JFF 2024: 'दर्शकों को हल्के में लेते हैं', Manoj Bajpayee ने बताया किस फॉर्मूले के पीछे दौड़ रहे हैं मेकर्स?
Jagran Film Festival 2024 मनोज बाजपेयी हिंदी सिनेमा के वह अभिनेता हैं जिनकी फिल्में कमर्शियली भले ही ज्यादा सक्सेस न हुई हों लेकिन दर्शकों को बेहद पसंद आती हैं। हाल ही में जागरण फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचें अभिनेता ने अपने फिल्मी सफर पर बातचीत की। इस बीच ही उन्होंने ये भी बताया कि फिल्ममेकर्स आजकल कहानी से ज्यादा बॉक्स ऑफिस के नंबर्स के पीछे दौड़ लगा रहे हैं।
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। लगातार चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने में अभिनेता मनोज बाजपेयी अग्रणी रहे हैं। 13 दिसंबर को उनकी फिल्म डिस्पैच Zee5 पर रिलीज होगी। यह फिल्म खोजी पत्रकार की कार्यप्रणाली और उसकी निजी जिंदगी के आसपास गढ़ी गई है। इस फिल्म में काम करने से लेकर अपने अब तक के सफर, विफलताओं समेत कई मुद्दों पर उन्होंने बात की।
अभिनेता रजत कपूर के साथ बातचीत के दौरान फिल्म सत्या के अभिनेता ने बताया कि वह कहानी से ज्यादा निर्देशक कनु बहल के साथ काम करने का सोच रहे थे। जब डिस्पैच (Despatch) की स्क्रिप्ट पढ़ी तो लगा ये तो थ्रिलर है, फिर कनु को फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल, लेकिन ये एक साधारण थ्रिलर नहीं, बल्कि एक नायक के चरित्र का अध्ययन है। उन्होंने बताया कि इस कहानी में तीन अंतरंग सीन हैं तो मैंने पूछा कि क्या ये जरूरी है तो वो बोले बिल्कुल और इस तरह पूरी फिल्म बन गई।
मनोज बाजपेयी ने कहा उनके साथ वर्कशॉप आसान नहीं
मनोज बाजपेयी ने कनु के साथ फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले उनके वर्कशॉप कल्चर के बारे में बात करते हुए कहा, "कनु चूंकि दिल्ली से हैं और उनके माता-पिता का थिएटर से जुड़ाव है, इसलिए वो उसकी अहमियत समझते हैं। कनु के साथ वर्कशॉप में काम आसान नहीं था। बाकी एक्टर रोते हुए बाहर आते थे पर मेरे साथ ऐसा नहीं था चूंकि जो वो अभ्यास कराते थे उससे मैं परिचित था।
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इस सत्र में मनोज को सुनने के लिए सिने प्रेमियों की भीड़ उमड़ी थी। मनोज ने अपनी करियर की शुरुआत पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने बैंडिट क्वीन से शुरुआत की थी, उसके ठीक पांच वर्ष बात उनको सत्या फिल्म मिली और वो पांच वर्ष बहुत मुश्किल थे। उस समय पता नहीं होता था कि काम मांगने कहां जाना है, तब कास्टिंग डायरेक्टर नहीं होते थे।
Photo Credit- JFF 2024
इस दौरान, रजत ने मनोज से चुटकी लेते हुए पूछा कि मनोज बाजपेयी असल में क्या हैं, जिसपर उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि मैं अब भी वही बेलवा का बच्चा हूं। मेरे लिए पूरी तरह से अपने अंदर से गांव को निकाल पाना मुश्किल है। रजत कपूर ने उनसे उनकी विफलताओं के बारे में पूछा, जिसपर उन्होंने कहा,
"जब मैं ग्रेजुएशन में था तभी से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में जाना चाहता था। इसके लिए तैयारी भी की थी, लेकिन असफलता हाथ लगी। इससे मैं अवसाद में चला गया। फिर मंडी हाउस में थिएटर पकड़ लिया। अब रोजी-रोटी का सवाल था, कुछ तो करना ही था तो सोचा यही करते हैं, लेकिन मुझे लगता है ये अवसाद में जाना सिर्फ समय की बर्बादी है"।
कोई भी फिल्म बुरी लगे तो बेझिझक बताएं - मनोज बाजपेयी
कमर्शियल सिनेमा से लगाव के सवाल पर मनोज ने कहा कि आजकल कमर्शियल सिनेमा के साथ दिक्कत है कि फिल्ममेकर को लगता है कि दर्शक थोड़ी सी भी जटिल या पेचीदा बात नहीं समझ पाएंगे। आजकल ये फिल्म बनाने वाले फॉर्मूला ढूंढते हैं। दर्शकों को हल्के में लेने लगे हैं। उनको लगता है कि ऐसा कर देंगे तो दर्शक हंस देंगे, ये सीन डाल देंगे तो तालियां बजाने लगेंगे। दो बड़े सितारे लेकर आएंगे तो दर्शक सीटी बजाएंगे।
Photo Credit- JFF 2024
उनको ये लगता है कि वह दर्शक को जान गए हैं, इसलिए अब ऐसी फिल्मों में कहानियों पर सोचना बंद हो गया है। ये अब फॉर्मूला और बॉक्स आफिस पर चले गए हैं, इसलिए मैं दर्शकों से कहूंगा कि जब भी किसी इंटरनेट मीडिया पर कोई बॉक्स आफिस की बात करे तो आप सीधा लिख दो कि आपको फिल्म कैसी लगी। बुरी लगे तो बेझिझक लिख दीजिए कि बुरी लगी, ये नहीं करेंगे तो चीजें नहीं बदलेंगी।
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