'राजनीति से प्रेरित है रुपये के प्रतीक और परिसीमन का मुद्दा', मणिपुर हिंसा पर RSS ने क्या कहा?
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बड़ी बैठक आयोजित की जा रही है। संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन सर संघचालक मोहन भागवत ने किया। बैठक में संघ के 32 आनुसंगिक संगठनों के 1400 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। संघ ने तमिलनाडु के परिसीमन और रुपये के प्रतीक विवाद को राजनीति से प्रेरित करार दिया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रुपये के प्रतीक चिह्न को तमिल भाषा में बदलने और परिसीमन को लेकर छिड़े विवाद को आरएसएस ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है। बेंगलुरू में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक से पहले आरएसएस के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने मणिपुर में स्थायी शांति लौटने की उम्मीद जताई, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच की खाई पाटने में लंबा समय लग सकता है।
इन मुद्दों पर होगी चर्चा
उन्होंने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए मोदी और योगी दोनों सरकारों की तारीफ की। सर संघचालक मोहन भागवत ने तीन दिवसीय बैठक का उद्घाटन किया। मुंकद के अनुसार आरएसएस के 32 आनुसंगिक संगठनों के प्रमुखों के साथ 1400 से अधिक प्रतिनिधियों की बैठक में देश के सामने मौजूद सभी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इनमें हिंदी विरोध और परिसीमन के नाम पर उत्तर और दक्षिण भारत को बांटने की कोशिश से लेकर मणिपुर में जारी हिंसा शामिल है।
आरएसएस हमेशा मातृभाषा में पढ़ाई के पक्ष में
मुकुंद ने कहा कि रुपये का प्रतीक चिन्ह बदलना और परिसीमन का मुद्दा राजनीतिक से प्रेरित है, क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि परिसीमन में दक्षिण भारत की एक भी सीट नहीं घटेगी। सीटें बढ़ने की स्थिति में उत्तर भारतीय राज्यों के समानुपात में बढ़ेगी।
डीएमके के हिंदी विरोध पर मुकुंद ने साफ किया कि आरएसएस हमेशा मातृभाषा में पढ़ाई और कामकाज की बात करता है। इसके अलावा जहां आप रहते हैं उस क्षेत्र की भाषा और कैरियर के लिए स्वेच्छा से कोई भी भाषा चुनने की छूट होनी चाहिए।
मणिपुर में हालात सामान्य बनाने का प्रयास
उन्होंने देश में बंटवारे की कोशिशों पर चिंता जताई। मणिपुर हिंसा से जुड़े सवाल पर मुकुंद ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक 20 से महीने मैतेयी और कुकी दोनों इलाकों में राहत सहायता का काम कर रहे हैं। आरएसएस की पहल से दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों की बैठकें भी हुई हैं। राष्ट्रपति शासन लगाने के साथ ही केंद्र सरकार भी हालात को सामान्य बनाने और दोनों समुदायों में आपसी भरोसा कायम करने का प्रयास कर रही है।
ताजा हालात मणिपुर में शांति की उम्मीद जगाते हैं, लेकिन इसमें समय लगेगा। मुकुंद के अनुसार बैठक में सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की ओर से पिछले साल की प्रमुख गतिविधियों का ब्योरा पेश किया गया। इसमें महाकुंभ भी शामिल है। मुकंद ने आरएसएस पिछले साल की तुलना में संघ की शाखाओं के विस्तार, स्वयंसेवकों की संख्या में बढ़ोतरी, युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता और ग्रामीण इलाकों में गतिविधियों के विस्तार के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
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