कहानी हिट, गाने सुपरहिट... 60 साल पुरानी देशभक्ति फिल्म का दबदबा है कायम, IMDb से मिली 8.2 रेटिंग
यूं तो भारतीय सिनेमा में देशभक्ति से भरी कई बेहतरीन फिल्में बनी हैं लेकिन कुछ फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में ऐसी जगह बनाई जिसकी छाप आज भी मिटाई नहीं जा सकती है। 60 साल पहले हिंदी सिनेमा में एक ऐसी ही फिल्म आई थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा ने बेहतरीन देशभक्ति वाली फिल्मों के जरिए न केवल इतिहास के पन्ने में सुनहरे अक्षरों में दर्ज स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी को पर्दे पर उतारा है, बल्कि सिनेमाघरों में दर्शकों के अंदर देशभक्ति की भावना भी जगाई है। जब भी महान देशभक्ति फिल्मों की बात की जाती है तो उस लिस्ट में 60 साल पहले रिलीज हुई एक फिल्म का जिक्र जरूर होता है।
इस फिल्म ने एक दिग्गज अभिनेता के करियर को न केवल एक नई ऊंचाई दी, बल्कि देशभक्ति वाली फिल्मों के लिए सिनेमा जगत के दरवाजे हमेशा-हमेशा के लिए खोल दिए। यह फिल्म थी 1965 में रिलीज हुई शहीद (Shaheed)।
स्वतंत्रता सेनानी के बलिदान की कहानी
2 घंटे 28 मिनट की फिल्म शहीद का निर्देशन एस राम शर्मा ने किया था और इसके निर्माता केवल कश्यप थे। म्यूजिक का जिम्मा प्रेम धवन के पास था और फिल्म के गानों को मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर जैसे सधे हुए गायक-गायिका ने आवाज दी। यह महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन पर आधारित एक शक्तिशाली और भावनात्मक कहानी है। इस फिल्म ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान को इतनी ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ दर्शाया कि दर्शक आज भी उसे देखकर भावुक हो जाते हैं।
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Photo Credit - IMDb
मनोज कुमार ने एक्टिंग में दिखाया था दम
मनोज कुमार ने भगत सिंह के किरदार में जान फूंक दी थी। उनकी एक्टिंग इतनी जबरदस्त थी कि हर कोई उनमें असली भगत सिंह की झलक देखता था। जब सितारे रोमांटिक और एक्शन मूवीज कर रहे थे, उस वक्त मनोज कुमार ने देशभक्ति वाली फिल्म करके हर किसी को चौंका दिया। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और मेकर्स की जेब भी पैसों से भर दी। फिल्म की कहानी, किरदार और डायरेक्शन ही नहीं, बल्कि इसके गाने आज भी लोगों की जुबां पर होते हैं और हर साल स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर बजाए जाते हैं।
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शहीद के गाने
- ऐ वतन ऐ वतन
- ओ मेरा रंग दे बसंती चोला
- जोगी हम तो लुट गए
- वतन पे मरने वाले
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी ऐतिहासिक सटीकता और गहन रिसर्च है। निर्देशक ने यह सुनिश्चित किया था कि फिल्म में दिखाए गए हर छोटी-बड़ी घटना, डायलॉग और सीन भगत सिंह के जीवन और विचारों के अनुरूप हों। फिल्म के डायलॉग आज भी लोगों को याद हैं और प्रेरणा देते हैं। 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' और 'इंकलाब जिंदाबाद' जैसे नारे आज भी हमें गर्व और जोश से भर देते हैं। अगर आप 8.2 IMDb रेटिंग पाने वाली इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो यह ओटीटी प्लेटफॉर्म Zee5 पर मौजूद है।
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