एक्टिंग ही नहीं पढ़ाई में भी धुरंधर रहा है बॉलीवुड का ये खलनायक, 54 साल पहले इन एक्टर्स के बीच में आया था फर्स्ट
बॉलीवुड सितारों की पढ़ाई को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे एक्टर्स हैं जो ग्लैमर वर्ल्ड की चकाचौंध में एक्टिंग से किनारा कर लेते हैं। हालांकि हिंदी सिनेमा में एक ऐसा खलनायक है जिसने कई बड़े स्टार्स के बीच एफटीआईआई में अभिनय में न सिर्फ उत्तीर्ण किया बल्कि सभी को पीछे छोड़कर फर्स्ट आए।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ने हिंदी सिनेमा को कई दिग्गज कलाकार दिए हैं। शबाना आजमी से लेकर जयदीप अहलावत, राजकुमार राव, नसीरुद्दीन शाह और डैनी डेंजोगपा जैसे फेमस सितारे FTII से ही पढ़कर एक्टिंग की दुनिया में आए हैं। ये सभी सितारे अलग-अलग बैच के थे।
ऐसे ही एक अभिनेता के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अधिकतर फिल्मों में विलेन का किरदार अदा करके दर्शकों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। ये फिल्म इंडस्ट्री के एक ऐसे एक्टर रहे हैं, जो सिर्फ अभिनय में ही नहीं, बल्कि पढ़ाई में भी अपने बैच के बड़े-बड़े दिग्गज सितारों को पीछे छोड़कर फर्स्ट पोजीशन से पास हुए हैं। कौन हैं वह धुरंधर, नीचे विस्तार से पढ़ें:
सभी एक्टर्स से ज्यादा बैच में होशियार था ये विलेन
'बचपन जितना बाप के लिए तरसता है, उससे कई ज्यादा बुढ़ापा अपनी औलाद के लिए तरसता है' और 'बारूद के ढेर पर बैठकर आग से खेला नहीं करते' जैसे फेमस डायलॉग्स में अपनी आवाज से जान डालने वाले एफटीआईआई की परीक्षा में उत्तीर्ण करने वाले ये एक्टर कोई और नहीं, बल्कि सबसे बड़े खलनायकों में से एक रहे रजा मुराद हैं। साल 1972 में एक नजर से बॉलीवुड में कदम रखने वाले रजा मुराद ने हाल ही में अपनी एफटीआईआई की 54 साल पुरानी यादों को ताजा किया है।
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उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक फोटो कोलाज बनाकर शेयर किया है, जिसको शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, "22 जनवरी 1972 में आयोजित FTII के कोंवोकेशन डे के सुहाने पल स्वर्गीय विजय अरोड़ा, किरण कुमार, मंजू बंसल (श्रीमती असरानी) और आपके मित्र, रजा मुराद के साथ। जिन्होंने गाउन पहना है और हाथों में अपने डिप्लोमा के सर्टिफिकेट पकड़े हुए हैं। हम सभी 1969-1971 बैच में साथ पढ़ें हैं। फिल्म एक्टिंग में फर्स्ट डिवीजन में डिप्लोमा पाने के साथ-साथ मुझे अलग से फिल्म 'विलाप' में लीड एक्टर के तौर पर काम करने के लिए एक और सर्टिफिकेट दिया गया था, जिस फिल्म को वहां पर बेस्ट डिप्लोमा फिल्म के रूप में स्क्रीन गोल्ड मेडल मिला था।
अब कहां हैं रजा मुराद के ये FTII के बैचमेट्स?
एक तरफ जहां रजा मुराद जहां फिल्मों में लगातार एक्टिव हैं तो वहीं 'भारत एक खोज' जैसे टीवी शोज और कई फिल्मों में नजर आए अभिनेता विजय अरोड़ा का साल 2007 में निधन हो गया था। इसके अलावा 'धड़कन' में शिल्पा शेट्टी के पिता का किरदार निभाने वाले किरण कुमार भी अब फिल्मों में कम ही नजर आते हैं। 'मंजू बंसल' भी फिल्मी 1973 के बाद फिल्मी दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं।
रजा मुराद के फिल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने 1972 से अभी तक तकरीबन 250 के आसपास फिल्में की हैं, जिनमें हिंदी के अलावा तेलुगु, पंजाबी और अन्य भाषा की फिल्में शामिल हैं। 'राम तेरी गंगा मैली', 'प्रेम रोग', राम लखन, मोहरा और हिना जैसी फिल्मों में उन्होंने विलेन की भूमिका अदा की।

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