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    Guru Purnima 2025: RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले बोले, भगवा ध्वज भारतीय संस्कृति की पहचान

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस/RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने भगवा ध्वज को भारतीय संस्कृति की पहचान बताया और कहा कि संघ इसी से प्रेरणा लेकर राष्ट्र और समाज के लिए कार्य करता है। उन्होंने संघ के पंच परिवर्तन और शताब्दी वर्ष की तैयारियों पर भी प्रकाश डाला।

    By Aditya Raj Edited By: Neeraj Tiwari Updated: Thu, 10 Jul 2025 08:00 PM (IST)
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    भगवाध्वज भारत की संस्कृति की पहचान है : होसबाले

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस/RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश फिर से विश्व गुरु बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। अपनी सभ्यता व संस्कृति को लेकर तेजी से जागरूकता पैदा हाे रही है। हर व्यक्ति में राष्ट्र प्रथम की भावना पैदा होने से वह दिन दूर नहीं जब भारत फिर से विश्व गुरु बन जाएगा। संघ इसी दिशा में लगातार प्रयासरत है। राष्ट्र प्रथम की भावना ही राष्ट्र को हमेशा मजबूत रखेगा। यही भावना संघ लोगों के भीतर पैदा कर रहा है।

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    दुनिया को शांति व सद्भाव का संदेश

    बृहस्पतिवार सुबह सेक्टर-27 के सामुदायिक भवन में संघ की स्थानीय शाखा की ओर से आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव में पहुंचे सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत ने हमेशा से पूरी दुनिया को शांति व सद्भाव का संदेश दिया है।

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    ''स्वयंसेवक भी करते हैं तिरंगे झंडे का सम्मान''

    उन्होंने गुरु पूर्णिमा उत्सव के बारे में कहा कि संघ भगवाध्वज को गुरु मानता है। उसी से प्रेरणा लेकर राष्ट्र और सामाजिक कार्य करता है। तिरंगा झंडा भारत के संविधान के अनुसार तय है। भारत का प्रत्येक नागरिक और स्वयंसेवक भी तिरंगे झंडे का सम्मान करते हैं।

    तिरंगा हमारे देश का प्रतिनिधित्व करता है। भगवाध्वज भारत की संस्कृति की पहचान है। अनादिकाल से भगवाध्वज भारत की संस्कृति का मार्ग दर्शक रहा है। संघ पंच परिवर्तन के माध्यम से समाज को आधुनिकता और भारतीय संस्कृति के साथ आगे बढ़ाने के लिए कार्यरत है।

    अपने देश के सांस्कृतिक इतिहास को जानें

    कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, धर्म जागरण, स्वदेशी जीवन शैली एवं नागरिक कर्तव्य के ऊपर संघ का विशेष जोर है। संघ की शत्ताब्दी वर्ष के बारे में कहा कि स्वयंसेवक घर-घर जाकर जहां संगठन के विचारों से लोगों को अवगत कराएंगे वहीं अपने देश के सांस्कृतिक इतिहास से भी अवगत कराएंगे।

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