बगैर सबूत के बोफोर्स घोटाले में घसीटा गया था Amitabh Bachchan का नाम, सालों बाद चर्चा में आया विवाद
सिनेमा जगत के महानायक अमिताभ बच्चन किसी अलग पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनके साथ बोफोर्स घोटाले का विवाद भी काफी चर्चित रहा है। इस पर अब पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने बिग बी के खिलाफ बोफोर्स घोटाले के मनगढ़ंत आरोपों को उजागर किया है। दुर्भावनापूर्ण अभियान के तहत उन्होंने इस मामले पर प्रकाश डाला है और हैरान करने वाला खुलासा किया है।
नई दिल्ली, आइएएनएस : 'बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को बोफोर्स घोटाले में फंसाने के लिए एक साजिश रची गई थी। इसमें हथियार बनाने वाली दिग्गज स्वीडिश कंपनी से रिश्वत लेने के लिए एक गुप्त स्विस खाते से उनका नाम जोड़ा गया था। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि उन्होंने कोई पैसा लिया था। बात बहुत बिगड़ चुकी थी और जब तक बात बनती, तब तक बहुत नुकसान हो चुका था।' इन तथ्यों को पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने उजागर किया है।
बिग बी से जुड़े बोफोर्स घोटाले पर बड़ा बयान
आईएएनस की खबर के अनुसार एक प्रतिष्ठित संवाद एजेंसी के साथ साक्षात्कार में चित्रा ने कहा कि 'दुर्भावनापूर्ण अभियान' के तहत एक मनगढ़ंत रिपोर्ट के जरिए अमिताभ बच्चन को इस विवाद में घसीटा गया। चित्रा ने अपनी किताब - 'बोफोर्स गेट : ए जर्नलिस्ट्स परसूट आफ ट्रूथ' में भी इस प्रकरण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि बच्चन सरनेम एक बड़ा नाम है।
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फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम
उन्होंने यह भी बताया कि घोटाले में बच्चन परिवार (बिग बी और उनके भाई अजिताभ) का नाम सामने आने के बाद उनकी संलिप्तता का सबूत खोजने के लिए कैसे उनको दबाव का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी किताब में तत्कालीन सरकार और मीडिया के एक वर्ग पर अमिताभ बच्चन को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। अमिताभ उस समय इलाहाबाद से लोकसभा के सदस्य थे।चित्रा ने छठे खाते (अकाउंट) का उल्लेख करते हुए बताया कि कोई छठा खाता नहीं था। यह अस्तित्व में ही नहीं था।
नहीं उछाल सकते किसी का नाम
इसे भारत सरकार के अधिकारियों ने मनगढ़ंत रूप से बनाया था। चित्रा ने कुछ पत्रकारों और तत्कालीन शीर्ष कानूनी अधिकारियों को भी ''हल्की बातें करने की आदत'' के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ''एक पत्रकार के तौर पर आप हल्की बात (लूज टाक) नहीं कर सकते। अगर आप एक प्रतिष्ठित पत्रकार या प्रतिष्ठित अधिकारी हैं तो आप कतई ऐसी बातें नहीं कर सकते।
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आपकी बातों में गंभीरता अवश्य होनी चाहिए। आप किसी का भी नाम यूं ही नहीं उछाल सकते। उन्होंने कहा कि जब आप यह जानते हैं कि भारत के सालिसिटर जनरल का कार्यालय या सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के अधिकारी स्विस अधिकारियों से मिलते हैं तो आप हल्की बात नहीं करते। हर शब्द कीमती है, आप जो भी कहें, आपको सावधान रहना चाहिए।''
अपनी किताब में चित्रा ने लिखा है कि एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल (जिसमें कई शीर्ष अधिकारी शामिल थे) ने बोफोर्स प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में बच्चन भाइयों और प्रधानमंत्री के कुछ इतालवी रिश्तेदारों के नामों का जिक्र किया था।
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