Nuh Violence: क्या रोकी जा सकती थी हिंसा? क्योंकि पहले से था हालात बिगड़ने का इनपुट, एसपी चल रहे थे अवकाश पर
दिल्ली से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित नूंह जिला के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर होते तो शायद शर्मसार होने वाली घटना नहीं घटित होती। नूंह में तैनाती को लेकर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच यह धारणा बनी हुई है कि उन्हें मेवात की जिम्मेदारी देकर मुख्य लाइन से किनारे किया गया है। यही वजह है कि वह शुक्रवार को ही जिला छोड़ चल देते हैं।

नूंह, जागरण संवाददाता। दिल्ली से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित नूंह जिला के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर होते तो शायद शर्मसार होने वाली घटना नहीं घटित होती। नूंह में तैनाती को लेकर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच यह धारणा बनी हुई है कि उन्हें मेवात की जिम्मेदारी देकर मुख्य लाइन से किनारे किया गया है। यही वजह है कि वह शुक्रवार को ही जिला छोड़ चल देते हैं।
सोमवार को धार्मिक यात्रा के दौरान कुछ भी हो सकता है यह इनपुट सीआईडी की ओर से प्रशासन को दिए गए थे। इसके बाद भी प्रशासन के उच्च अधिकारी सोमवार को मुख्यालय में नहीं थे। उपायुक्त प्रशांत पवार कहीं बाहर थे।
पलवल पुलिस अधीक्षक के पास था चार्ज
पुलिस अधीक्षक पहले से अवकाश पर चल रहे थे और चार्ज पलवल पुलिस अधीक्षक के पास था। दोपहर डेढ़ बजे जब धार्मिक यात्रा मंदिर से लौट रही थी तो उग्र भीड़ ने हमला कर दिया। लोगों को मारा गया और वाहनों में आग लगा दी गई।
पुलिस कर्मियों की संख्या थी कम
खेड़ला चौक के पास यह घटना हुई, यहां पर दस पुलिसकर्मी डंडा लिए खड़े थे। वह भी खिसक गए। पचास पुलिसकर्मी शिव मंदिर के पास थे, वह कुछ कर नहीं पाए। जरूरत जब दूसरे जिला से पुलिस बल बुलाने की हुई तो कार्रवाई करने में कई घंटे लग गए। शाम छह बजे तक मंदिर में लोग बंधक बने रहे।
मंदिर के बाहर से भीड़ फेंकती रही भीड़
मंदिर के बाहर से तीन घंटे तक उग्र भीड़ अरावली के पत्थर उठा मंदिर परिसर के अंदर फेंक रही थी। नूंह से विधायक आफताब अहमद ने कहा प्रशासन की नाकामी से घटना हुई। यात्रा पहले भी निकलती थी, लेकिन दोनों धर्म के लोग शामिल होते थे। जब इस बार विवाद होने की स्थिति का अंदाजा पहले से था, वह खुद उपायुक्त और एसपी को बता चुके थे तो दोनों को मुख्यालय में रहकर बेहतर सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए थे।
अधिकारी भी नूंह और पलवल में हुई पोस्टिंग को सजा के तौर पर लेते हैं, जिले से नहीं होता जनजुड़ाव
अब लोगों की ओर से यह कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार यहां पर कम अनुभवहीन अधिकारी को नूंह और पलवल में जिम्मेदारी देती है। अधिकारी भी यहां की नियुक्ति को सजा के तौर पर लेते हैं। यही वजह है कि उनका जनजुड़ाव नहीं हो पाता है। लोगों की कॉल नहीं रिसीव की जाती है। यह शिकायत मुख्यमंत्री से भी की जा चुकी है।
हिंसा में मरने वालों की संख्या पांच हुई, कर्फ्यू लगने के बाद रही शांति
विभिन्न हिंदू संगठनों की ओर से नूंह में सोमवार को निकाली गई जलाभिषेक यात्रा के दौरान यहां खेड़ला चौक के पास मुस्लिम समुदाय के 200 से अधिक लोगों द्वार किए गए कातिलाना हमले में मरने वालों क संख्या पांच हो गई है। गुरुग्राम पुलिस के दो होमगार्ड की सिर में पत्थर तथा गोली लगने से सोमवार को ही मौत हो गई थी।
वहीं, घटना में घायल पानीपत के रहने वाले बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक तथा भादस गांव के रहने वाले शक्ति सैनी की रात में माैत हो गई। एक और व्यक्ति के मरने की सूचना आ रही है लेकिन नूंह प्रशासन की ओर से पुष्टि नहीं की गई।
चप्पे-चप्पे पर बल तैनात
कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला में रेपिड एक्शन फोर्स की और अन्य अर्ध-सैनिक बलों की 15 तथा पांच पुलिस की कंपनी सुबह पहुंच गई। रात को ही कर्फ्यू लगाने की घोषणा प्रशासन द्वारा कर दी गई थी। सुबह दस बजे के बाद कर्फ्यू का पूरा असर दिखा।
कई FIR दर्ज और लोग नामजद
हिंसा के बाद पुलिस ने चालीस युवकों को हिरासत में लिया है। साथ ही घटना को लेकर पुलिस ने 49 एफआईआर दर्ज की हैं और 88 लोगों को नामजद किया है।
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