'ऑस्कर' गई अमिताभ बच्चन की इस फिल्म में संगीत देकर हुए थे लोकप्रिय, 'रामायण' से घर-घर पहुंचे रवींद्र जैन के सुर
म्यूजिक इंडस्ट्री के दिग्गज संगीतकार गीतकार और गायकों में से एक Ravindra Jain अब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन वह अपने सदाबहार गीतों के जरिए चाहने वालों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। 28 फरवरी को रविंद्र जी की बर्थडे एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर हम आपको गायक के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से बताने जा रहे हैं।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Ravindra Jain Birth Anniversary: गायक अपनी आवाज का जादू चलाते हैं, संगीतकार अपने संगीत की कला से गीत को और भी आकर्षक बनाते हैं और सबसे जरूरी गीतकार जो एक गीत की रचना करते हैं...
संगीत की दुनिया में कोई बेहतरीन गायक बना, कोई संगीतकार तो कोई गीतकार... मगर एक ऐसी शख्सियत रही, जिन्होंने इन तीनों विभागों में महारत हासिल की और दुनियाभर में मशहूर हो गए। हम बात कर रहे हैं 28 फरवरी 1944 को अलीगढ़ में जन्मे रवींद्र जैन (Ravindra Jain) की।
संस्कृत के पंडित इंद्रमणि जैन और किरण जैन के घर जन्मे रवींद्र जैन दृष्टिहीन थे, लेकिन उनके अंदर प्रतिभा की तेज रोशनी थी, जो उन्हें दुनिया से अलग बनाती थी। बचपन में ही पिता को रवींद्र जी की प्रतिभा का एहसास हो गया था। उन्होंने जी.एल. जैन, जनार्दन शर्मा और नाथू राम जैसे दिग्गजों से संगीत की शिक्षा हासिल की थी।
पहले गाने को मोहम्मद रफी ने दी थी आवाज
इस फिल्म से मिली थी शोहरत
रवींद्र जैन के करियर में मील का पत्थर साबित हुई थी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की फिल्म 'सौदागर' (1973)। ये फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए देश की ऑफिशियल एंट्री भी रही थी। भले ही 'सौदागर' ने रवींद्र जी की किस्मत का ताला खोल दिया था, लेकिन यह फिल्म 'चोर मचाए शोर' का गीत 'घुंघरू की तरह' था, जिसने गायक को रातोंरात शोहरत दिला दी थी। इस गीत को किशोर कुमार ने गाया था।
यह भी पढ़ें- Ravindra Jain: अमिताभ बच्चन की 'सौदागर' ने दिलायी शोहरत, रामायण से पहले दिया इन हिट फिल्मों का संगीत
पिता के निधन के बाद भी नहीं छोड़ा था स्टूडियो
रवींद्र जैन अपने कमिटमेंट को लेकर कितने सीरियस हुआ करते थे, यह उनके एक इंसिडेंट से साफ जाहिर होता है। कहा जाता है कि जब रविंद्र जैन के पिता का निधन हो गया था, उस वक्त उन्हें यह खबर तब मिली थी, जब वह फिल्म 'सौदागर' के गीत 'सजना है मुझे सजना के लिए' को डायरेक्ट कर रहे थे। वह बिना गीत को पूरा किए रिकॉर्डिंग स्टूडियो से नहीं गए थे।
सिर्फ इस संगीतकार को देखना चाहते थे रवींद्र जैन
रवींद्र जैन का करियर तब आगे बढ़ा जब उनकी मुलाकात गायक केजे येसुदास से हुई। उन्हें येसुदास से इतना प्यार था कि उन्होंने एक बार कहा था कि अगर कभी उनकी रोशनी लौटेगी तो वे येसुदास का चेहरा देखना चाहेंगे। इस जोड़ी ने एक के बाद कई फिल्मों में हिट गीत दिये। चाहे वह 'गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा' (चितचोर, 1976) या 'तेरी भोली मुस्कान' (बाबुल) हो, रवींद्र जैन और येसुदास की जोड़ी ने संगीत की दुनिया को कई हिट गीतों से नवाजा।
रामायण को घर-घर में दिलाई पहचान
फिल्मों में गीत बनाने वाले रवींद्र जैन धार्मिक एलबम के लिए भी मशहूर हुए। आज भी मंदिरों में उनके भजन गूंजते हैं। रामानंद सागर के पौराणिक टीवी शो 'रामायण' (Ramayan) के गीतों को उन्होंने अमर कर दिया था। उन्होंने न केवल इस सीरियल के लिए गीत बनाए, बल्कि चौपाई भी गाईं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।