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    बीवी की मार से खौफ खाते हैं The Family Man के 'श्रीकांत', परिवार को मनाने के लिए करते हैं ये जुगाड़

    By Smita SrivastavaEdited By: Rinki Tiwari
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:52 PM (IST)

    The Family Man Season 3 के श्रीकांत उर्फ मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) और उनकी को-स्टार निम्रत कौर (Nimrat Kaur) ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कई दिलचस्प खुलासे किए हैं।  

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    बीवी की डांट से बचने के लिए ये काम करते हैं मनोज बाजपेयी। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। जासूसी एक्शन थ्रिलर वेब सीरीज द फैमिली मैन (The Family Man) में श्रीकांत तिवारी की भूमिका में मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) को काफी पसंद किया गया है। उनका पात्र गुप्त रूप से राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक काल्पनिक शाखा थ्रेट एनालिसिस एंड सर्विलांस सेल (टीएएससी) के लिए खुफिया अधिकारी के रूप में काम करता है।

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    अब तीसरे सीजन में कहानी नॉर्थ ईस्ट गई है। अमेजन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर आज रिलीज होने वाले द फैमिली मैन शो में इस बार निम्रत कौर (Nimrat Kaur) उनके साथ हैं। दोनों सितारों ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में क्या कहा, जानिए यहां।

    इस बार कहानी नॉर्थ ईस्ट में गई है। वहां के बारे में कितनी जानकारी पहले से ही थी?

    मनोज: मैं देश के राज्यों और वहां होने वाली घटनाओं के बारे में बहुत दिलचस्पी रखता हूं। यह शौक काफी वर्षों से है। उनके कल्चर को करीब से देखना था। मैं प्लान बनाता था, लेकिन किन्हीं कारणों से रह जाता था। इस बार जब कोहिमा (नागालैंड) जाने की बात हुई तो मैं खुश हो गया था। कोहिमा से सटे कौन-से स्थान हैं? वहां तक कैसे पहुंचें? ये सब जानकारी मैं जुटाकर गया था। नागालैंड बहुत पीसफुल स्टेट है। सड़कें बहुत अच्छी हैं, बुनियादी और आधारभूत चीजों पर काम हो रहा है।

    वहां कितनी जनजाति हैं, उनका कल्चर जानने के लिए म्यूजियम गया। वहां पर तीन दर्जन से अधिक भाषाएं हैं, लेकिन पूरे नागालैंड की संपर्क भाषा के रूप में अंगामी भाषा का प्रयोग किया जाता है। द फैमिली मैन के पहले पाताल लोक सीजन 2, अब दिल्ली क्राइम सीजन 3 (Delhi Crime Season 3) की कहानी भी नॉर्थ ईस्ट गई है। फैमिली मैन के इस सीजन की शुरुआत नागालैंड से होती है और जैसे शूट किया गया है, उसे देखकर दर्शकों की जिज्ञासा बढ़ेगी, लोग वहां जाने में रुचि लेंगे। वहां साफ-सफाई रखना उनका सामाजिक धर्म है।

    Family Man Actor

    निम्रत: मेरे पिता आर्मी में थे तो तीन साल अरुणाचल में रही हूं। मैंने बचपन से नॉर्थ ईस्ट को देखा है। मैं मेघालय गई थी, वहां पर दस दिन रहने के दौरान ट्रेकिंग किया और काफी घूमी। वहां पर मैंने देखा कि लोग ख्याल रखते हैं कि कहीं पर गंदगी न हो। वहां पर लड़कियां परिवार की विरासत को संभालती हैं। वे दुकानें चलाती हैं। वहां महिलाएं सशक्त स्थिति में हैं। नॉर्थ ईस्ट में एक साथ कई संस्कृतियां बसती हैं। नागालैंड जाने का सौभाग्य नहीं रहा, लेकिन मौका मिला तो जरूर जाऊंगी।

    मनोज: वहां पर हार्नबिल महोत्सव होता है। उसे देखने पूरी दुनिया से लोग आते हैं। वहां सूर्यास्त भी जल्दी होता है। दुखद है कि हम उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते।

    निम्रत: शायद तभी उसकी खूबसूरती कायम है।

    आपका पात्र घर और काम के बीच संतुलन साधने में लगा रहता है। आप कैसे संतुलन बनाते हैं?

