ऐतिहासिक है गुरुद्वारा नीम साहिब, अमावस्या के दिन जुटती श्रद्धालुओं की भीड़, आए थे सिखों के नौवें गुरु
कैथल का गुरुद्वारा नीम साहिब ऐतिहासिक है। यहां पर सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी आए थे। दिल्ली जाते समय नौवें गुरु तेगबहादुर जी ने यहां नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाया था। अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। कैथल शहर के डोगरा गेट स्थित श्री गुरुद्वारा नीम साहिब काफी ऐतिहासिक है। यहां मुगलों से युद्ध के दौरान सिखों के नौंवे गुरु गुरु तेग बहादुर दिल्ली जाते समय से रुके थे और उन्होंने नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान लगाया था। यह नीम आज भी गुरुद्वारे में स्थित है। यहा पर हर अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है और वह यहां शीश नवाते हैं। इस गुरुद्वारा के परिसर में मुख्य भवन के अंदर जहां, श्री गुरू ग्रंथ साहिब विराजमान है। यहां शीशे से निर्माण किया गया है। गुरुद्वारे में स्थापित सरोवर में श्रद्धालु अमावस्या के दिन सुबह के समय स्नान करने के लिए पहुंचते हैं।
यह है इतिहास
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य मनिंद्र सिंह एडवोकेट ने बताया कि मान्यता है कि गुरुद्वारे के स्थान पर सिख गुरु तेग बहादुर अपने परिवार के साथ वर्ष 1723 ई में पहुंचे थे। कुछ दिनों तक वह यहां रुके भी थे। कहा जाता है कि गुरुजी सुबह स्नान के बाद नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाते था। ध्यान लगाते समय उन्हें उनके अनुयायियों ने देख लिया, जिनमें से एक अनुयायी गंभीर बुखार से पीड़ित हो गया। गुरुजी ने उन्हें खाने के लिए नीम के पत्ते दिए और वह बिल्कुल ठीक हो गया। लंबे समय के बाद गुरुद्वारे का निर्माण इस जगह पर हुआ। भव्य गुरुद्वारा यहां बनाया गया, जिसे गुरुद्वारा नीम साहिब के रूप में जाना जाता है। सभी समुदाय के लोग यहां माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं और इस गुरुद्वारे में निर्मित सरोवर में पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं।
वर्तमान में यह है स्थिति
श्री गुरुद्वारा नीम साहिब में दो लंगर हाल, एक सरोवर और कुछ कमरें यहां बनाए गए हैं। जबकि एक हॉल कार्यक्रमों के लिए बनाया गया है। हाल ही गुरुद्वारे में अंदर स्थापित सरोवर के सुधार के लिए निर्माण कार्य करवाए गए हैं। गुरुद्वारे के बगल में स्थित करीब 10 एकड़उ जमीन भी है, जो गुरुद्वारे की ही है। यहां पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से कुछ समय गुरु तेग बहादुर के नाम से कालेज बनाने की मांग की गई थी, लेकिन इस पर सरकार की ओर से इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया।
पूरी होती सभी मनोकामनाएं
श्रद्धालु तेजिंद्र सिंह भाटिया ने बताया कि सिख समाज के गुरुओं का इतिहास बलिदानियों से भरा है। अपने धर्म के लिए सब कुछ न्योछवार कर देना ऐसा सिख समाज में ही हुआ है। यह समाज आज भी अपनी कुर्बानियों के लिए जाना जाता है। श्री गुरुद्वारा नीम साहिब में मात्र माथा टेकने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे पहुंचे गुरुद्वारे में
श्री गुरुद्वारा नीम साहिब की रेलवे स्टेशन से दूरी तीन किलोमीटर तो बस स्टैंठ से दूरी करीब पांच किलोमीटर की है। बड़े रेलवे स्टेशन से गुरुद्वारे में पहुंचने के लिए अर्जुन नगर या महादेव कालोनी का ऑटो लेना पड़ता है। जबकि बस स्टैंड से यहां पहुंचने के लिए डोगरा गेट और प्रताप गेट जाने वाला ऑटो लेना पड़ेगा। यह गुरुद्वारा डोगरा गेट से मानस और गांव बाबा लदाना में जाने वाले मार्ग पर स्थित है।
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