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गलत ट्रेन में भेजे गए कामगारों को मिली मदद, रास्‍ते में उतार आधी रात में बसों से पहुंचाया घर

जागरण.कॉम की खबर का असर हुआ और हरियाणा से गलत ट्रेन में बिहार रवाना किए गए करीब 100 लोगों को आधी रात में मदद मिली। उनको रास्‍ते में ट्रेन से उतार कर बस से घर पहुंचाया गया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 12:57 AM (IST)
गलत ट्रेन में भेजे गए कामगारों को मिली मदद, रास्‍ते में उतार आधी रात में बसों से पहुंचाया घर
गलत ट्रेन में भेजे गए कामगारों को मिली मदद, रास्‍ते में उतार आधी रात में बसों से पहुंचाया घर

पानीपत, जेएनएन। हरियाणा से गलत ट्रेन में भेजे गए करीब 100 कामगारों को आधी रात को मदद मिली और उनको ट्रेन से रास्‍ते में उतार कर बसों से उनके घर पहुंचाया गया। यह मदद उन्‍हें जागरण.कॉम (jagran.com) खबर चलने के बाद मिली। औरंगाबाद जाने वाले इन यात्रियों को अररिया जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया था। अररिया से औरंगाबाद की दूरी 477 किलोमीटर है। ट्रेन में बैठे लोगों को यही चिंता सताए जा रही थी कि आखिर वे अपने घर कैसे पहुचेंगे। jagran.com के माध्‍यम से उनकी इस पीड़ा को जानकर बिहार के स्‍थानीय प्रशासन और एक एनजीओ ने उनकी मदद की। ट्रेन को अररिया से पहले मुजफ्फरपुर में रुकवाया गया और फिर इन यात्रियों को बसों से उनके घर पहुंचाया गया।

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जाना था औरंगाबाद, बैठा दिया अररिया ट्रेन में, प्रशासन तक पहुंची बात तो रास्ते में ही कामगारों को उतारा

जागरण.कॉम पर खबर प्रकाशित करने के साथ ही रेल मंत्री को ट्वीट भी किया गया था। खबर और यह ट्वीट देखकर एनजीओ 'इंडिया केयर्स' की टीम मदद के लिए आगे आई। इस टीम ने बिहार में डीआरएम से संपर्क साधा। ट्वीट पर ही संबंधित विभागों को टैग किया। आखिरकार रात को ही औरंगाबाद जाने वाले सभी कामगारों को मुजफ्फरपुर में उतार लिया गया। वहां से उन्हें बस में बैठाकर उनके गांव पहुंचाया गया।

मुजफ्फरपुर में रेलवे स्टेशन पर उतारा, बस से पटना ले गए, वहां से औरंगाबाद हुए रवाना

उनको मुजफ्फरपुर रेलवे स्‍टेशन पर उतारने के बाद रात में ही बसों से पटना पहुंचाया गया। इसके बाद पटना उनको औरंगाबरद पहुंचाया गया। सभी कामगार अपने गांव में क्‍वारंटाइन में रखे गए हैं। दरअसल, झज्जर-बहादुरगढ़ से 1200 और सोनीपत से 400 लोगों को बस से पानीपत लाया गया था। इन लोगों ने बिहार जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हुआ था।

पानीपत से ट्रेन अररिया के लिए रवाना हुई। इसी ट्रेन में उन लोगों को भी बैठा दिया, जिन्होंने औरंगाबाद के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। जब उन्होंने पूछा कि वे अपने घर कैसे पहुचेंगे, उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। अररिया एक कोने में और औरंगाबाद दूसरे कोने में है। गोरखपुर में कुछ देर के लिए स्टॉपेज हुआ, वहां भी इन यात्रियों न पूछताछ की गई। तब भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

जागरण का ट्वीट देखकर आगे आई इंडियाकेयर्स टीम, डीआरएम तक पहुंचाई बात

ट्रेन के चलने के साथ ही इनकी धड़कन भी बढ़ती गई। इसी ट्रेन में बैठे औरंगाबाद के सनोज ने फोन पर जागरण को बताया कि वह बहादुरगढ़ में जूते बनाने वाली फैक्ट्री में धागा काटने का काम करता है। फैक्ट्री बंद हो गई थी, इसलिए घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। उनके साथ तीन बच्चे, पत्‍नी और गांव के ही कुछ और लोग हैं। कुछ पता नहीं चल रहा कि क्या होगा उनके साथ। आखिरकार उनकी बात रेलवे तक पहुंची। रात को ही उन्हें रास्ते में उताकर बस से औरंगाबाद पहुंचाया गया।

रफीगंज में खुद को क्वारंटाइन किया

सुजीत ने बताया कि उसका गांव रफीगंज है। घर में पत्‍नी और बच्चे हैं। गांव की पंचायत ने व्यवस्था की है कि जो भी बाहर से आएगा, वह कुछ दिन के लिए अलग रहे। वह खुद भी चाहते थे कि कम से कम एक सप्ताह किसी अलग जगह रहे। गांव के पास ही एक खाली मकान में रह रहे हैं। अगर अररिया जाने वाली ट्रेन में ही बैठे रहते तो अब तक घर नहीं पहुंच पाते।

अब परिवार के साथ हैं, जागरण का शुक्रिया

औरंगाबाद के बेढ़नी गांव के सनोज ने बताया कि अपने गांव पहुंच गए हैं। जागरण का शुक्रिया करते हुए कहते हैं, प्रशासन को पहले से इंतजाम करना चाहिए था। अगर इंतजाम था भी तो उन्हें बताया क्यों नहीं। मुजफ्फरपुर तक उनकी सांसें अटकी रहीं। वहां पर अलग से बस मिली तब जाकर चैन आया। अब गांव में परिवार के साथ हैं। हरियाणा में जब उनकी फैक्ट्री खुल जाएंगी, मालिक बुलाएंगे, तब फिर काम करने के लिए आ जाएंगे। गांव में काम तो मिल जाता है लेकिन स्थायी नहीं होता। बच्चे भी वहीं पढ़ रहे हैं। हरियाणा छोड़कर यहां रहना मुश्किल है अब।

इंडियाकेयर्स टीम हुई सक्रिय

एनजीओ इंडियाकेयर्स की टीम भी जागरण की खबर और ट्वीट देखकर सक्रिय हो गई। गुरुग्राम में रहने वाले हरीश चंदाना ने बताया कि उन्होंने तुरंत इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए डीआरएम और संबंधित अधिकारियों को ट्वीट किया। उनकी टीम के सदस्यों ने फोन पर भी बात की। रात को ही उनके पास संदेश आ गया कि मुजफ्फरपुर से बसों का इंतजाम हो गया है।

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