बाथटब सीन ने बदली किस्मत...शशि कपूर संग किया डेब्यू, गुमनाम हुई 70 के दशक की वो 'कैबरे क्वीन'
हिंदी सिनेमा का वो दौर जब हीरोइनों की खूबसूरती और टैलेंट के दम पर उन्हें बड़ी फिल्में मिलती थीं। हालांकि कई बार एक तरह की फिल्में करने के चलते एक्ट्रेसेस को इसका नुकसान भी होता था। एक एक्ट्रेस ऐसी भी आईं, जिन्हें फिल्मों में टाइपकास्ट कर दिया गया। हालांकि कुछ वक्त बाद ही वो सिनेमा छोड़कर चली भी गईं।
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70 के दशक में बेहद पॉपुलर थीं ये एक्ट्रेस
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा का वो दौर जब हीरोइनों की खूबसूरती और टैलेंट के दम पर उन्हें बड़ी फिल्में मिलती थीं। हालांकि कई बार एक तरह की फिल्में करने के चलते एक्ट्रेसेस को इसका नुकसान भी होता था। एक ऐसी ही हीरोइन रही 70 के दशक में जिनका नाम है फर्याल (Faryal)। हिंदी फिल्मों में फर्याल आईं, तो बहुत वाहवाही भी उन्हें मिली लेकिन उनका करियर बॉलीवुड में ज्यादा ना चल सका और धीरे-धीरे वो बॉलीवुड से दूर हो गईं, लेकिन ऐसा क्या हुआ, जिसके चलते उन्होंने बॉलीवुड से दूरी बनाई? आइए जानते हैं
ऐसे बीता फर्याल का बचपन
एक्ट्रेस फर्याल का बचपन अलग बेहद पढ़े-लिखे माहौल में बीता। उनके पिता भारतीय मूल के थे तो वहीं उनकी मां सीरिया की रहने वाली थीं। फर्याल का जन्म भी सीरिया में ही हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई मुंबई से ही की थी। पढ़ाई करने के बाद वो एयर-होस्टेस बनीं और एयर इंडिया में एयर होस्टेस के तौर पर उन्होंने काम भी किया। हालांकि फर्याल को ज्यादा पढ़ाई का शौक नहीं था, वो शुरू से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं।
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शशि कपूर और प्रदीप कुमार संग की करियर की शुरूआत
इसके बाद वो फिल्मालय स्टूडियो से वो जुड़ीं और यहीं से उन्हें अपनी पहली फिल्म 'बिरादरी' मिली। जिसमें वो शशि कपूर के साथ नजर आईं और ये फिल्म फ्लॉप रही थी। हालांकि इस फिल्म को बनने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन इसी बीच उन्होंने प्रदीप कुमार के साथ जिंदगी और मौत मिल गई और उन्होंने इस फिल्म में काम कर लिया। इसी तरह से ये साल 1965 में रिलीज हुई फिल्म उनकी पहली फिल्म बन गई। इस फिल्म का एक गाना दिल लगाकर हम ये समझे काफी हिट हुआ और ये गाना तो आज भी लोगों की जुबां पर ही रहता है।
फिल्मों में डांस कर बनीं कैबरे क्वीन
शुरूआती फिल्मों में फर्याल को वो सफलता नहीं मिली जिसकी वो उम्मीद कर रही थीं। इसके बाद उन्हें फिल्मों के ऑफर्स भी कम ही आने लगे। हालांकि उनके करियर में लकी जैकपॉट बनकर आई फिल्म 'ज्वैल थीफ'। साल 1967 में चेतन आनंद उर्फ गोल्डी ने उन्हें देव आनंद, वैजयंतीमाला और अशोक कुमार स्टारर ज्वैल थीफ में एक डांस नंबर के लिए साइन किया और ये एक कैबरे डांस नंबर था।
फिल्म से कैबरे नंबर उनका देखते ही देखते छा गया और हर तरफ हिट हो गईं। इसके बाद उन्हें कैबरे डांस के ऑफर्स आने लगे। इसके बाद उन्होंने 1970 में राजेश खन्ना-मुमताज की सच्चा झूठा में काम किया। इसी साल वो धर्मेंद्र-वहीदा रहमान की मन की आंखें नाम की फिल्म में भी नजर आईं। हालांकि उन्हें समझ आ गया कि एक्टिंग का तो पता नहीं लेकिन अगर उन्होंने डांस नंबर्स को भी मना किया तो वो इन रोल्स से भी हाथ धो बैठेंगी।
बाथटब सीन से फर्याल की जिंदगी में सब बदला
साल 1972 में फिरोज खान ने फर्याल को अपनी फिल्म अपराध में काम करने का मौका दिया। फिल्म में फर्याल को बोल्ड और ग्लैमर्स लुक में दिखाया गया। इसी फिल्म में बाथटब का एक सीन था, जो फर्याल को देना था। फिल्म में फर्याल के काम की भी तारीफ हुईं और उनके नेटेगिव रोल की जमकर तारीफ हुई। कई फिल्मों में उन्होंने वैंप का किरदार निभाया। इन किरदारों के जरिए वो सिनेमा में छाप तो छोड़ती गईं लेकिन जो सपने वो देखकर आईं शायद उनसे वो भटक गईं। उन्हें लीड रोल वाले ऑफर्स ज्यादा नहीं मिले। आखिरकार उन्होंने 1979 में उन्होंने द गोल्ड मैडल में काम किया।
शादी के बाद उन्होंने इंड्स्ट्री को छोड़ दिया और शादी करके पति के साथ इजरायल चली गईं। बताया जाता है कि वो अभी वहीं रह रही हैं। हालांकि हैलेन के बाद कैबरे के डांस के लिए उन्हें ही याद किया जाता है।

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