'धर्म का ठेका खुद...', Salman Khan के राम मंदिर वाली घड़ी पहनने के विवाद पर क्या बोल गए प्रतीक गांधी?
बॉलीवुड अभिनेता प्रतीक गांधी जल्द ही ज्योतिबा फुले की बायोपिक फुले (Phule) में नजर आने वाले हैं। फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। इस बीच दैनिक जागरण के साथ बातचीत में प्रतीक ने फिल्म और करियर से जुड़ी कई सारी बातें की हैं। उन्होंने सलमान खान के घड़ी विवाद पर भी रिएक्शन दिया है। जानिए उन्होंने क्या-क्या कहा है।
प्रियंका सिंह, मुंबई डेस्क। जाने-माने अभिनेता प्रतीक गांधी जल्द ही बड़े पर्दे पर ज्योतिबा फुले के किरदार में नजर आएंगे। फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली है। फिल्म के प्रमोशन के बीच प्रतीक गांधी ने सलमान खान के राम मंदिर वाली घड़े के विवाद पर रिएक्शन दिया। साथ ही बताया कि गांधी वेब सीरीज की शूटिंग कितनी पूरी हुई है। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में प्रतीक ने क्या-क्या कहा, जानिए यहां।
क्या कोई फार्मूला है कि अहम बायोपिक आपके पास आ रही हैं?
शायद कोई फार्मूला नहीं है, यही सबसे बड़ा फार्मूला है। ज्योतिबा फुले जैसा बनना आसान नहीं, जिन्होंने समाज के लिए सोचा कि मैं उसके विरुद्ध जाकर उसमें लिप्त गलत बातों को बदलूंगा। हम वर्ष 1840 के आसपास की बात कर रहे हैं, उनका कोई वीडियो नहीं था, जो तस्वीर है, वह भी पेंटिग है। उसी के आधार पर मुझे अपना पात्र गढ़ना था।
Photo Credit - Instagram
ज्योतिबा फुले इतने जुनूनी थे कि जहां लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज नहीं रहे थे खास कर लड़कियों को। वह उन्हें स्मगल करके कचरे की गाड़ी में छिपा कर लाते थे, पढ़ाते थे और फिर भेज देते थे। हम लंबी लड़ाई लड़ते हुए यहां तक पहुंचे हैं।
आपके पिता शिक्षक रहे हैं। घर में शिक्षा को लेकर माहौल कैसा था?
मेरे पिताजी कहते थे कि मैं तुम लोगों के लिए जमीन-जायदाद, पैसा, बैंक बैलेंस नहीं छोड़कर जाऊंगा। पिता और शिक्षक दोनों होने के नाते मैं केवल शिक्षा दे सकता हूं। इससे आप अपनी जिंदगी बना सकते हैं।
आप किन समाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं?
मुझे गंदगी से दिक्कत है। उसको लेकर प्रयासरत रहता हूं। जानवरों को पता नहीं है कि प्लास्टिक की थैली है, वह उसे खाने का सामान समझते हैं। लेकिन हमको तो पता है ना, लेकिन फिर भी यहां-वहां प्लास्टिक फेंकते रहते हैं। अब बदलाव बच्चे ही ला सकते हैं।
पिछले दिनों सलमान खान के राम मंदिर एडिशन की घड़ी, जिसमें राम मंदिर बना हुआ है पहनने पर विवाद हुआ था। इस पर क्या कहेंगे?
मैं इस विषय के बारे में बहुत ज्यादा जानता नहीं हूं, लेकिन इस पर एक बड़ा नजरिया दिखाना चाहूंगा कि बचपन में स्कूल और बड़े-बुजुर्गो, ज्ञानियों ने हमें यही सिखाया है कि कोई भी धर्म इतना छोटा या कमजोर है ही नहीं कि किसी एक रंग से, एक चीज या रीति-रिवाज से बंधकर रह जाए। जो इसका मुद्दा बना रहे हैं, वह कुछ लोग हैं, जिन्होंने धर्म का ठेका खुद पर ले लिया है। यह हर धर्म में होता है। फुले जिस जाति से थे, लोग उनकी परछाई से भी दूर रहना चाहते थे।
Photo Credit - Instagram
हमारी फिल्म में जब एक चीज को लेकर ऊंची जाति वाले लोग फुले से कहते हैं कि तुम धर्म के विरुद्ध सवाल उठा रहे हो, तो फुले कहते हैं कि धर्म के विरुद्ध सवाल नहीं उठा रहा हूं, धर्म पर सिर्फ आपकी जो ठेकेदारी है न उस पर सवाल उठा रहा हूं। साल 1840 की बात आज भी उतनी ही सटीक है। एक तरफ हम कहते हैं कि हमारे देश ने बहुत प्रगति की है, लेकिन ऐसे विवाद करके हम कहां पहुंचे हैं समझना चाहिए।
यह भी पढ़ें- ‘बनाना या बिगाड़ना उनके ऊपर था…’ Pratik Gandhi ने बताया Vidya Balan के साथ पहले किसिंग सीन का अनुभव
स्थापित कलाकार बनने के बाद नए-नए रोल के साथ जोखिम लेना आसान होता जा रहा है?
स्कैम वेब सीरीज में मेरा एक डायलॉग था कि इस पेशे के लिए एकदम सटीक है कि इस फील्ड में रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है। जो रचनात्मक व्यक्ति जोखिम नहीं लेता है, वह ज्यादा देर तक प्रासंगिक नहीं रह पाता है। यह वही दर्शक है, जो आपका काम पसंद आएगा, तो ताली बजाएंगे, उसी तरह के दूसरे काम पर भी ताली बजाएंगे, लेकिन अगर तीसरा काम भी एक जैसा हुआ, तो कहेंगे इसको कुछ नहीं आता है। दर्शक किसी को माफ नहीं करते हैं।
इतिहास के किसी और दौर को जीने की तमन्ना है?
हां, सरदार वल्लभभाई पटेल के दौर में जाना चाहूंगा। अमूल डेयरी की स्थापना में उनकी अहम भूमिका थी। डॉक्टर वर्गीस कुरियन भी इसमें शामिल थे।
गांधी वेब सीरीज पर काम कहां तक पहुंचा है?
पहले सीजन की शूटिंग हमने कर ली है। पोस्ट प्रोडक्शन में काफी काम है। शायद इस साल हम इसे ला पाएं। मेरे करियर की सबसे बड़ी सीरीज है।
यह भी पढ़ें- 'माफी भी नहीं मांगते', सेट पर लेट पहुंचने वाले स्टार्स पर भड़कीं Yami Gautam, प्रतीक गांधी ने कही दिल की बात
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।