Chhorii 2 Review: भूतनी नहीं सामाजिक कुरीतियों से डराती है छोरी 2, गहराई में ले जाते-जाते यहां चूक गई फिल्म
नुसरत भरूचा एक बार फिर से साक्षी बनकर लौट आई हैं। उनकी साल 2021 में रिलीज हुई छोरी का सीक्वल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ चुका है। एक बार फिर से अभिनेत्री कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों से लड़ती दिखाई दे रही हैं। अगर आप इस फिल्म के साथ दो घंटे बिताने की सोच रहे हैं तो उससे पहले यहां पर फिल्म का रिव्यू जान लीजिए

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। कहते हैं सिनेमा समाज का आइना होता है, उनमें दिखाए जाने वाले दृश्य कहीं न कहीं किसी न किसी की हकीकत से जुड़े होते हैं। ऐसी ही एक फिल्म लेकर साल 2021 में आई थीं नुसरत भरूचा। फिल्म का टाइटल था 'छोरी'। मूवी की समाज में प्रथा के नाम पर बेटियों के खिलाफ अपराध को अंजाम देने वालों की मानसिकता को दर्शाती हैं।
अब इसी कहानी को नुसरत भरूचा ने आगे बढ़ाया है अपनी हालिया ओटीटी रिलीज फिल्म 'छोरी-2' के साथ, जिसमें उनका साथ दिया सोहा अली खान और टीवी हार्टथ्रोब गश्मीर महाजनी ने। क्योंकि इस फिल्म की शैली हॉरर है, ऐसे में मन में ये सवाल जरूर उठता है कि क्या वाकई मूवी में कोई डरावने सीन हैं या फिर नहीं। किस तरह से छोरी 2 की कहानी आगे बढ़ी है और क्या इस फिल्म को देखने में आप दो घंटे वेस्ट तो नहीं कर देंगे। हर डिटेल जानने के लिए नीचे पढ़ें फिल्म की कहानी:
क्या है छोरी 2 की कहानी?
ये फिल्म हॉरर है या नहीं, इसके बारे में बात करने से पहले एक नजर 'छोरी-2' की कहानी पर डालते हैं। इस फिल्म की शुरुआत होती है साक्षी के प्रेजेंट के साथ, जो पति की हत्या करके गांव से भागने के बाद जैसे-तैसे शहर आती है और वहां पर बेटी ईशानी के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करती है। साक्षी टीचिंग की जॉब पकड़ लेती है, लेकिन उसकी बेटी सूरज की रोशनी में घर से बाहर नहीं निकल पाती, जिसकी वजह से वह टीचर से उसे घर से ही स्कूल करने की दरख्वास्त करती है। ऐसे ही फिल्म आगे बढ़ती है और वह अपनी बेटी का हौसला बढ़ाने और उसे सूप पिलाने के लिए हर दिन रात्रि की कहानी सुनाती है।
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साक्षी जिस घर में बेटी के साथ रहती है, वह एक पुलिस इंस्पेक्टर समर का घर होता है। फिल्म में इस कहानी को बहुत ही क्लियर दिखाया गया है कि कैसे वह 7 साल पहले पुलिस के सामने जाकर राजवीर को मारने का अपराध स्वीकार करती है, लेकिन जब वह गांव में जाते हैं तो वह न तो उसके सास-ससुर की लाश होती है और न ही राजवीर की बॉडी।जिसकी वजह से साक्षी पर कोई चार्ज नहीं लगता। 9 महीने प्रेग्नेंट नुसरत भरूचा बेहोश हो जाती हैं और समर उसे अस्पताल लेकर जाता है, जहां वह बेटी को जन्म देती है। उसके बाद से वह समर के घर पर ही रहने लगते हैं।
