है। इसी कारण वह अपने मायके में रह रही है। हाल ही में, सादिक ने रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से मुस्लिम शरीयत का हवाला देते हुए लिखित तलाक का पत्र भेजा, जो कानून के खिलाफ है।
महिला की शिकायत पर पुलिस ने भराड़ी थाना में पति के खिलाफ मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और शोषण का मामला दर्ज किया है।
डीएसपी घुमारवीं विशाल वर्मा ने कहा कि तीन तलाक समाप्त होने के बावजूद लिखित तलाक पत्र भेजने वाले पति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।
क्या है मुस्लिम महिला अधिनियम 2019
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 मुस्लिम पुरुषों द्वारा अपनी पत्नी को तत्काल और अपरिवर्तनीय तलाक देने की प्रथा, जिसे तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) कहा जाता है, को गैरकानूनी और दंडनीय बनाता है। इस कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के विवाह संबंधी अधिकारों की रक्षा करना है और यह उन्हें गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी का अधिकार भी प्रदान करता है।
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