मम्मी, आपने मुझसे झूठ क्यो बोला, मुझे मेरे पापा से मिलवाओ
एमबीबीएस कर रही बेटी शिखा पहुंची। घर के बाहर भीड़ को देख किसी अनहोनी का अहसास हुआ अंदर जाकर मां को गुमसुम हालात मे देखा तो सब समझकर गले से लिपट फूट फूटकर रोने लगी।
रामकुमार कौशिक, समालखा :
दोपहर के करीब दो बजे थे। कंवरभान के घर के बाहर लोगो की भीड़ थी। घर मे महिलाओ की आंखो मे आंसू थे। तभी एमबीबीएस कर रही बेटी शिखा पहुंची। घर के बाहर भीड़ को देख किसी अनहोनी का अहसास हुआ तो आंखो से आंसू आ गए। अंदर जाकर मां को गुमसुम हालात मे देखा तो सब समझकर गले से लिपट फूट फूटकर रोने लगी। रोते हुए ही गले से आवाज निकली, मम्मी आपने मुझसे झूठ क्यों बोला। मुझे मेरे पापा से मिलवाओ। बताओ मेरे पापा कहां हैं। परिवार के लोग दिलासा रहे। लेकिन आंसू से भरी आंखें घर के हर कोने मे पापा को निहार रही थी। पापा कही नही दिखे तो फिर मां के गले से लिपटी रोने लगी। दिल पर पत्थर रखने वाली मां भी अपने गम को छिपा न सकी और बेटी के गले से लिपट रो पड़ी। यह देख हर किसी की आंख भर आई।
एडवोकेट कंवरभान के तीन बच्चे है। सबसे बड़ी बेटी शिखा एमबीबीएस कर रही है। उससे छोटा बेटा विवेक न्यूजीलैड से कंप्यूटर साइंस मे एमएस कर रहा है, जो पिछले दो साल से वही पर है। सबसे छोटा बेटा लोकेश बारहवी की पानीपत के एक स्कूल से पढ़ाई कर रहा है। कंवरभान की इच्छा थी कि उसके बच्चे पढ़ लिखकर उससे भी आगे निकले लेकिन उसे क्या पता था कि अपने बच्चो की कामयाबी का सुनहरा पल देखने से पहले ही वो ऐसी बेरहमी की मौत मारा जाएगा। कंवरभान करीब पंद्रह से ज्यादा सालो से वकालत कर रहा था। न्याय की पैरवी करने वाले के साथ ऐसा अन्याय होगा, ये उसने कभी सोचा भी न होगा।
शनिवार को होगा अंतिम संस्कार : बड़ा बेटा विवेक दो साल पहले न्यूजीलैड मे पढ़ाई करने गया था। रिश्तेदार सूबे सिंह ने बताया कि शुक्रवार को देर रात तक वो दिल्ली पहुंचेगा। इसके बाद उसे घर आते आते सुबह हो जाएगी, इसलिए अंतिम संस्कार शनिवार को ही करेगे। कंवरभान का शव शाम पांच बजे के करीब ही दिल्ली से पोस्टमार्टम के बाद घर पहुंच चुका था।