ज्योतिषी की वजह से सुपरहिट हुई थी Dev Anand की ये फिल्म, प्रोड्यूसर को चुभ गई थी बीआर चोपड़ा की ये बात
एक फिल्म बनने के पीछे की कहानी भी अपने आप में पूरी की पूरी फिल्मी होती है, ऐसी ही एक कहानी जुड़ी है चेतन आनंद की फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' (Johny Mera Naam) के साथ। लेखक अनंत विजय ने इस फिल्म के बनने के पीछे का किस्सा बताया है।

जागरण न्यूज नेटवर्क। फिल्म 'जानी मेरा नाम' आज से करीब 55 साल पहले (11 नवंबर 1970) प्रदर्शित हुई थी और जबरदस्त हिट रही थी। इस फिल्म से कई बेहद दिलचस्प कहानियां जुड़ी हैं। अभी बिहार विधानसभा के चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav) चल रहे हैं तो सबसे पहले बिहार से जुड़ा एक किस्सा।
रोमांटिक सीन के बीच हुआ था हादसा
शूटिंग के लिए हेमा मालिनी (Hema Malini) और देव आनंद (Dev Anand) नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास चलने वाले रोपवे पर रोमांटिक सीन शूट कर रहे थे। नीचे शूटिंग देखने वालों की भीड़ जमा थी। अचानक रोपवे का केबिन रुक गया। पता चला कि बिजली कट गई है। सीढ़ी लगाकर देव आनंद और हेमा को नीचे उतारा गया। शूटिंग देखने वालों की भीड़ के बीच पुलिस घेरा बनाया।
शूटिंग देखने पहुंच गए थे जयप्रकाश नारायण
जब दूसरा सीन शूट होने लगा तो किसी ने देव आनंद को बताया कि भीड़ के आगे कुर्ता पायजामा पहने एक व्यक्ति खड़े हैं वो जयप्रकाश नारायण (राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी) हैं। वो शूटिंग देखने आए हैं। देव आनंद ने चौंककर उनकी ओर देखा । नजरें मिलीं। जयप्रकाश जी मुस्कुरा रहे थे। फिर दोनों मिले। इस प्रसंग की चर्चा देव आनंद ने आत्मकथा में की है। दोनों के बीच इस फिल्म के दौरान हुई भेंट एक रिश्ते में बदली और देव आनंद ने इमरजेंसी में तमाम दबाव के बावजूद इंदिरा गांधी का समर्थन नहीं किया।
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फ्लॉप फिल्म के बाद प्रोड्यूसर ने ठान ली थी ये बात
ये तो हुई शूटिंग की बात। फिल्म बनाने के निर्णय के पहले भी काफी रोचक घटनाएं हुईं। इस फिल्म के प्रोड्यूसर थे गुलशन राय । इसके पहले उनकी फिल्म फ्लॉप रही थी। उनके मित्र बी. आर. चोपड़ा ने उनको सलाह दी कि वो फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का ही काम किया करें। ये बात गुलशन राय को चुभ गई। उन्होंने तय किया कि वो एक ऐसी फिल्म जरूर बनाएंगे जो हिट हो । गुलशन राय का ज्योतिष में विश्वास था। वो पंजाब के होशियारपुर जाते थे।
ज्योतिषी के कहने पर प्रोड्यूसर ने किया था ये काम
उन दिनों होशियारपुर में कई ज्योतिषी रहते थे, जो महर्षि भृगु की परंपरा से खुद को जोड़ते हुए जन्मकुंडली बनाते थे। उनमें से एक ज्योतिषी से गुलशन राय ने अपनी सफलता के बारे में जानना चाहा। उनको बताया गया कि गोल्डी नाम का एक व्यक्ति आपकी फिल्म बनाएगा तो बहुत हिट होगी। गुलशन राय की भी महर्षि भृगु में आस्था थी । आप याद करें, उनकी फिल्मों में त्रिमूर्ति फिल्म्स के लोगो के पहले भृगु की तस्वीर आती थी ।
