Mili Review: मौत से आंखें मिलाती नजर आईं जाह्नवी कपूर, खून जमा देने वाले थ्रिल और इमोशन से भरपूर है 'मिली'
Mili Movie Review जाह्नवी कपूर की मिली लोगों को पसंद आ रही है। फिल्म में वो मौत से दो-दो हाथ करती दिखीं उनकी जबरदस्त एक्टिंग के दर्शक कायल हो रहे हैं। तो टिकट बुक करने से पहले यहां पढ़ें मिली का रिव्यू

मुंबई, स्मिता श्रीवास्तव। Mili Movie Review: हिंदी सिनेमा में इस साल विक्रम वेधा, जर्सी समेत कई रीमेक फिल्में रिलीज हुई हैं। इन रीमेक फिल्मों को ज्यादातर मूल फिल्मों के निर्देशकों ने ही बनाया हैं। रीमेक में फर्क इतना होता है कि किरदार और जगह को परिवर्तित कर दिया जाता है। बाकी फ्रेम दर फेम वहीं चीजें देखने को मिलती हैं। मिली भी मलयालम फिल्म हेलेन की हिंदी रीमेक है। मूल फिल्म का निर्देशन करने वाले माथुकुट्टी जेवियर ने ही मिली का भी निर्देशन किया है। मलयालम वर्जन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ डेब्यू डायरेक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
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मुश्किल हालात में फंसी लड़की की कहानी
अल्फ्रेड कूरियन जोसेफ (Alfred Kurian Joseph), नोबेल बाबू थामस (Noble Babu Thomas) और माथुकुट्टी जेवियर (Mathukutty Xavier) ने सत्य घटना से प्रभावित होकर ओरिजिनल फिल्म हेलेन लिखी थी। यह कहानी प्रतिकूल परिस्थिति में फंसी एक लड़की के वहां से निकलने और अपने जीवन को बचाने की जद्दोजहद की है। इससे पहले राजकुमार राव अभिनीत फिल्म ट्रैप्ड भी इसी तरह के सर्वाइवल ड्रामा पर आधारित थी।
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मिली नौटियाल का किरदार
मिली की कहानी उत्तराखंड के देहरादून शहर में सेट है। नर्सिंग का कोर्स कर चुकी मिली नौटियाल (जाह्नवी कपूर) अपने पिता (मनोज पाहवा) के साथ रहती है। फास्ट फूड रेस्त्रां में पार्ट टाइम जॉब करने वाली 24 साल की मिली बेहतर भविष्य और पैसा कमाने के लिए कनाडा जाना चाहती है, जिसके लिए वह आइईएलटी की परीक्षा पास करना चाहती है। मिली, नौकरी की तलाश रहे समीर (सनी कौशल) नाम के लड़के से प्यार करती है। मिली चाहती है कि समीर की नौकरी लगने के बाद ही वह उसे अपने पिता से मिलवाए। पर एक रात फ्रीजर में सामान रखने के दौरान वह वहीं पर बंद हो जाती है। वहां से वह कैसे बच पाती है? कहानी इस सर्वाइवल के इर्द-गिर्द के घूमती है।
सेकेंड हाफ है थ्रिलिंग
मूल फिल्म में हेलेन और उसके प्रेमी का धर्म अलग होता है, जबकि मिली में उस पहलू को हटाते हुए सिर्फ जाति को अलग बताया गया है। कहानी का फर्स्ट हाफ पिता-पुत्री की बांडिंग और मिली का अपने बेरोजगार प्रेमी के साथ रिश्ते को दर्शाने में लंबा खींचा गया है। कहानी में तेजी मिली के फ्रीजर में बंद होने के बाद आती है। फ्रीजर में अकेले बंद होने का अहसास ही इंसान को काफी डरा देता है। उन हालात में इंसान या तो हार मान लेता है या जीवन के लिए आखिरी सांस तक जिंदगी की लड़ाई लड़ता है। मिली भी हार नहीं मानती, खुद को ठंड से बचाने के लिए वह तमाम जतन करती है।
और बेहतर बन सकती थी फिल्म
लेखक और निर्देशक ने एक तरफ मिली के लिए परेशान माता-पिता की चिंता और दूसरी ओर पुलिस के गैर-जिम्मेदाराना रवैया में अच्छा संतुलन साधा है। इसके साथ ही कामकाजी महिलाओं को लेकर सामाजिक सोच पर भी प्रहार किया गया है। हालांकि, मिली के जीवन संघर्ष को थोड़ा और रोमांचक बनाया जा सकता था। उसकी लव स्टोरी के पहलू को भी बेहतर तरीके से दर्शाने की गुंजाइश थी।
जाह्नवी कपूर का काम है काबिल-ए-तारीफ
जाह्नवी कपूर के करियर की यह तीसरी रीमेक फिल्म है। मिली की मासूमियत, चुलबुलेपन और प्रतिकूल हालात में हिम्मत ना हारने के जज्बे को उन्होंने बहुत सहजता से निभाया है। सेकेंड हाफ में उनके हिस्से में ज्यादा डायलॉग नहीं हैं। खास तौर पर जब वह फ्रीजर में बंद होती हैं। उन्होंने ठंड से जूझ रही मिली की भावनाओं को अपनी आंखों, होंठों और शारीरिक हाव भाव के जरिए समुचित तरीके से व्यक्त किया है। वहीं, पिता की भूमिका में मनोज पाहवा प्रभावित करते हैं। प्रेमी के किरदार में सनी कौशल भी मासूम लगे हैं।
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फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट
विक्रम कोचर और अनुराग अरोड़ा का काम उल्लेखनीय है। जावेद अख्तर के लिखे गीत और ए आर रहमान का संगीत कोई जादू नहीं जगाता। मेकअप टीम की तारीफ करनी होगी, जिसने ठंडे माहौल में मिली के चेहरे की बदलती रंगत को तापमान के मुताबिक ढाला। इस मामले में आर्ट डायरेक्शन का काम भी काबिले-ए-तारीफ है। मिली सही मायने में साधारण लड़की की असाधारण कहानी है, जो इंसान को मुश्किल हालात में हार ना मानने का संदेश देती है।
फिल्म रिव्यू: मिली
प्रमुख कलाकार: जाह्नवी कपूर, सनी कौशल, मनोज पाहवा
निर्देशक: माथुकुट्टी जेवियर
अवधि: दो घंटा नौ मिनट
स्टार: तीन
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