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खेल के मरीज थे, बन गए डॉक्‍टर, अब खिलाडि़यों के लिए जुटा रहे संसाधन

पानीपत स्टेडियम में खिलाडिय़ों के लिए संसाधन मुहैया कराने के साथ उनका इलाज करने में डॉक्टर साहब कोई कसर नहीं छोड़ते। जानिए आखिर वे ऐसा क्यों कर रहे..।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 12:26 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 02:27 PM (IST)
खेल के मरीज थे, बन गए डॉक्‍टर, अब खिलाडि़यों के लिए जुटा रहे संसाधन

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। ये शख्स डॉक्टर होने के साथ-साथ मरीज भी हैं। इनकी बीमारी कोई और नहीं, बल्कि खेल है। इस बीमारी का तो इलाज नहीं कर सके, लेकिन खेल में संसाधनों की कमी और खिलाडिय़ों का इलाज जरूर शुरू कर दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं डॉक्टर संजय सैन की। 

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शिवाजी स्टेडियम में पंचिंग बैग फट चुके थे। खेल विभाग से बैग मिल नहीं पा रहे थे। इससे बॉक्सरों का अभ्यास छूट गया। मुकाबलों में उनका प्रदर्शन भी कमजोर हो गया था। उन्हें चिंता सताने लगी थी कि यही हालात रहे तो वे राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत पाएंगे। उनके लिए सुनील मेमोरियल अस्पताल के डॉ. संजय सैन मददगार साबित हुए। 

सैर पर निकले तो नहीं दिख रहा था कोई खिलाड़ी
डॉ. सैन कुछ दिन पहले स्टेडियम में सैर करने गए थे। तब उन्हें बॉक्सर अभ्यास करते नहीं दिखाई दिए। कोच सुनील कुमार और बॉक्सरों ने बताया कि पंचिंग बैग नहीं हैं। डॉ. सैन ने 47 हजार रुपये की कीमत के पंचिंग बैग खरीदकर बॉक्सरों को दिए। इस तरह स्टेडियम में खिलाडिय़ों का फिर से हौसला बढ़ गया। 

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बॉक्सर बनना चाहते थे डॉक्टर साहब
डॉ. संजय सैन ने बताया कि उन्हें बॉक्सिंग खेल पसंद है। वह बॉक्सर नहीं बन सके। इसकी उन्हें टीस है। वह स्टेडियम के जरूरतमंद बॉक्सरों का मुफ्त इलाज करते हैं। राष्ट्रीय चैंपियन बॉक्सर शिवानी को गत वर्ष डेंगू हो गया था। उनके पिता स्वतंत्र कुमार ने बताया कि इलाज के लिए रुपये नहीं थे। तब डॉ. सैन ने बेटी का मुफ्त इलाज किया था। 

खिलाडिय़ों की मदद हो तो पदकों की संख्या बढ़ेगी
पूर्व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच प्रेम सिंह आंतिल का कहना है कि खेल विभाग की ओर से खिलाडिय़ों को खेल का सामान मिलने में देरी हो जाती है। इससे वह ठीक से अभ्यास नहीं कर पाते हैं। डॉ. संजय सैन की तरह अन्य सामाजिक संगठन व उधमी खेल सामान खिलाडिय़ों को उपलब्ध करा दे तो खिलाड़ी और ज्यादा पदक जीत सकेंगे। 

13 पंचिंग बैग फट गए
वर्ष 2012 में जिला प्रशासन ने डी प्लान के तहत शिवाजी स्टेडियम में बॉक्सिंग के 13 पंचिंग बैग दिए थे। ये बैग फट चुके हैं। खेल विभाग को तीन बैग की डिमांड भेज रखी है लेकिन सुनवाई नहीं हुई। स्टेडियम में 132 बॉक्सर अभ्यास करते हैं। इनमें 25 लड़की शामिल हैं। इनके लिए 10 और पंचिंग बैग की और जरूरत है।

35 राज्य व राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर हैं
स्टेडियम में 35 बॉक्सर राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं। इनमें शामिल विंका, शिवानी, आशीष, ज्योति, मिलम, अजय और अभय ने बताया कि पंचिंग बैग न होने पर वे अभ्यास नहीं कर पा रहे थे। तीन पंचिंग बैग उन्हें मिले हैं। अब वे फिर से अभ्यास कर रहे हैं। गत 1 जून को रोहतक में तीसरी यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शिवानी ने पदक भी जीता है। 

क्यों जरूरी है पंचिंग बैग
बॉक्सिंग कोच सुनील कुमार ने बताया कि पंचिंग बैग पर बॉक्सर पंच करता है तो इससे उसकी तकनीक में सुधार आता है। स्पीड बनती है और रनिंग की भी रिकवरी हो जाती है। मुकाबले में बॉक्सर विरोधी पर सटीक जगह प्रहार भी करता है।

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