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नुसरत एक दिन जब काम से बाहर जाती है, तो इशानी घर पर अकेले होती है और उसे अचानक एक डरावना चेहरा ऊपर की तरफ दिखाई देता है। जिससे वह डर जाती है और मां के पास भागने लगती है। सीढ़ियों पर जाते-जाते वह डरावनी शक्ति उसे बस में कर लेती है और फिर जैसे ही इशानी घर से बाहर कदम रखती है कुछ लोग उसे उसी गांव में ले जाते हैं, जहां कुछ सालों पहले साक्षी फंसी थी। वहां इशानी दासी मां से मिलती है,जिसके पास काली शक्तियां हैं और जो उस गांव के प्रधान को जिन्दा रखने के लिए उन लड़कियों की बलि देती है, जो सूरज की रोशनी में नहीं जा सकती। साक्षी अपनी बेटी को बचाने के लिए गांव जाती हैं, तो उसे ये पता लगता है कि प्रथा के नाम पर आज भी बेटियों की उस गांव में बलि दी जा रही है। बस ऐसे ही कहानी को आगे बढ़ाया गया है और दिखाया गया है कि कैसे न सिर्फ अपनी बेटी को बचाने, बल्कि बेटियों की हत्या करने वालों के खिलाफ साक्षी लड़ती है।
क्या है मजबूत प्वाइंट और कहां चूक गए मेकर्स
अगर आपके मन में ये सवाल आ रहा है कि ये फिल्म हॉरर है या नहीं, तो छोरी 2 में कई सीन ऐसे हैं, जिन्हें देखकर आपको एक सेकंड का डर लगेगा। मेकर्स नुसरत भरूचा के कुएं वाले सीन और सोहा अली खान के सीन में ऑडियंस को बहुत ज्यादा डराने में असफल रहे हैं। हालांकि, इस फिल्म का एक प्लस प्वाइंट ये है कि सरल अंदाज में डायरेक्टर ने प्रथा के नाम पर चल रही समाज की उन कुरीतियों से पर्दा उठाया है, जो चल तो आज भी रही है, लेकिन लोग उसके बारे में बात करने से बचते हैं। ऐसी कुप्रथाएं किसी हॉरर फिल्म के भूत से भी ज्यादा डरावनी हैं।
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फिल्म की कहानी बेहद मजबूत है, मुद्दा भी अच्छा है, लेकिन फिल्म में कई लूप होल्स हैं। जैसे साक्षी की बेटी इशानी और दासी मां को सूरज से क्यों एलर्जी है ये आपको बिल्कुल समझ नहीं आएगा। दूसरा जब साक्षी अपने पति को मारती है, तो उसमें कई आत्माएं समां जाती हैं, लेकिन जब वह प्रधान से बेटी को बचाती है, फिर कमजोर हो जाती है और दासी मां उसे बचाती है। दासी जो अब तक कई बच्चों के बलि दे चुकी है, नुसरत की बेटी भी उसकी ममता नहीं जगा पाती, लेकिन नुसरत का एक डायलॉग उसके विचार बदल देते हैं, ये भी पचाना बेहद मुश्किल है।
फिल्म की एंडिंग नहीं हुई है, दासी मां और इशानी तो बच जाती हैं, लेकिन साक्षी उसी कुएं में प्रधान जी के साथ फंस जाती है। एंड में वह दासी से कहती है कि इसका मरना जरूरी है, वरना फिर वापस आएगा और फिल्म यहीं एंड हो जाती। छोरी 2 के एंड से ये तो क्लियर है कि इस फिल्म का तीसरा पार्ट भी मेकर्स लेकर आएंगे। आप इस फिल्म के साथ अपना वीकेंड मना सकते हैं, क्योंकि दो घंटे आप कहीं न कहीं इसी सस्पेंस में रहेंगे कि अब आगे क्या होगा।
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स्टारकास्ट ने कैसा किया है काम?
फिल्म की स्टारकास्ट की एक्टिंग की बात करें तो मूवी में सोहा अली खान ने दमदार कमबैक किया है। उन्होंने अपने किरदार को जितनी अच्छी तरह से पकड़ा, उतनी ही अच्छी दासी के रूप में बॉडी लैंग्वेज और भाषा का इस्तेमाल भी किया। नुसरत भरूचा भी अपने किरदार के साथ न्याय करती दिखीं, लेकिन एक-दो जगह वह चूक गईं। जैसे कुएं वाले सीन में जब उनके अंदर आत्मा आती है, तो न तो उनका बॉडी लैंग्वेज से ऐसा लगता है और न ही आवाज में डरावनापन दिखता है। गश्मीर महाजनी भी पूरी फिल्म का हिस्सा हैं, उनका किरदार बेहद सिंपल है और उसे उन्होंने अच्छी तरह से निभाया है। ओवरऑल आप अमेजन प्राइम वीडियो पर जाकर ये फिल्म जरूर देख सकते हैं।
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