Move to Jagran APP

1920 Horrors Of The Heart Review: भूत देखकर भले ही डर ना लगे पर हंसी जरूर आएगी, हॉरर के नाम पर बट्टा

1920 Horrors Of The Heart Review कृष्णा भट्ट ने फिल्म का निर्देशन किया है। कृष्णा विक्रम भट्ट की बेटी हैं। यह 1920 फ्रेंचाइजी की फिल्म है। इसलिए फिल्म से काफी उम्मीदें थीं मगर फिल्म हॉरर के मोर्चे पर निराश करती है। ऐसा लगता है कि बॉलीवुड में हॉरर दृश्यों को गढ़ने और रचने में कल्पनाशीलता का भारी अभाव है। वही दशकों पुराने फॉर्मूल लगाये जा रहे हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthPublished: Fri, 23 Jun 2023 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jun 2023 05:32 PM (IST)
1920 Horrors Of The Heart Review. Photo- Instagram

प्रियंका सिंह, मुंबई। विशुद्ध हॉरर फिल्में हिंदी में कम ही बनती हैं। ऐसे में जब कोई हॉरर फिल्म आती है तो उसको लेकर एक उत्सुकता होती है। हालांकि, 1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट उस उत्सुकता पर बिल्कुल भी खरी नहीं उतरी है।

loksabha election banner

यह 1920 फ्रेंचाइजी की पांचवीं फिल्म है। राज, 1920 जैसी अच्छी हॉरर फिल्में बना चुके विक्रम भट्ट की बेटी कृष्णा भट्ट ने पहली बार इस जॉनर में हाथ आजमाया है।

क्या है '1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट' की कहानी?

कहानी शुरू होती है मेघना (अविका गौर) से, जो अपने जन्मदिन पर अपने पिता धीरज (रणधीर राय) को अपने ब्वॉयफ्रेंड के बारे में बताने वाली होती है, लेकिन उससे पहले धीरज आत्महत्या कर लेता है।

उसकी फाइल से मेघना को पता चलता है कि उसकी मां राधिका (बरखा बिष्ट) ने उसके पिता को छोड़कर शांतनु (राहुल देव) से शादी कर ली है, जो बेहद अमीर है। वह अपने पिता की मौत का बदला अपनी मां से लेना चाहती है। इसमें उसके पिता की आत्मा उसकी मदद करती है। मेघना अपनी मां के घर पहुंचती है।

बदले की आग में जल रही मेघना वहां अपनी सौतेली बहन अदिति (केतकी कुलकर्णी) को निशाना बनाती है। उसमें उसके पिता की आत्मा प्रवेश कर जाती है। इसके बाद मेघना को अपनी मां का सच पता चलता है। क्या सच जानने के बाद मेघना अपनी बहन को बचाएगी? 

कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?

फिल्म का लेखन महेश भट्ट और सुहृता दास ने किया है, जो बेहद कमजोर है। पहले दस मिनट में समझ आ जाएगा कि फिल्म में कौन सच बोल रहा है, कौन झूठ? विक्रम की पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी भूत पुरुष है और वह लड़की के शरीर में प्रवेश करता है।

भूत से डर नहीं लगता, लेकिन हंसी जरूर आती है, जब वह किसी धावक की तरह तेजी से भागता है। भूत का मेकअप 1920 के भूत जैसा ही है। चेहरा सफेद और आंखों की पुतलियां कभी काली तो कभी सफेद। भूत के मेकअप के साथ कम से कम कृष्णा कुछ नया कर सकती थीं।

फिल्म का वीएफएक्स बेहद खराब है, झरना, जंगल, कुआं सब नकली लगता है। बाकी जैसा कि हर भूतिया फिल्म में होता है। कई कमरों वाला बड़ा सा घर, शीशे में खुद की शक्ल दिखना, लेकिन उसके हाव-भाव अलग होना, चीजों का हवा में उड़ना, सोते समय शरीर से धीरे-धीरे चादर का हटना, वही घिसे-पिटे दृश्य हैं।

हॉरर फिल्मों की जान बैकग्राउंड स्कोर होता है, एकाध जगह छोड़कर वह खास प्रभावशाली नहीं है, क्योंकि ऐसे सीन हैं ही नहीं। अविका के मुंह से चूहा निकलने वाले सीन का कहानी से कोई लेना-देना नहीं है। बालिका वधू शो से प्रसिद्ध हुईं अविका का अभिनय टीवी सीरीयल की तरह ही ओवर द टॉप लगता है।

अदिति के रोल में केतकी जंचती हैं, साथ ही भूत बनने वाले कुछ शुरुआती सीन में वह याद भी रह जाती हैं। राहुल देव, बरखा बिष्ट स्क्रिप्ट के दायरे में रहकर काम करते हैं। मेघना के ब्वॉयफ्रेंड के रोल में दानिश के हिस्से कुछ लवमेकिंग सीन के अलावा कुछ खास नहीं आया है।

रणधीर को उनकी उम्र से बड़ा रोल दे दिया गया है, जिसमें वह विश्वसनीय नहीं लगते हैं। अमित बहल का अभिनय निराश करेगा, हालांकि इसमें उनकी गलती नहीं, क्योंकि उनका किरदार ही आधा-अधूरा सा लिखा गया था। इस फिल्म से बतौर निर्माता जुड़े विक्रम भट्ट की फिल्मों से अच्छे गानों की उम्मीद होती है, लेकिन यह फिल्म इस मामले में भी निराश करती है।

कलाकार: अविका गौर, राहुल देव, बरखा बिष्ट, दानिश पंडोर, केतकी कुलकर्णी, रणधीर राय

निर्देशक: कृष्णा भट्ट

अवधि: दो घंटा दो मिनट

रेटिंग: डेढ़


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.