यमुना के बाढ़ से परेशान ग्रामीणों ने की ऊंची जमीन पर गांव बसाने की मांग, प्रशासन को सौंपा प्रस्ताव
फरीदाबाद के लतीफपुर और दूल्हेपुर के ग्रामीणों ने यमुना में बाढ़ से बचाव के लिए ऊँची भूमि पर बसाने की मांग की है। उन्होंने जिला पंचायत अधिकारी को प्रस्ताव सौंपा जिसमें बाढ़ से होने वाले नुकसान का हवाला दिया गया। ग्रामीणों ने पहले भी उपायुक्त से प्लाट देने की मांग की थी। अधिकारी ने प्रस्ताव सरकार को भेजने की बात कही है।

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़। यमुना में आने वाली बाढ़ से बचाव को लेकर ऊंची भूमि पर बसाने की मांग को लेकर लतीफपुर और दूल्हेपुर के ग्रामीणों ने बुधवार को सेक्टर-12 लघु सचिवालय में जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी प्रदीप कुमार को ग्राम सभा व पंचायत का प्रस्ताव सौंपा। इसमें उन्होंने यमुना से ऊंची भूमि पर बसाने की मांग की है ताकि बाढ़ आने पर कोई दिक्कत न हो।
...ताकि उन्हें नुकसान न उठाना पड़े
इस प्रस्ताव के माध्यम से ग्रामीणों ने कहा है कि उनके गांवों को यमुना में बाढ़ आने पर पानी चारों तरफ से घेर लेता है। हर वर्ष प्रशासन उन्हें पानी से निकाल कर लाता है और प्रशासन की तरफ से बनाए गए बाढ़ राहत शिविर में ठहरना पड़ता है। पानी से उनके मकान खराब हो जाते हैं। उन्हें जन-धन की हानि उठानी पड़़ती हैं। बाढ़ से हाेने वाले नुकसान को देखते हुए उन्हें यमुना से ऊंची भूमि पर बसाया जाए, ताकि उन्हें नुकसान न उठाना पड़े।
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'गांवों को ऊंची भूमि पर बसाया जाए'
इस वर्ष जब बाढ़ आई तो उन्होंने उपायुक्त विक्रम सिंह से ऊंची भूमि पर 100-100 गज के प्लाट देने की मांग की थी। उपायुक्त ने उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया था। 1924 में शाहजहांपुर को फैजपुर खादर और ईमामुद्दीनपुर पंचायत की भूमि पर तथा साहूपुरा खादर को अरुआ गांव की पंचायती भूमि पर बसाया जा चुका है।
तत्कालीन गुरुग्राम के उपायुक्त एफएल ब्रेन ने यमुना में आने वाली बाढ़ को देखते हुए इन दोनों गांवों को बसाने के आदेश दिए थे। इसी तरह से अब उनके गांवों को ऊंची भूमि पर बसाया जाए।
कीमत सर्किल रेट
जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी प्रदीप कुमार को प्रस्ताव सौंपने वालों में प्रमुख रूप साहूपुरा खादर के सरपंच ताराचंद, रणजीत, गुरुदास, राजू, बलवंत, प्यारा सिंह, नेपाल सिंह, जसवंत, महेंद्र शामिल थे। जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी प्रदीप कुमार का कहना है कि उन्हें ग्रामीणों ने प्रस्ताव दे दिया है।
इस प्रस्ताव को अब सरकार के पास भेज दिया जाएगा। जितनी भूमि इन ग्रामीणों को प्लाॅट के लिए दी जाएगी, उतनी की कीमत सर्किल रेट के अनुसार ले ली जाएगी। इन गांवों की भूमि को उस गांव की पंचायत को दे दिया जाएगा, जहां पर ग्रामीणों को प्लाॅट दिए जाएंगे।
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