Don: इस सुपरस्टार के काया-पलट से ब्लॉकबस्टर हुई Amitabh Bachchan की 'डॉन', कर्ज चुकाने के लिए बनी थी फिल्म
Don साल 1978 की सुपरहिट फिल्म रही। Amitabh Bachchan और Zeenat Aman ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने भले ही रिलीज के बाद कामयाबी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया था लेकिन इसे पर्दे पर उतारने के लिए काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी। सिनेमा के एक सुपरस्टार को आखिर में फिल्म की कहानी भी बदलनी पड़ी थी। जानिए इस बारे में।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। साल 1978 में रिलीज हुई फिल्म 'डॉन' (Don) अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इस फिल्म में एंटी हीरो बने अमिताभ अपनी शानदार परफॉर्मेंस के दम पर फैंस के दिल में उतर गए थे। खैर, थिएटर्स में भले ही फिल्म के लिए खूब सीटियां बजी हों, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म को बनाने के पीछे कितना संघर्ष करना पड़ा?
'डॉन' का निर्माण दिवंगत प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी ने किया था। इसका निर्देशन चंदर बरोट ने किया था और मुख्य भूमिकाओं में अमिताभ बच्चन, जीनत अमान, प्राण, मैक मोहन और ओम शिवपुरी जैसे कलाकार थे। इस फिल्म को बनाने में नरीमन को बहुत पापड़ बेलना पड़ा। सलीम-जावेद की लिखी इस कहानी को लोगों ने खरीदने से भी मना कर दिया था।
कर्ज चुकाने के लिए बनी थी डॉन
क्या आप जानते हैं कि 'डॉन' को बनाने के पीछे की क्या वजह थी? नरीमन ने यह फिल्म अपने ऊपर लदे लाखों के कर्ज से छुटकारा बनाने के लिए बनाई थी। उन पर करीब 12 लाख रुपये का कर्ज था। हालांकि, फिल्म की रिलीज से पहले ही नरीमन का एक एक्सीडेंट में निधन हो गया था। नरीमन के निधन से लगा था कि यह फिल्म पर्दे पर कभी नहीं उतरेगी, लेकिन निर्देशक ने शूटिंग जारी रखने का फैसला लिया था।
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कास्ट ने नहीं ली थी डॉन के लिए फीस
'डॉन' के लिए न ही अमिताभ बच्चन और ना ही जीनत अमान ने फीस ली थी। उनका नरीमन से अच्छा रिश्ता था और वे जानते थे कि निर्माता यह फिल्म क्यों बना रहे हैं। चंदर के साथ-साथ अमिताभ और जीनत ने भी फैसला किया कि वह फीस नहीं लेंगे। उनका कहना था कि अगर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म करेगी, तभी वे पैसे लेंगे।
कोई नहीं खरीदना चाहता था डॉन की कहानी
नरीमन और चंदर से पहले कोई भी सलीम-जावेद की लिखी 'डॉन' की कहानी को खरीदना नहीं चाहता था। नरीमन ने सलीम-जावेद पर यकीन किया और इस पर फिल्म बनाने का फैसला लिया। उस वक्त फिल्म को कोई टाइटल भी नहीं मिला था और ना ही मूवी में कोई गाना था। तब नरीमन फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर सुपरस्टार मनोज कुमार (Manoj Kumar) के पास पहुंचे।
मनोज कुमार की वजह से डॉन को मिला सुपरहिट गाना
पूरी कहानी पढ़ने के बाद उन्होंने निर्माता-निर्देशक को सलाह दी कि फिल्म में सिर्फ मार-धाड़ और एक्शन है। इसलिए सेकंड हाफ में एक गाना डालने की जरूरत है। फिर क्या, मनोज कुमार की सलाह के बाद नरीमन म्यूजिक कंपोजर कल्याण जी के पास गए और एक हल्का-फुल्का गाना बनाने की गुजारिश की। तब जाकर 'खईके पान बनारस' गाना बना और यह फिल्म की जान बन गया। यह गाना सदाबहार गानों में से एक है।
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