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    Bollywood News: 'द फैमिली मैन' करने से पहले मनोज बाजपेयी ने रखी थीं कई शर्तें, गोवा फिल्म फेस्टिवल में बताई अंदर की बात

    By Deepesh pandeyEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 26 Nov 2023 05:00 AM (IST)

    गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया (इफ्फी) के एक सत्र में इस बारे में मनोज ने बताया कि उन्होंने पहली वेब सीरीज द फैमिली मैन करने से पहले कुछ शर्तें रखी थी। मनोज बताया को लगता कि वेब सीरीज हिंसा ड्रग्स आदि से भरी हैं। लेकिन फिर मुकेश छाबड़ा का कॉल आया। इसके बाद मीटिंग चली फिर तय हुआ कि द फैमिली मैन करनी चाहिए।

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    गोवा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में शिरकत करने पहुंच मनोज वायपेयी। फोटो क्रेडिट - (@IFFIGoa)

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। प्रायोगिक कहानियों का प्लेटफार्म माने जाने वाले डिजिटल प्लेटफार्म पर भी कई बार कहानियां एक फार्मूले के अंतर्गत बनती नजर आती हैं। अपनी पहली वेब सीरीज द फैमिली मैन करने से पहले अभिनेता मनोज बाजपेयी की कुछ ऐसे ही फार्मूले से बचने की शर्तें थी।

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    गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बोले मनोज वाजपेयी

    गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (इफ्फी) के एक सत्र में इस बारे में मनोज ने कहा कि मैंने डिजिटल प्लेटफार्म पर पहली बार वेब सीरीज नार्कोस देखी थी। उसके बाद मैंने वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स देखी। फिर मैंने देखा कि वहां सारी कहानियां हिंसा और ड्रग्स से ही भरी पड़ी हैं।

    आगे बोले कि मैंने वहां पर कुछ शो बिंज वाच किया (सारे एपिसोड एक साथ देखे), कुछ अच्छे कलाकारों और निर्देशकों के परफार्मेंस का आनंद लिया। हालांकि, तब मैंने तय कर लिया था कि अगर मुझे इस प्लेटफार्म पर कुछ भी करना होगा तो उसमें हिंसा या ड्रग्स में से कुछ भी नहीं होगा। उसके कुछ दिनों बाद मुझे कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा का फोन आया।

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    मुकेश छाबड़ा का कॉल आया और फिल्म के बारे में पूछा

    मनोज ने कहा कि मुकेश छाबड़ा ने मुझे कहा कि राज और डीके (निर्देशक जोड़ी राज निदिमोरू और कृष्णा डीके) मुझसे मिलना चाहते हैं। मैं उनसे मिला और पूछा कि कोई फिल्म है? तो उन्होंने कहा, नहीं वेब सीरीज है। फिर मैंने कहा कि यार, वही ड्रग्स और हिंसा वाली कहानी होगी। तो उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं, आपको उनसे मिलना चाहिए। उसके बाद मैं राज एंड डीके से मिला, उन्होंने मुझे संक्षेप में कहानी सुनाई। उसमें मुझे एक जासूस की वास्तविक दुनिया बहुत शानदार लगी। वह मीटिंग सिर्फ 20 मिनट ही चली होगी, मैंने उन्हें कहा कि ठीक है, चलो यह प्रोजेक्ट करते हैं।