    मनोज: आदमी ज्यादा बिजी हो जाए तो घर में कूट दिया जाएगा। काम के बाद आपकी प्राथमिकता घर ही होनी चाहिए। वहां के माहौल में रहना बहुत जरूरी होता है। उसमें कभी-कभी पीछे रह जाता हूं। हर बार सफल नहीं होता, लेकिन उसका तरीका मैंने निकाल लिया है।

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    और वह तरीका क्या है?

    मनोज: मैं कुछ पकाने की कोशिश करता हूं। भले ही आपका मस्तिष्क किसी और दिशा में चल रहा हो, पात्र के बारे में सोच रहे हों, लेकिन परिवार को लगता है कि बेचारा आया है हमारे लिए खाना बना रहा। (सभी जोर का ठहाका लगाते हैं।)

    निम्रत आप ग्रे शेड भूमिका में हैं...

    बहुत मजा आया, जैसे शतरंज के खेल में एक ग्रैंड मास्टर होता है, उसी तरह से वह इमोशन को दरकिनार करके फटाफट निर्णय लेती है। वह हथियारों की डीलिंग, जैसे बड़े काम करती है। वास्तव में मुझे उनका प्रोफेशन समझने में वक्त लग गया।

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    मनोज: देखिए, जब शरीर जवाब देने लगे तो निर्देशक से कहिए कि अब नहीं हो पा रहा है। जिसकी जैसी जरूरत है, उसके हिसाब से प्रोडक्शन एडजस्ट कर लेता है। मैं केबीसी में गया था। अमिताभ बच्चन एक साथ तीन एपिसोड शूट करते हैं। एक एपिसोड के बाद केबीसी वाले उन्हें ब्रेक देते हैं।

    वह वैनिटी वैन में जाकर आराम करते हैं। फिर वापस आते हैं। फिर दूसरा एपिसोड शूट करते हैं। अगर वह कहें कि मैं दो एपिसोड ही शूट करूंगा, कोई कैसे मना करेगा। कोई किसी की सीमा पर दबाव नहीं बना सकता है।

    निम्रत: मैं मनोज जी की बात से सहमत हूं। यह हर किसी के विचार और रुचियों पर आधारित है। हम सिर्फ कलाकार और जिन्हें विशेषाधिकार है, उनकी बात कर रहे हैं। लेकिन अगर आप उस तह में जाएं आर्ट डिपार्टमेंट, लाइटब्वाय भी हैं, बहुत सारी चीजें हैं, जो काफी बेहतर हो सकती हैं।

    Nimrat Kaur

    (बात को आगे बढ़ाते हुए) मनोज: अमेरिका, यूरोप में यूनियन के साथ मिलकर नियम बनाते हैं। उसे कोई तोड़ नहीं सकता। भले ही मेरा मन कर रहा है कि छह बज गया, हम और शूट कर लेते हैं। यहां हम कर सकते हैं, लेकिन वहां पर आप नहीं कर सकते हैं।

    निम्रत: मैं जब विदेश में काम करती हूं, वहां पर एक चीज होती है मील पेनाल्टी। अगर आपका लंच टाइम एक बजे है। शूटिंग में विलंब हो गया और लंच दो बजे हो गया तो उस एक घंटे का फाइन लगता है। वह प्रोडक्शन से लेकर आर्ट डिपार्टमेंट सबको मिलता है। यह वहां पर यूनियन द्वारा लिया गया फैसला है। मुझे समझ नहीं आता कि यहां खाना-पीना, उठना-बैठना क्यों अलग है।

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