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    Raid 2 Movie Review: नए कलेवर में पुरानी कहानी , क्‍या 'रेड 2' मार पाएगी बाजी; पढ़ें कैसी है एक्टिंग?

    Updated: Thu, 01 May 2025 03:19 PM (IST)

    बॉलीवुड फिल्‍म रेड रिलीज होने के सात साल बाद इसका सीक्वल रेड 2 आया है। इसमें आयकर अधिकारी अमय पटनायक की नई कहानी है। साफ-सुथरी छवि वाले नेता और ईमानदार अधिकारी के बीच टकराव काली कमाई की खोज और फिर निलंबन जैसे कई ट्विस्‍ट आते हैं कहानी में यहां पढ़ें कैसी है फिल्‍म रेड 2?

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    रेड 2 मूवी रिव्यू: अजय देवगन की वापसी, जानिए कैसी है सीक्वल की कहानी।

     स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई।करीब सात साल पहले आई फिल्‍म रेड में आयकर विभाग अधिकारी अमय पटनायक (अजय देवगन) ने दबंग राजनेता ताऊजी (सौरभ शुक्‍ला) के घर पर छापेमारी की थी। फिल्म को बॉक्‍स ऑफिस पर बड़ी सफलता मिली थी। अब इसकी सीक्‍वल रेड 2 आई है। यह नए कलेवर में पुरानी कहानी है।

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    क्‍या है रेड 2 की कहानी?

    रेड 2 में कहानी सात साल आगे बढ़ चुकी है। इनकम टैक्स कमिश्नर अमय जयपुर में कार्यरत हैं। वह राजा कुंवर (गोविंद नामदेव) के घर छापेमारी करते हैं और उनकी काली आय को बरामद कर लेते हैं।

    रिश्वत मांगने की वजह से 74वीं बार उनका स्थानांतरण भोज में कर दिया जाता है। अमय अपनी पत्‍नी मालिनी (वाणी कपूर) और बेटी मिनी (प्रतीक्षा श्रीवास्तव PRITISHA SRIVASTAVA) के साथ वहां किसी खास मकसद से आते हैं।

    भोज के दबंग मंत्री दादा भाई (रितेश देशमुख) अपनी अम्मा सुषमा (सुप्रिया पाठक) को भगवान से ऊपर पूजते हैं। वह उनके नाम पर फाउंडेशन चलाते हैं। दादा भाई की साफ सुथरी छवि अमय को खटकती है। अमय उसकी संस्‍था, काली आय, बेनामी कंपनी और अकूत सोने के बारे की जानकारी जुटाते हैं, लेकिन छापा मारने पर उनके हाथ कुछ नहीं लगता।

    दादा भाई अमय को टिप्‍स देते हैं कि पांचवीं और सबसे जरूरी चीज जिसे आप ढूंढ भी नहीं रहे थे, आपकी आंख के सामने थी और रहेगी पर आप उसे ढूंढ नहीं पाएंगे। अमय को निलंबित कर दिया जाता है। इस दौरान एक भ्रष्‍ट आयकर अधिकारी ललन (अमित सियाल) की नियुक्ति अमय की जगह होती है। वह दादा भाई की सेवा में समर्पित रहता है।

    उधर, अमय भी चुप नहीं बैठता। वह दादा भाई का पर्दाफाश करने में जुट जाता है। वह वकील देवेंद्रर गहलोत (यशपाल शर्मा) के जरिए जनहित याचिका दायर करते हैं। अदालत दादा भाई के भोज आने पर रोक लगाती है। फिर अमय किस प्रकार दादा भाई की काली संपत्ति को खोजता है फिल्‍म इस संबंध में हैं।  

    किसने लिखी है Raid 2  की पटकथा?

    राजकुमार गुप्ता ने रितेश शाह, जयदीप यादव और करण व्यास के साथ मिलकर फिल्म की पटकथा लिखी है।

    कहां अटकती है फिल्‍म?

    इंटरवल से पहले का हिस्‍सा धीमी गति से बढ़ता है। यहां पर दादा भाई और अमेय के बीच तकरार दिखाई गई है, लेकिन वह बहुत प्रभावशाली नहीं बन पाई है। दादा भाई के सम्मोहक हाव-भाव के बावजूद उनकी खतरनाक गतिविधियां, अमय की आसान जीत से कमज़ोर लगती है।

    पहले छापेमारी के दौरान दोनों के बीच थोड़े समय के लिए तनाव आता है, लेकिन फिर गायब हो जाता है। यह स्‍क्रीन प्‍ले को कमजोर बनाती है।

    जेल में बंद  ताऊजी अमय को याद करते रहते हैं। दादा भाई के यहां छापेमारी से वह खुश होते हैं, लेकिन दोनों के बीच रिश्‍ता क्‍या है? यह बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट नहीं है। मूल फिल्‍म में  ताऊजी का पात्र दमदार था, लेकिन सीक्‍वल में कुछ भी खास नहीं जोड़ता है।

    इसी तरह अमय रेड अलर्ट एरिया में सोने की जांच करवाने क्‍यों जाता है स्‍पष्‍ट नहीं है। जांच सरकारी है, लेकिन घिसे-पिटे फिल्‍मी फॉर्मूले की तरह यौन शोषण की शिकार लड़कियों को सामने लाने का जिम्‍मा मालिनी उठाती है। यह खटकता है।

    सुधीर कुमार चौधरी की सिनेमेटोग्राफी ग्रामीण परिवेश को बेहतर तरीके से दिखाती है। फिल्‍म के कुछ संवाद चुटकीले अवश्‍य हैं। इंटरवल के बाद फिल्‍म गति पकड़ती है। क्‍लाइमेक्‍स भी मूल फिल्‍म सरीखा ही रखा है। बस उसे थोड़ा सा ट्विस्ट दे दिया गया है।

    Raid 2 में किसकी है दमदार एक्टिंग?

    अजय देवगन यहां पर अपने चिरपरिचित अंदाज में हैं। उन्‍हें इस तरह धीर गंभीर भूमिका में पहले भी देखा गया है। दादा भाई की भूमिका में रितेश देशमुख जंचते हैं। वह दादा भाई की कुटिलता, चपलता और दोगलेपन को सहजता से आत्मसात करते हैं। वाणी के हिस्‍से में कोई दमदसार सीन या डायलॉग नहीं हैं।

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    फिल्‍म का खास आकर्षण अमित सियाल है। उनकी स्‍क्रीन पर उपस्थिति चेहरे पर मुस्कान लाती है। वह हर सीन में अपना प्रभाव छोड़ते हैं। वकील की भूमिका में यशपाल भी प्रभावी हैं। मां की भूमिका में सुप्रिया पाठक दी गई अपनी भूमिका साथ न्‍याय करती हैं।  

    बैकग्रांउड में बजता कर्ज फिल्‍म का गाना पैसा ये पैसा... सुनना अच्‍छा लगता है। बाकी फिल्‍म का गीत संगीत अप्रभावी है। तमन्‍ना भाटिया का आइटम सांग नशा जे तू कर लें याद नहीं रहता। 

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