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    Exclusive: 'भाभी जी घर पर हैं' और बाक़ी सब 'घुइयों के खेत' में!

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Fri, 30 Dec 2016 01:35 PM (IST)

    मनोज का कहना है कि शो के किरदार गढ़ते हुए कई बार उनके सामने वे अब तक जिनसे भी मिले हैं, उनके सामने उन लोगों का चेहरा सामने जरूर आया, जिनसे वे रियल जिंदगी में मिल चुके हैं।

    अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। एंड टीवी के शो भाभी जी घर पर हैं के नियमित दर्शक हैं तो इस शो के माध्यम से आप कई बार घुइया के खेत में गए ही होंगे। अब जाएं भी क्यों ना, शो के सारे कलाकार हर बात में एक दूसरे को घुइया के खेत में ही तो भेजते रहते हैं। तो हमने सोचा कि हम अपने पाठकों को आज इस घुइया के खेत की सैर करवा ही दें, कि आखिर इस शो में यह तकियाकलाम इतना लोकप्रिय क्यों है।

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    यह जानने के लिए हमने शो के लेखक मनोज संतोषी से बातचीत की, तो उन्होंने हमें बहुत दिलचस्प अंदाज़ में यह बात बताई कि चूंकि यह शो कानपुर की पृष्ठभूमि पर आधारित है, इसलिए वहां की ही कहावत को इस्तेमाल किया गया है। इस कहावत से सम्बंधित दिलचस्प बात यह है कि भाभीजी शो की वजह से यह कहावत इतनी लोकप्रिय हो चुकी है, कि गूगल में भाभीजी और घुइया शब्द एक साथ काफी सर्च किये गए हैं। बकौल मनोज घुइया कोई काल्पनिक नाम नहीं है। जो उत्तर प्रदेश से राब्ता रखते होंगे इस बात से वाकिफ होंगे कि घुइया क्या है। घुइया एक सब्जी का नाम है, जिसे बाकी प्रदेशों में अरुई (अरबी) कहकर बुलाते हैं।

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    मनोज बताते हैं कि इस कहावत के अनुसार उत्तर प्रदेश में उन लोगों को घुइया के खेतों में भेजा जाता है, जो किसी काम के नहीं होते। चूंकि इस सब्जी को बाकी सब्जियों की तरह उतनी अधिक लोकप्रियता प्राप्त नहीं है, क्योंकि यह बाकी सब्जियों की तरह उतनी स्वादिष्ट नहीं होती। मनोज का मानना है कि जितनी लोकप्रियता इस शो में कलाकारों को मिली है। इस शो के तकियाकलाम भी उतने ही हिट हुए हैं। फिर चाहे हो सही पकडे हैं हो, या फिर आई एम सॉरी, आई एम रियली वैरी सॉरी हो या फिर घुइया के खेत में हो।

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    मनोज यह भी बताते हैं कि उनके इस शो की यूएसपी है कि शो के ना सिर्फ मुख्य कलाकार, बल्कि शो के बाकी केरेक्टर आर्टिस्ट का किरदार भी उतनी ही मेहनत और रुचिकर तरीके से लिखा जाता है और दर्शकों को वे सरे किरदार पसंद आते हैं। मनोज का कहना है कि शो के किरदार गढ़ते हुए कई बार उनके सामने वे अब तक जिनसे भी मिले हैं, उनके सामने उन लोगों का चेहरा सामने जरूर आया, जिनसे वे रियल जिंदगी में मिल चुके हैं।

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    उन्होंने बताया कि सक्सेना का किरदार उन्होंने एक रियल कैरेक्टर से प्रभावित होकर रखा था। यहां तक कि रिक्शे वाले का किरदार भी रियल जिंदगी से प्रभावित है। बताते चलें कि मनोज को इस साल इंडियन टेलीविजन अकेडेमी में लेखन की केटगरी में इसी शो के लिए अवार्ड से नवाज़ा गया है।