Salaar Part-1 Ceasefire Review: 'केजीएफ 2' के बाद प्रशांत नील की दमदार पेशकश, प्रभास-पृथ्वीराज ने जमाया रंग
Salaar Part-1 Cease Fire Review प्रशांत नील की फिल्म सालार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस साल प्रभास की यह दूसरी फिल्म है। इससे पहले आई आदिपुरुष को काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी नहीं चली थी। अब सालार से उनकी दमदार वापसी की उम्मीद लगाई जा रही है। फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन पैरेलल लीड रोल में हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Salaar Movie Review: फिल्म में एक दृश्य है, जब देवा (प्रभास) विशालकाय देवी मां की मूर्ति के सामने एक बूढ़ी औरत से हो रहे अत्याचारों को लेकर कहता है कि तुम्हारे तरीके ही गलत हैं। दरअसल, वह यह बताने की कोशिश थी कि अन्याय के खिलाफ उन्हें ही खुद ही लड़ाई लड़नी होगी।
यह दृश्य नायक का महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर बताने के लिए काफी था। यह संवाद फिल्म में भले ही देर में आता है, लेकिन उसकी झलक लेखक और निर्देशक प्रशांत नील ने आरंभ में ही दे दी। सही मायने में यह फिल्म सत्ता, वफादारी, विश्वासघात और नेतृत्व के अधिकार जैसे विषयों की पड़ताल करती है। साथ ही सत्ता के प्रति लोभ और निजी स्वार्थों के लिए राजनीतिक साजिशों और व्यक्तिगत निष्ठाओं को दर्शाती है।
क्या है सलार की कहानी?
कहानी साल 1985 में दस साल के दो जिगरी यारों देवा और वर्धा मन्नार से आरंभ होती है। यहां से दोनों के स्वभाव और उनकी दोस्ती की गहराई का पता चलता है। फिर कहानी साल 2017 में आती है। सात साल में अलग-अलग जगहों में रह चुका देवा अपनी मां (ईश्वरी देवी) के साथ असम के सुदूर तिनसुकिया गांव में रहता है।
यह भी पढ़ें: Salaar Twitter Review: 'सालार' ने लगाई प्रभास की डूबती नैया पार या हुआ बंटाधार? दर्शकों ने बता दिया फैसला
उसकी मां उसकी आने-जाने के समय को लेकर बहुत नजर रखती है। देवा भी आज्ञाकारी बेटे की तरह उसकी हर बात मानता है। बच्चों के बीच लोकप्रिय देवा अपने काम से काम रखता है। आध्या (श्रुति हसन) के आने के बाद नाटकीय घटनाक्रम में देवा की ताकत और आक्रामकता सामने आती है।
बेहद शांत और चुपचाप रहने वाला देवा वन मैन आर्मी है। वह अकेले ही सैकड़ों लोगों का काम तमाम कर सकता है। आध्या को कुछ अज्ञात लोग हाथ में एक विशेष सील लगाकर अगुवा कर लेते हैं। उस सील का ऐसा खौफ है कि पुलिस से लेकर राजनेता तक कोई उस पर बात नहीं करता। आध्या को बचाने के बाद देवा का साथी उसके अतीत के बारे में बताता है।
कैसा है फिल्म का स्क्रीनप्ले?
कन्नड़ अभिनेता यश अभिनीत केजीएफ: चैप्टर 1 और केजीएफ: चैप्टर 2 का लेखन और निर्देशन कर चुके प्रशांत नील एक बार फिर से दो पार्ट में बनने वाली कहानी लेकर आए हैं। ‘सलार’ की रिलीज से पहले ही उन्होंने इसे दो हिस्सों में बनाने की घोषणा की थी।
सलार: पार्ट 1 सीजफायर में उन्होंने कहानी रोचक मोड़ पर छोड़ी है। उन्होंने जटिल विवरण के साथ देश के नक्शे से हटाए गए खानसार शहर को रचा है, जिसमें अफगानिस्तान के शासक मुहम्मद गजनी से लेकर और वर्तमान समय के बीच की पटकथा के साथ कई पात्रों को स्थापित किया है।
यहां पर तीन कबीले और उनके सरदार हैं। वह अपने नियमों को मानने के लिए बाध्य हैं। नील ने कहानी की शुरुआत से देवा के किरदार को रहस्यमयी बनाया है। प्रशांत ने देवा की एंट्री दमदार तरीके से की है। देवा के लार्जर दैन लाइफ किरदार को स्थापित करने के लिए नील ने प्रभास को कई शानदार मौके दिए हैं, जहां उनका स्वैग झलकता है।
यह भी पढ़ें: Salaar को बर्बाद करने के आरोप निकले सही, मुंबई के थिएटर मालिक ने फिल्म की रिलीज रोकने का किया खुलासा
आरंभ में फिल्म थोड़ा धीमी है, इंटरवल के बाद उसमें दिलचस्प मोड़ आते हैं। प्रशांत ने प्रचलित सिनेमा के ढांचे से अलग जाकर कहानी को कहा है, जिसमें रहस्य के साथ एक्शन और ड्रामे के रोमांच को बनाए रखा है। खास बात यह है कि करीब तीन घंटे की इस फिल्म में कोई रोमांस या आइटम सांग नहीं है।
मध्यांतर से पहले फिल्म में स्कूली बच्चों द्वारा और दूसरे भाग में कबीले की बच्चियों द्वारा गाए गए गए गाने परिस्थितिजन्य हैं। वह कहानी को आगे बढ़ाते हैं। फिल्म में एक्शन की भरमार है। कई दृश्य दिल दहलाने वाले भी हैं। केजीएफ की तर्ज पर यहां पर फिल्म को नीम रोशनी में शूट किया गया है।
कैसा है कलाकारों का अभिनय?
प्रभास के हिस्से में भले ही संवाद कम हो, वह एक्शन में सक्षम और गतिशील हैं। इस रोल और एक्शन में जंचते हैं। उन्होंने देवा के शांत और आक्रामक व्यक्तित्व को संतुलित तरीके से निभाया है। देवा के जिगरी दोस्त वर्धा की भूमिका में पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने किरदार के द्वंद्व को समझा और प्रस्तुत किया है।
दोनों के बचपन को निभाने वाले बाल कलाकार का अभिनय भी उल्लेखनीय है। श्रुति हसन के हिस्से में कुछ खास नहीं आया है। श्रिया रेड्डी को दमदार भूमिका मिली है। उसे उन्होंने अपने अभिनय से दर्शनीय बनाया है। फिल्म में ढेर सारे किरदार हैं। इनमें राजा मन्नार की भूमिका में जगपति बाबू सटीक कास्टिंग हैं।
वहीं, सहयोगी भूमिका में आए कलाकार बाबी सिम्हा, टीनू आनंद, ईश्वरी राव समेत बाकी कलाकार अपना पूरा योगदान देते हैं। फिल्म का आकर्षण सिनेमेटोग्राफी भी है, जो माहौल का सुर पकड़ती है और दर्शकों को उस तनाव भरी दुनिया से बांधकर रखती है। रवि बसरुर का साउंडट्रैक फिल्म के साथ सुसंगत है। फिल्म में कई सवाल अनुत्तरित हैं, जिनके सवाल निश्चित रूप से अगले पार्ट में मिलने की पूरी संभावना है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।