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    कौन थे 'संगीत के जादूगर'? जिन्होंने बनाया Mohammed Rafi का करियर, इस फिल्म से बदली थी सिंगर की जिंदगी

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:18 PM (IST)

    Mohammed Rafi एक जाने माने बॉलीवुड सिंगर थे जिन्होंने 'मुगल- ए-आजम' जैसी क्लासिक हिट से लेकर दीवाना समेत कई बेहतरीन फिल्मों के गानों में अपनी आवाज दी। ...और पढ़ें

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    किसने बनाया सिंगर मोहम्मद रफी का करियर

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मोहम्मद रफी, संगीत के दीवानों के लिए यह नाम बेपहचान नहीं हो सकता। रफी ने हिंदी सिनेमा के कई गानों को अपने सुरों से सजाया है और एक बेहतरीन सिंगर के तौर पर अपनी जगह पक्की की है। लेकिन कहते हैं अगर साथ सच्चा मिले तो मुश्किल से मुश्किल मंजिल भी आसान लगने लगती है। कुछ ऐसा ही हुआ मोहम्मद रफी के साथ। उन्हें साथ मिला म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद का। जिन्होंने रफी को कई बड़े मौके दिए और एक बेहतरीन सिंगर बनने के उनके ख्वाब को मुकम्मल करने में अपना योगदान दिया।

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    म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद ने मोहम्मद रफी के करियर को बनाने में अहम भूमिका निभाई, उन्हें बड़े मौके दिए और बैजू बावरा (1952) जैसे क्लासिक साउंडट्रैक के जरिए उनकी वर्सेटिलिटी को दिखाया। रफी के 'ओ दुनिया के रखवाले' जैसे गानों ने उन्हें एक लीडिंग प्लेबैक सिंगर के तौर पर स्थापित किया। नौशाद ने रफी को दिलीप कुमार जैसे एक्टर्स की आवाज बनाया और अपने शानदार कोलैबोरेशन से हिंदी फिल्म संगीत के एक सुनहरे दौर को परिभाषित किया, जिसमें मुगल-ए-आजम और दीदार के हिट गाने शामिल थे।

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    पहली बार नौशाद से कहां मिले रफी

    रफी पहली बार नौशाद से नौशाद के पिता के रिकमेंडेशन लेटर के साथ मिले, जिससे उन्हें पहली आप (1944) में नौशाद के लिए अपना पहला गाना गाने का मौका मिला। जिसके बाद बैजू बावरा (1952) फिल्म एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट थी, जिसने रफी को अपने क्लासिकल गानों से टॉप प्लेबैक सिंगर के तौर पर स्थापित किया, जिसमें उन्होंने मुश्किल रागों और ऊंची आवाज पर अपने कंट्रोल को दिखाया। नौशाद ने रफी की अलग-अलग एक्टर्स (दिलीप कुमार, जॉनी वॉकर) और गानों के टाइप (कव्वाली, भजन, रोमांटिक, कॉमिक) के लिए अपनी आवाज को ढालने की अनोखी काबिलियत को पहचाना।

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    दोनों की पार्टनरशिप ने दिए कई हिट गाने

    उनकी पार्टनरशिप ने कई हिट गाने दिए, जिनमें 'सुहानी रात ढल चुकी' (दुलारी), तस्वीर बनाता हूं (दीवाना), और ऐ मोहब्बत जिंदाबाद (मुगल-ए-आजम) शामिल हैं। नौशाद ने रफी को 'प्लेबैक सिंगिंग का बादशाह' बताया और उनका अनोखा कॉम्बिनेशन लेजेंडरी बन गया, जिसने 1950 और 1960 के दशक के हिंदी सिनेमा की आवाज को आकार दिया। रफी ने नौशाद के लिए 149 से ज्यादा गाने गाए।

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    नौशाद के बारे में

    भारतीय संगीत के पायनियर माने जाने वाले नौशाद अली बॉलीवुड के इतिहास के पहले और सबसे खास संगीतकारों में से एक थे। 1937 से, वह फिल्मों के लिए संगीत बना रहे थे, जिसने उनके संगीत के साथ मिलकर बॉलीवुड की नींव बनाया। उन्हें मशहूर गायकों लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी को दुनिया से मिलवाने और उन्हें आज के आइकॉन बनाने के लिए भी जाना जाता है। हालांकि उन्होंने सौ से भी कम फिल्मों में काम किया, लेकिन उनमें से 26 फिल्मों ने जुबली मनाई, जिनमें से कुछ ने गोल्डन और यहां तक कि डायमंड जुबली भी मनाई।

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