Dupahiya Review: मोटरसाइकिल की चोरी से लेकर गांव की राजनीति तक, क्या ‘पंचायत’ से आगे निकल पाई ‘दुपहिया’?
ओटीटी पर गांव की कहानी को दिखाने वाली सीरीज को खासा पसंद किया जाता है। इसका एक मजबूत उदाहरण पंचायत सीरीज है। अब अमेजन प्राइम वीडियो पर धड़कपुर गांव की स्टोरी दिखाने वाली वेब सीरीज दुपहिया (Dupahiya Web Series) रिलीज हो चुकी है। अगर आप इसे देखने की योजना बना रहे हैं तो पहले रिव्यू (Dupahiya Review) जरूर पढ़ लें।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। क्राइम, हिंसा और गाली गलौज से भरी ओटीटी की दुनिया में पिछले कुछ सालों में छोटे शहरों की कहानियों में पंचायत, गुल्लक, ये मेरी फैमिली, जामताड़ा: सबका नंबर आएगा ने दर्शकों को काफी आकर्षित किया है। अब अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई कामेडी ड्रामा सीरीज दुपहिया (Duphaiya) भी गांव की पृष्ठभूमि पर बनी दिलचस्प कहानी है। यह शो ग्रामीणों की सादगी, मासूमियत के साथ उनकी समस्याओं, संघर्ष और उसके निदान को हल्के फुल्के अंदाज में पेश करता है। पंचायत के बाद अमेजन प्राइम वीडियो पर आई यह सीरीज बेहतरीन अभिनय, चुटीकले संवाद और सामाजिक विषय के कारण दिल को छूती है।
दुपहिया की कहानी
वेब सीरीज की कहानी काल्पनिक धड़कपुर गांव में सेट है, जिसे ‘बिहार का बेल्जियम’ भी कहा जाता है। यह गांव अपराध मुक्त होने के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने की तैयारी में हैं। सरकारी स्कूल में अस्थायी प्रधानाचार्य बनवारी झा (गजराज राव) अपनी बेटी रोशनी (शिवानी) की शादी में दहेज के तौर पर अपनी आजीवन जमा पूंजी से दो लाख रुपये की मोटरसाइकिल खरीदते हैं। दरअसल, दामाद की शर्त होती है कि दुपहिया मिलेगा तभी शादी होगी। वह उसे अपने स्कूल के एक कमरे में बंद कर देते हैं ताकि हर कोई उस पर बैठे नहीं। उनका बेटा भूगोल (स्पर्श श्रीवास्तव) रील बनाने का जुनूनी है। वह गुपचुप तरीके से बाइक को निकाल कर रील बनाने की तैयारी करता है, लेकिन एक बदमाश उसे लूटकर भाग जाता है।
बनवारी अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं कराते वरना गांव का रिकार्ड खराब हो जाएगा। रोशनी की शादी में आठ दिन बचे हैं। इन आठ दिनों में कैसे होगा मोटरसाइकिल का इंतजाम ? इसके साथ ही दुपहिया की आड़ में बनवारी के परिवार के साथ गांव के कई लोगों की जिंदगी की परतें खुलती हैं। सबके अपने सपने और महत्वाकांक्षाएं हैं। रोशनी इंतजार में है कि शहर जाने का उसका सपना पूरा होगा। पंचायत की सदस्य पुष्पालता (रेणुका शहाणे) सरपंच बनने की ख्वाहिश रखती हैं। वहीं भूगोल अपने पिता के सामने खुद को साबित करना चाहता है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, दुपहिया हंसने हंसाने के साथ कहीं-कहीं झकझोरने का काम करता है।
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डायरेक्शन और लेखन कैसा है?
सोनम नायर की निर्देशित इस कामेडी ड्रामा सीरीज की कहानी में नवीनता के साथ चुटकीले संवाद, समकालीन मुद्दे और कलाकारों का शानदार अभिनय है जो इसे दर्शनीय बनाता है। इसके साथ ही यह सीरीज जीवन की उम्मीदों, आकांक्षाओं और दुविधाओं का सूक्ष्मता से चित्रण करती है। अच्छी बात यह है कि चिराग गर्ग और अश्विनी द्विवेदी द्वारा लिखित यह शो महिलाओं को सजावटी या मूकदर्शक के रूप में पेश नहीं करता। जब दूल्हे को चुनने की बात आती है तो रोशनी की आवाज बुलंद होती है, पुष्पलता जानती है कि एक अच्छी नेता कैसे बनें और पुरुष-प्रधान दुनिया में कैसे काम करवाएं। पुष्पलता की सांवली बेटी शिक्षिका है, जिसका गांव में सम्मान है। वहीं गांव की साधारण जीवन शैली, रात में बिजली कटौती, छतों पर सोना, महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए गांव के सभी लोगों का एक विशाल नीम के पेड़ के नीचे एकत्रित होना जैसे दृश्य बहुत सहजता हमें ग्रामीण दुनिया में ले जाते हैं जो हिंदी फिल्मों में कहीं खो गया है।
एक्टिंग कैसी है?
सीरीज को दिलचस्प बनाने में इसकी शानदार कास्टिंग को भी श्रेय जाता है। अपनी बेहतरीन कॉमेडी टाइमिंग के लिए विख्यात गजराज राव बनवारी झा की भूमिका में चमकते हैं। परंपरा और अपनी बेटी की इच्छाओं के बीच फंसे एक पिता का सूक्ष्म चित्रण एक अभिनेता के रूप में उनकी गहराई का बेहतरीन उदाहरण है। रील बनाने के लिए जुनूनी भूगोल की भूमिका में स्पर्श श्रीवास्तव इस सीरीज का खास आकर्षण हैं। वह हर सीन में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहते हैं। चाहें डांस, हो या पिता से तकरार या अपनी हनक दिखाना हो हर दृश्य में वह प्रभाव छोड़ते हैं। उनकी कामिक टाइमिंग भी बेजोड़ है। वह भविष्य के उभरते सितारे हैं। रोशनी के रूप में शिवानी रघुवंशी मासूम लगी हैं। वह अपनी भूमिका में जंचती हैं। पूर्व प्रेमी अमावस की भूमिका में भुवन अरोड़ा का काम उल्लेखनीय हैं। उनके पात्र में खामी है, लेकिन दिल पर पत्थर रखकर रोशनी के लिए दूसरा दुपहिया लाने की कोशिशें और उसके भविष्य को लेकर चिंता का वह सटीक चित्रण करते हैं।
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पंचायत की सदस्य की भूमिका में बिहारी उच्चारण के साथ महत्वाकांक्षी पुष्पलता की भूमिका को रेणुका शहाणे शिद्दत से निभाती हैं। एएसआई मिथिलेश के रूप में यशपाल शर्मा धड़कपुर के पहले अपराध को सुलझाने के अपने प्रयास में ईमानदार लगते हैं। बाकी सहयोगी कलाकारों के बीच की केमिस्ट्री भी लाजवाब है। दुपहिया को केंद्र में रखकर बनी यह सीरीज मनोरंजन के साथ महिलाओं को कमतर न समझने का संदेश भी भी खूबसूरती दे जाती है। कुल मिलाकर इस सीरीज को हमारी तरफ से 3.5 स्टार दिए जा रहे हैं। आप ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर इसका लुत्फ उठा सकते हैं।
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