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    'माफी भी नहीं मांगते', सेट पर लेट पहुंचने वाले स्टार्स पर भड़कीं Yami Gautam, प्रतीक गांधी ने कही दिल की बात

    बी-टाउन के दो उम्दा कलाकार यामी गौतम (Yami Gautam) और प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) कॉमेडी ड्रामा धूम धाम (Dhoom Dhaam) से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धमाल मचाने के लिए तैयार बैठे हैं। हाल ही में उन्होंने बताया कि उन्हें कैसे फिल्मी दुनिया में एक ही तरह के पैटर्न से गुजरना पड़ता है। यामी ने बताया कि उन्हें किस बात पर सबसे ज्यादा गुस्सा आता है।

    By Jagran News Edited By: Rinki Tiwari Updated: Sun, 09 Feb 2025 07:37 AM (IST)
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    यामी गौतम और प्रतीक गांधी ने कही दिल की बात। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

    प्रियंका सिंह, मुंबई डेस्क। कलाकार को हर नए प्रोजेक्ट के साथ नए अंदाज में खुद को पेश करना पड़ता है ताकि दर्शक उनसे बोर न हो जाएं। अभिनेत्री यामी गौतम (Yami Gautam) और अभिनेता प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर रोल चुनते हैं। इस हफ्ते नेटफ्लिक्स (Netflix) पर प्रदर्शित होने वाली कामेडी फिल्म ‘धूम धाम’ (Dhoom Dhaam) में ये दोनों कलाकार नजर आएंगे। 

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    दैनिक जागरण के साथ बातचीत में यामी और प्रतीक ने किरदारों को चुनने और पार्टनर्स के साथ अपने रिश्ते के बारे में खुलकर बात की है।  

    कहा जाता है कि एक कलाकार को अप्रत्याशित होना चाहिए। इसलिए आप दोनों जानर बदलते रहते हैं?

    यामी- खुद में नयापन लाना चुनौतीपूर्ण होता है। कलाकार तो चाहते हैं कि वे अलग भूमिका करें, लेकिन काम तो फिल्म इंडस्ट्री से ही मिलेगा। इंडस्ट्री में धारणाएं बहुत जल्दी बन जाती हैं कि आप तो इसी भूमिका के लिए फिट हैं। यह बात मेरे कानों को पसंद नहीं है। फिर मुझे वे किरदार ढूंढने पड़ते हैं, जहां मैं बने-बनाए पैटर्न को तोड़ सकूं। अपनी पसंद के साथ फिर अप्रत्याशित होना पड़ता है, लेकिन अगर यह बात दिमाग में आ गई कि मेरे लिए तो यही काम करता है, लोग ऐसे ही पसंद करते हैं तो उससे फिर आप भटक सकते हैं।

    Dhoom Dhaam

    प्रतीक- दर्शकों तक अलग-अलग किरदारों को पहुंचाना है तो वे ऐसे होने चाहिए जिसे दर्शक अपना पाएं। मैं अपना चेहरा या शरीर नहीं बदल सकता हूं। मुझे इसी के साथ किरदारों को निभाना है। आपको उतना ही अप्रत्याशित होना है कि आपके इसी चेहरे को दर्शक अलग किरदारों में अपनाएं। अगर ऐसा हो पाता है तो मैं ज्यादा कहानियां कह पाऊंगा। अगर दर्शकों को पहले से ही पता होगा कि आप क्या करने वाले हैं तो समझिए कि आपके लिए कठिन समय है और खुद में बदलाव लाने की जरूरत है।

    फिल्म में आप दोनों पति-पत्नी की भूमिका में हैं। वास्तविक जिंदगी में आप दोनों के पार्टनर फिल्म इंडस्ट्री से हैं। घर पर पेशे और निजी जिंदगी को अलग रख पाते हैं?

    यामी- हां, क्योंकि मैं और आदित्य (निर्माता-निर्देशक आदित्य धर) बड़ी मेहनत से यहां तक पहुंचे हैं। इंडस्ट्री में कई बार जिस तरह की चुनौतियों और निराशा का सामना करना पड़ता है, वो सही नहीं लगता है। कई बार आप चाहकर भी उसे बयां नहीं कर पाते हैं। हम दोनों ने यह सब देखा है, इसलिए कभी भी एक-दूसरे को हल्के में नहीं लेते हैं। जब उन्हें लगता है कि मैं इस भूमिका के लिए सही हूं, तभी वह मुझे एक प्रक्रिया के तहत अप्रोच करते हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ है कि मैं उनकी पत्नी हूं तो फिल्म में ले लिया। मैं भी करूंगी वही, जो मेरे लिए सही होगा। हमने एक सिस्टम बनाया है। अपने काम के प्रति अनुशासन और पेशेवर रहना आवश्यक है।

    Yami Gautam Pratik Gandhi

    Yami Gautam Pratik Gandhi in Dhoom Dhaam - Instagram

    प्रतीक- मैंने और भामिनी (ओझा) ने एक साथ थिएटर में काफी काम किया है। फिल्में नहीं की हैं, लेकिन अब ‘गांधी’ वेब सीरीज से स्क्रीन पर साथ आने का मौका मिलेगा। मुझे लगता है कि कलाकारों की प्रक्रिया बहुत आंतरिक होती है। मैं चाहकर भी सब कुछ नहीं बता सकता हूं कि मुझे कहानी पढ़कर कैसा लग रहा है या कैसे उसे परफॉर्म करना है। हम दोनों को पता होता है कि जो भी महसूस हो रहा है, वो होने दो।

    फिल्म में संवाद है कि ‘अगर और परेशान किया तो मैं तुम से तू पर भी आ सकती हूं।’ किन बातों से परेशान होकर सामने वाले के लिए इज्जत खत्म हो जाती है?

    यामी- जब लोग समय की कद्र नहीं करते हैं। मैंने पहले सुना था, अब देख भी रही हूं कि कई कलाकार हैं, जो सेट पर देर से आते हैं और माफी भी नहीं मांगते है। कोई इमरजेंसी हो तो और बात है, लेकिन उसके अलावा जो देर से आता है, उस पर मुझे बहुत गुस्सा आता है। बाकी मुझे कभी तू शब्द पसंद ही नहीं रहा। मेरे माता-पिता या आदित्य ने कभी मुझे तू कहकर बात नहीं की है। फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो पूछते हैं कि अरे तू कैसी है रे? तूने क्या कमाल का काम किया है (जोर से हंसते हुए) मैं सोचती हूं कि मैं तो आपको जानती भी नहीं हूं। खैर, मुझे लगता है कि वे बेइज्जती करने के हिसाब से ऐसा नहीं कहते हैं। हालांकि मुझे निजी तौर तू करके बात करना पसंद नहीं है।

    प्रतीक- आप से तुम, तुम से तू यह भी दो लोगों के बीच का एक सफर होता है। यह सफर दो हिस्सों में हो सकता है कि या तो आपने सामने वाले को एकदम ही अपना लिया कि फिर आप, तुम या तू जैसे शब्द मायने नहीं रखते हैं या फिर एकदम ही तय कर लिया है कि मुझे फलां व्यक्ति के होने से फर्क ही नहीं पड़ता है।