होशियारपुर से लौटकर उन्होंने गोल्डी (विजय आनंद) से बात की और फिल्म बनाना तय हुआ। विजय आनंद इस फिल्म का नाम 'दो रूप' रखना चाहते थे। गुलशन राय ज्योतिष और अंक गणना के हिसाब से फिल्म का नाम ज अक्षर से रखना चाहते थे। आखिरकार फिल्म का नाम 'जॉनी मेरा नाम' रखा गया।
ज्योतिषी की वजह से कास्ट हुए थे प्रेमनाथ
फिल्म में प्रेमनाथ का चयन भी ज्योतिष के कारण ही हुआ। प्रेमनाथ लगातार गोल्डी को फिल्म के लिए मना कर रहे थे । एक दिन गोल्डी उनसे मिलने पहुंच गए। अनीता पाध्ये ने लिखा है कि प्रेमनाथ को याद आया कि उनको हिमालय से आए एक ज्योतिषी ने कहा था कि उनको अगर किसी फिल्म का प्रस्ताव मिले तो मना मत करना। उन्होंने चेतन आनंद को स्वीकृति दे दी।
हेमा मालिनी को कास्ट नहीं करना चाहते थे डायरेक्टर
गुलशन राय ने फिल्म की नायिका लिए हेमा का नाम सुझाया। गोल्डी को स्लिम नायिका चाहिए थी । उनको हेमा मालिनी के चलने का अंदाज और दक्षिण भारतीय उच्चारण भी नहीं भा रहा था । जब वो दोनों हेमा से मिले तो गोल्डी की राय बदल गई। हेमा मालिनी फिल्म में नायिका के तौर पर ले ली गईं। हीरो तो देव आनंद थे ही।
भाई बनने के लिए इसलिए राजी हुए थे प्राण
हीरो के भाई की खोज आरंभ हुई। गोल्डी को लगा कि प्राण से बेहतर कोई हो नहीं सकता। वो प्राण से मिलने पहुंचे। प्राण ने अपने अंदाज में डायरी उनके सामने रख दी और कहा कि जो डेट खाली हो ले लो।
इतना सुनते ही गोल्डी वहां से उठे और चले गए क्योंकि उनको पता था कि ये प्राण का मना करने का तरीका था। उधर प्राण को लग रहा था कि गोल्डी मिन्नतें करेंगे। जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो प्राण ने चकित होकर अपने सेक्रेट्री से कहा कि इस आदमी में कुछ तो बात है, इसको डेट्स दे दो।
पद्मा खन्ना का ठीक करवाया था दांत
पद्मा खन्ना को चुने जाने की भी एक रोचक कहानी है। पद्मा जब चेतन आनंद से मिलने आईं तो उस समय डांसर के रोल के लिए संघर्ष कर रही थीं। गोल्डी से जब मिलीं तो उनके दांत पान खाने के कारण लाल थे। बाल बिखरे हुए थे। बगैर टचअप के चेहरा भी पसीने से तरबतर था। चेतन आनंद ने पद्मा खन्ना से कहा कि डांसर का रोल तो दूंगा, लेकिन पहले किसी अच्छे डेंटिस्ट से दांत साफ करवाओ।
वेस्टर्न कपड़े पहनो और पाश्चात्य डांस सीखो। पद्मा खन्ना ने ये सब किया और आप याद करिए 'जानी मेरा नाम' में पद्मा खन्ना पर फिल्माया गीत- 'हुस्न के लाखों रंग, कौन सा रंग देखोगे'। सेंसर बोर्ड ने इस गाने पर आपत्ति भी की थी। जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो जनता ने इसके गानों, फिल्मांकन, संवाद, पात्रों के अभिनय को बेहद पसंद किया । हेमा मालिनी के करियर को नई राह मिली तो देव आनंद भी नई ऊंचाई पर पहुंचे। पद्मा खन्ना को तो पहचान मिली ही मिली। कहना गलत ना होगा कि ये फिल्म जितनी अच्छी थी, उतनी ही दिलचस्प है इसके बनने की कहानी।

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