Animal के विवाद पर Manoj Bajpayee ने दे दिया ऐसा बयान, कहा- 'दर्शकों पर निर्भर करता है कि...'
Animal Controversy बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी ने रणबीर कपूर और बॉबी देओल की फिल्म एनिमल के विवाद पर बात की है। जोरम अभिनेता ने कहा कि एनिमल बनाना न बनाना ये फैसला निर्माता-निर्देशक का है। दर्शकों को क्या देखना है यह उन पर निर्भर करता है। इन दिनों संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म एनिमल कई वजहों से चर्चा में है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। संदीप रेड्डी वांगा की एनिमल एक ओर बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कमाई कर कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ रही है, दूसरी ओर मूवी को लेकर विवाद भी मचा हुआ है। कारण है- महिलाओं का अपमान, भर-भरकर वॉयलेंस और डायलॉग्स। आलोचक फिल्म की कहानी पर भी सवाल उठा रहे हैं। इन विवादों पर अब हिंदी सिनेमा के मंझे हुए कलाकार मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने रिएक्शन दिया है।
मनोज बाजपेयी को किसी पहचान की जरूरत नहीं है। सत्या मूवी से पॉपुलैरिटी हासिल करने वाले मनोज ने कई शानदार फिल्मों में अपने उम्दा अभिनय का प्रदर्शन किया है। इन दिनों अपनी फिल्म जोरम को लेकर सुर्खियां बटोर रहे अभिनेता ने एनिमल के विवाद (Animal Controversy) पर चुप्पी तोड़ी है।
एनिमल विवाद पर क्या बोले मनोज बाजपेयी?
29वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मनोज बाजपेयी की हालिया फिल्म जोरम (Joram) की स्क्रीनिंग हुई। इस इवेंट के दौरान अभिनेता ने एनिमल के विवाद पर कहा कि इसमें मर्जी लोगों की है कि वह क्या देखना चाहते हैं। यह पूरी तरह दर्शकों पर निर्भर करता है। मनोज बाजपेयी ने कहा-
लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप किसी को यह नहीं कह सकते कि आप इस तरह की फिल्में नहीं बना सकते हैं। यह उनका फैसला है। उन फिल्मों को देखना न देखना दर्शकों पर निर्भर करता है। यहां हर चीज के लिए जगह होनी चाहिए।
हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड कहना अपमान मानते हैं मनोज
मनोज बाजपेयी ने फिल्म फेस्टिवल में यह भी कहा कि उन्हें हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड कहा जाना बिल्कुल पसंद नहीं है। यह एक तरह का अपमान है। बकौल मनोज बाजपेयी,
मुझे यह हिंदी सिनेमा को नीचा दिखाने जैसा लगता है। हिंदी फिल्में हालीवुड की कापी नहीं हैं। वे मौलिक हैं। सत्यजित राय, मृणाल सेन, ऋत्विक घटक जैसे फिल्मकारों ने हालीवुड को फॉलो नहीं किया है। फिल्में बनाने का उनका अपना तरीका था। अमिताभ बच्चन व शाह रुख खान कभी हालीवुड से प्रभावित नहीं हुए। हमारा काम करने का तरीका और मूल्य हॉलीवुड से मेल नहीं खाते हैं।
बाल अधिकारों पर बोले मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी ने बाल अधिकारों के उल्लंघन व युवा पीढ़ी में बढ़ती हताशा जैसे गंभीर सामाजिक विषयों पर भी बातचीत की। उन्होंने कहा-
दिल्ली में थिएटर करने के दौरान मैंने फुटपाथी बच्चों के लिए काम किया है। आज भी जब मैं बाल अधिकारों के उल्लंघन की खबरें सुनता हूं तो काफी व्यथित व भावुक हो जाता हूं और खुद को असहाय महसूस करता हूं। युवा पीढ़ी अपनी विफलता से अधिक माता-पिता की उनकी जुड़ीं उम्मीदों को लेकर चिंतित रहती है। मैं अभिभावकों से यही अनुरोध करूंगा कि वे बच्चों से उनसे अपनी उम्मीदों के बारे में जितना कम बात करेंगे, उनपर दबाव उतना ही कम होगा।
फिल्म का चयन कैसे करते हैं मनोज बाजपेयी?
सत्या, शूल, राजनीति, आरक्षण व गैंग्स आफ वासेपुर जैसी फिल्मों में सशक्त अभिनय की बानगी पेश कर चुके मनोज ने कहा-
मैं फिल्मों का चयन करते समय सकारात्मक अथवा नाकरात्मक चरित्र नहीं देखता। मेरा किरदार चुनौतीपूर्ण होना चाहिए। मैं हर बार दर्शकों को कुछ नया देना चाहता हूं।
मनोज बाजपेयी की फिल्म जोरम 8 दिसंबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म का निर्देशन देवाशीष मखीजा ने किया है।
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