कभी अमावस्या पर ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर जुटते थे श्रद्धालु, अब बिना दर्शन के लौटे
सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्मसरोवर सन्निहित सरोवर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती थी। लेकिन इस बार यहां पर सन्नाटा पसरा है। यहां पर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए बैरियर लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं को यहां से लौटाया जा रहा।

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। हाथ पांव अकड़ा देने वाली ठंड के बावजूद श्रद्धालु सोमवती अमावस्या पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर पहुंचे। मगर उन्हें बिना स्नान के ही उल्टे पांव लौटना पड़ा। सरोवर और उनके बीच में कोरोना सुरक्षा का घेरा आ गया। दूसरे जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं को पहले ही ब्रह्मसरोवर की ओर से जाने वाले रास्तों पर रोक लिया गया।
कुछ श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर तक पहुंचे जरूर, लेकिन उन्हें ब्रह्मसरोवर परिक्रमा में प्रवेश नहीं करने दिया गया। ये श्रद्धालु सिर्फ ब्रह्मसरोवर के जल में आचमन करने की मांग पुलिस कर्मचारियों से करते रहे लेकिन उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया गया। पुलिस का पहरा ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर के हर द्वार पर रहा, जिसके चलते श्रद्धालुओं को बिना स्नान के ही उल्टे पांव लौटना पड़ा। गौरतलब है कि सोमवती अमावस्या पर हर बार आसपास के जिलों ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु स्नान व दान करने के लिए आते हैं। श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने केडीबी प्रशासन के इन आदेशों की कड़ी आलोचना भी की थी।
भिक्षा लेने वाले सैकड़ों लोगों को मिली मायूसी
सोमवती अमावस्या पर हर बार हजारों की तादाद में श्रद्धालु स्नान और दान के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान ब्रह्मसरोवर पर आने वाले श्रद्धालु भिक्षा मांगने वाले सैकड़ों भिक्षुक भी ठंड में मायूस ही वापस लौटे। उन्हें लगा था कि चावल, गेहूं, दाल और खाद्य पदार्थों के साथ उन्हें यहां से अच्छा खासा दान मिल जाएगा। मगर श्रद्धालु नहीं आने की वजह से इन भिक्षुकों को भी मायूस ही वापस लौटना पड़ा।
इतनी दूर से आए हैं कम से कम आचमन तो करने दो : श्रद्धालु
नीलोखेड़ी के गांव संडीर से आई बुजुर्ग श्रद्धालु रीता, पुष्पा और किशोरी देवी ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि ब्रह्मसरोवर में स्नान करने पर प्रतिबंध है। वे सुबह उठकर अपनी कार से यहां स्नान दान के लिए पहुंचे, लेकिन यहां पुलिस कर्मचारी अंदर जाने से रोक रहे हैं। उन्होंने पुलिस कर्मचारियों से मांग भी की कि कम से कम ब्रह्मसरोवर के जल का आचमन करने दें, यहां मुंह हाथ ही धोकर वे वापस चले जाएंगे। मगर पुलिस कर्मचारियों ने अंदर जाने नहीं दिया गया।

केडीबी के कार्यकारी अधिकरी अनुभव मेहता ने यह दे रखे हैं आदेश
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुभव मेहता ने कहा था कि 13 को चौदस व 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या होने की वजह से काफी संख्या में नजदीकी जिलों कैथल, जींद, पानीपत, करनाल से भारी संख्या में श्रद्घालुओं के आने की संभावना है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चौदस व सोमवती अमावस्या के दृष्टिगत ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर पर इकट्ठा होने व धार्मिक अनुष्ठान करने पर 13 व 14 दिसंबर को प्रतिबंधित लगाया गया था। उन्होंने आमजन से यहां नहीं आने की अपील की थी।

प्रतिबंध लगाने पर श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने की कड़ी आलोचना
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा चौदस और सोमावती अमावस्या पर ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर व पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों की श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा आलोचना कर चुका है। सभा के प्रधान पंडित पवन शास्त्री की अध्यक्षता में बैठक करके इस संबंध में प्रस्ताव पास करके केडीबी व जिला प्रशासन को भेजा गया था कि ऐसे आदेश तीर्थ पुरोहितों के जीविका को खतरे में डाल रहे हैं। सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा और प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा ने कहा कि केवल हरियाणा में ही सनातन धर्म की परंपराओं पर कोविड-19 के नाम पर पाबंदी लगाई जा रही है।
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