Merry Christmas Review: 'अंधाधुन' के बाद थ्रिलर के साथ लौटे श्रीराम, कटरीना कैफ बनीं 'विजय' का 'सेतु'
Merry Christmas Review श्रीराम राघवन अंधाधुन के बाद मेरी क्रिसमस लेकर आये हैं। फिल्म पिछले साल दिसम्बर में रिलीज होने वाली थी मगर एनिमल और सैम बहादुर से क्लैश के चलते टाल दी गई। 2024 की यह पहली उल्लेखनीय फिल्म है। कटरीना कैफ और विजय सेतुपति की जोड़ी इसका प्रमुख आकर्षण है लेकिन क्या श्रीराम उम्मीदों पर खरे उतरे। पढ़ें रिव्यू।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। 2018 में आई आयुष्मान खुराना और तब्बू अभिनीत फिल्म अंधाधुन की अपार सफलता के बाद लेखक और निर्देशक श्रीराम राघवन मेरी क्रिसमस लाए हैं। श्रीराम की फिल्मों की खासियत ट्विस्ट्स और चुटीले संवाद होते हैं।
अपनी उस शैली को उन्होंने यहां पर भी कायम रखा है। शीर्षक के अनुरूप मेरी क्रिसमस की कहानी क्रिसमस की रात की है। यानी यह सिर्फ एक रात की कहानी है। हालांकि, इसे श्रीराम की सर्वश्रेष्ठ फिल्म नहीं कहा जा सकता।
क्या है मेरी क्रिसमस की कहानी?
कहानी तब की है, जब मुंबई 'बंबई' हुआ करती थी। यानी पिछली सदी के आठवें दशक की जब मोबाइल फोन ना होकर टेलीफोन बूथ हुआ करते थे। फिल्म का आरम्भ दो अजनबी मारिया (कटरीना कैफ) और अल्बर्ट (विजय सेतुपति) के एकसाथ फुटपाथ पर बातचीत से होता है।
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अल्बर्ट की गोद में मारिया की बेटी होती है। मारिया अपनी शादीशुदा जिंदगी से नाखुश हैं। वहां से उनके मुलाकात की परतें खुलती हैं। करीब सात साल बाद अल्बर्ट दुबई से अपने घर लौटा है। उसकी मां गुजर चुकी है। वह क्रिसमस की रात घूमने निकलता है, पर पुलिस को देखकर सहम जाता है।
इस दौरान दोनों एक रेस्तरां में मिलते हैं। फिर नाटकीय घटनाक्रम में मारिया की मदद के लिए अल्बर्ट उसे घर छोड़ने आता है। फिर बेटी को सुलाकर वे बाहर घूमने निकलते हैं। लौटने पर मारिया पाती है कि उसके पति ने सुसाइड किया है। वहां से कहानी मोड़ लेती है।
कैसा फिल्म का स्क्रीनप्ले?
यह फिल्म फ्रेडरिक दा के लिखे फ्रेंच उपन्यास ला मोंटे चार्ज पर आधारित है। श्रीराम राघवन, अरिजीत बिस्वास, पूजा लाधा सुरती और अनुकृति पांडे द्वारा लिखी पटकथा का तानाबना जटिल नहीं है।
यह काफी सहज और आसान है। हालांकि, आजकल जहां कहानियां तेज रफ्तार से आगे बढ़ती हैं, वहीं श्रीराम राघवन पहले ही फ्रेम से दर्शकों को सावधान की मुद्रा में बैठा देते हैं। वह शुरुआत में कौतूहल बनाए रखने के लिए टर्न्स और ट्विस्ट लगातार बनाकर रखते हैं।
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उन्होंने अल्बर्ट के अतीत को रहस्यमयी बनाकर रखा है। वह अपने किरदारों को खुलने का समय देते हैं। यहां पर उनका सिग्नेचर स्टाइल दिखता है। पिछली फिल्मों की तरह पुरानी फिल्मों का नास्टेल्जिया है। रेलवे स्टेशन पर वेइंग मशीन से टिकट निकलना उस पर राजेश खन्ना की तस्वीर दूसरी ओर कोई दिलचस्प कथन।
उस दौर के लोगों के बचपन की यादों को ताजा करेगा। श्रीराम दो नीरस लोगों की बातचीत में चुटीले संवादों से माहौल को हल्का फुल्का बनाए रखते हैं। हालांकि, मध्यांतर से पहले कहानी थोड़ा खिंची लगती है। अल्बर्ट के अतीत से जुड़े कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं।
हत्या की जांच को लेकर पुलिस का पक्ष भी कमजोर है। हत्या की रात जब मारिया घर में रुकने की बात कहती है तो किसी पुलिसकर्मी की घर पर तैनाती क्यों नहीं होती, यह जानने के बावजूद कि मां बेटी घर में अकेली हैं। फिल्म के क्लाइमैक्स पर लेखन स्तर पर और काम करने की जरूरत थी। श्रीराम और उनके लेखकों ने उसे प्रायोगिक बनाया, पर वह प्रभावी नहीं बन पाया है।
कैसी रही विजय और कटरीना की जोड़ी?
बहरहाल, फिल्म का आकर्षण कटरीना और विजय सेतुपति की जोड़ी है। दोनों पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर एक साथ नजर आए हैं। अल्बर्ट की भूमिका में विजय सेतुपति ने लेखक-निर्देशक श्रीराम राघवन की कल्पना को शिद्दत के साथ पर्दे पर उतारा है। उन्होंने अल्बर्ट के बदलते भावों को व्यक्त करने में अच्छी-खासी मेहनत की है।
डांस के एक दृश्य में विजय लुभाते हैं। इस फिल्म से कटरीना की कोशिश अपनी छवि बदलने की रही है। उसमें वह खरी उतरी हैं। संजय कपूर अपनी संक्षिप्त भूमिका में प्रभाव छोड़ते हैं। मेहमान भूमिका में अश्विनी कालसेकर खास तड़का लगाती हैं। वह अपनी भूमिका में याद रह जाती हैं। हालांकि, फिल्म का गीत संगीत खास प्रभावशाली नहीं बन पाया है।
FAQ
कितनी लम्बी है मैरी क्रिसमस?
144 मिनट
मैरी क्रिसमस कहां रिलीज हुई है?
सिनेमाघरों में
मैरी क्रिसमस का निर्देशक कौन है?
श्रीराम राघवन
मैरी क्रिसमस ओटीटी पर कब आएगी?
अभी तय नहीं है