100 लाेगों को जाना था औरंगाबाद, बैठा दिया अररिया की ट्रेन में, खाने को मिलीं चार पूडि़यां व चटनी
हरियाणा से श्रमिकों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस दौरान लापरवाही सामने आ रही है। औरंगाबाद जानेवाले सौ लोगों को अररिया जाने वाली ट्रेन में चढ़ा कर रवाना कर दिया गया।
पानीपत, [अरविंद झा]! जाना था औरंगाबाद, बैठा दिया अररिया की ट्रेन में। ये झटका क्या कम था कि 16 घंटे तक खाना भी नहीं मिला। गोरखपुर में ट्रेन के डिब्बे में किसी ने खाने का डिब्बा पकड़ाया तो उसमें निकले महज चार-चार पूडियां और चटनी। कई यात्रियों को यह भी नहीं मिला और वे भूखे ही रह गए। जिस गति से ट्रेन दौड़ रही है, उसी तेजी से धड़कन भी धक-धक कर रही है। इन लोगों की अब टेंशन है आखिर अररिया से औरंगाबाद कैसे पहुंचेंगे। क्या पूरे परिवार को पैदल ही 477 किलोमीटर निकलना पड़ेगा। कहीं कुछ खाने को भी मिलेगा या नहीं। औरंगाबाद ही नहीं, इस ट्रेन में गया के भी 50 से भी अधिक यात्री बैठे हैं।
1600 यात्री हैं अररिया श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार, 6 :55 बजे की बजाए सुबह 10:40 पर पहुंची गोरखपुर
दरअसल, झज्जर-बहादुरगढ़ से 1200 और सोनीपत से 400 लोगों को बस से पानीपत लाया गया था। इन लोगों ने बिहार जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हुआ था। ट्रेन में सवार सनोज ने यात्रा के दौरान मोबाइल फोन पर बातचीत में बताया कि उन्हें औरंगाबाद जाना था। जब बस में बैठाया गया तो उन्होंने पूछा था कि क्या ट्रेन उन्हें उनके स्टेशन तक पहुंचाएगी तो बस वाले ने कहा कि आपका रजिस्ट्रेशन हुआ है। आप चलिए, औरंगाबाद तक जाएगी ट्रेन।
16 घंटे के बाद खाना मिला, कुछ तो भूखे ही रह गए
सनोज ने बताया कि वह अपने तीन बच्चों, पत्नी के साथ कमरा छोड़कर निकल आया। उनके साथ करीब सौ लोग और भी हैं, जिन्हें औरंगाबाद जाना है। इसी तरह गया के भी लोग हैं। पानीपत पहुंचे, ट्रेन में बैठे तो पता चला कि ट्रेन तो अररिया जाएगी। अब वापस जा नहीं सकते थे। शुक्रवार शाम छह बजे ट्रेन चली। यहां पर खाना मिला। अगले दिन दिन के दस बजे गोरखपुर में ट्रेन पहुंची। भूख से सभी व्याकुल हो रहे थे।
सनोज ने बताया कि किसी ने एक खाने का डिब्बा दिया और कहा कि खाना खा लो। पैकेट खोले तो उसमें चार पूड़ी और पाउच में टमाटर की चटनी थी। ये खाने का मन नहीं था। प्लेटफार्म पर नजर दौड़ाई तो वहां कुछ नहीं था। आखिरकार इसी से पेट भरना पड़ा। हालांकि ये पूड़ी भी सभी को नहीं मिल सकीं। इसी ट्रेन में सवार लाल बिहारी ने जब पैकेट लेना चाहा, तब तक सब खत्म हो चुका था। 20 मिनट के ठहराव के बाद ट्रेन चल पड़ी।
चिंता- अररिया से औरंगाबाद तक कैसे जाएंग
अब इन यात्रियों की चिंता है कि अनजान सफर में कहां, किस स्टेशन पर उतरें, पता नहीं है। झज्जर में बस पर बिठाने वाले अधिकारी ने यह नहीं कहा कि ट्रेन किस रूट से जाएगी। इतनी परेशानियों का पता होता तो इस ट्रेन में सवार ही नहीं होते। 6.55 बजे गोरखपुर ट्रेन पहुंचनी थी। यहां आने में ही 10:40 हो गए।
जल्दबाजी में बस बैठाया
झज्जर से गया जाने वाले गौतम ने भी फोन पर कहा कि ये गलत रूट की ट्रेन में बिठा दिया गया। झज्जर आइटीआइ में पुलिस वाले ने डंडा दिखा कर जल्दबाजी में बस में बिठाया। हमें पता नहीं चला कि ट्रेन गया नहीं जाएगी। कोरोना संक्रमण में ट्रेन में सवार होने तक ही शारीरिक दूरी का ध्यान दिया जा रहा है। सफर के दौरान कोच मे कोई देखने वाला नहीं है। पता नहीं घर कब पहुंचेंगे।
भैरोगंज में मिले बिस्किट
भैरोगंज में कुछ देर के लिए ट्रेन रुकी। यहां पर समाजसेवियों ने बिस्किट के पैकेट दिए। आगे कुछ खाने को कहां और कैसे मिलेगा, यह किसी को पता नहीं। भूख के मारे हाल बुरा है।
यह भी पढ़ें: कामगारों की छटपटाहट: भ्राजी, तुस्सी घर लौट आओ...बाबूजी हमहू चाहित है, कौनो व्यवस्था करावा
यह भी पढ़ें: हरियाणा के युवाओं की दास्तां: जमीन बेची और लाखों का कर्ज लिया, बेटा बर्बादी लेकर लाैटा
यह भी पढ़ें: मुश्किल में फंसी जान को बचाएगा सप्लीमेंट ऑक्सीजन थेरेपी सिस्टम, कोरोना संकट में संजीवनी
यह भी पढ़ें: चिंता न करें जल्द मिलेगी कोरोना से मुक्ति, जानें उत्तर भारत में कब तक खत्म होगा यह virus
यह भी पढ़ें: वंडर गर्ल है म्हारी जाह्नवी, दुनिया भर के युवाओं की आइकॉन बनी हरियाणा की 16 की लड़की
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें