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    विधानसभा इलेक्शनः हरदा और किशोर में तनातनी अभी जारी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 25 Jan 2017 04:00 AM (IST)

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में सीएम हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस संगठन के मुखिया किशोर उपाध्याय के बीच तनातनी खत्म करने की कोशिशें फिलहाल रंग लाती नहीं दिख रहीं।

    विधानसभा इलेक्शनः हरदा और किशोर में तनातनी अभी जारी

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची में सरकार के मुखिया हरीश रावत और प्रदेश संगठन के मुखिया किशोर उपाध्याय के बीच तनातनी खत्म करने की कोशिशें फिलहाल रंग लाती नहीं दिख रहीं। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सहसपुर सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पार्टी मुख्यालय में ही जिसतरह से दो दिन से बवाल मचा हुआ है, उससे संशय को नए सिरे से जन्म दे दिया है।

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    किशोर के समर्थकों ने भी टिहरी से टिकट की मांग करते हुए धरना जारी रख टिकट बांटने में अनदेखी को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। मुख्यालय में बवाल और प्रदेश अध्यक्ष किशोर के विरोध और समर्थन में बवाल के कुछ खास सियासी मायने हैं।

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    कांग्रेस के 63 प्रत्याशियों की पहली सूची घोषित होने के बाद ही टिकट कटने से निराश दावेदारों ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में बीते रोज जमकर हंगामा काटा था। ये सिलसिला अगले दिन सोमवार को भी थम नहीं सका है।

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    खास बात ये है कि कांग्रेस मुख्यालय पर हंगामा करने वालों के निशाने पर कोई और नहीं, बल्कि खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय हैं। बतौर अध्यक्ष किशोर के ऊपर प्रदेशभर में पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का जिम्मा है। इस जिम्मेदारी का हवाला देकर किशोर टिकट पर अपनी दावेदारी को तूल देने से बचते दिख रहे थे। हालांकि, पीडीएफ को लेकर किशोर की नाराजगी काफी पहले से बनी हुई है।

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    किशोर को सियासी जमीन की चिंता

    पीडीएफ कोटे से मंत्री और निर्दलीय विधायक दिनेश धनै टिहरी से ही निर्दलीय के तौर पर खम ठोक रहे हैं। अपनी सियासी जमीन बचाने को लेकर चिंतित किशोर उपाध्याय पार्टी के भीतर ही पीडीएफ की वजह से संकट से जूझ रहे पार्टी नेताओं की आवाज भी बने हुए हैं।

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    दूसरी तरफ, पीडीएफ ने जिसतरह संकट के मौके पर कांग्रेस सरकार का साथ निभाया, उससे पार्टी और सरकार दोनों के सामने ही उसे साथ लेकर चलने का दबाव भी है। मुख्यमंत्री हरीश रावत को इसी दबाव के चलते पीडीएफ के प्रति नरम हैं तो संगठन के गुस्से को भी उन्हें झेलना पड़ रहा है।

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    समर्थकों को साजिश का अंदेशा

    टिकटों के वितरण में इस पेच को सुलझाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सहसपुर से टिकट देने का बीच का रास्ता निकाला गया, लेकिन इसे लेकर इस सीट के दावेदारों में भड़के असंतोष ने जाहिर कर दिया है कि सरकार और संगठन के बीच खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है।

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    टिकट के दावेदार जहां सहसपुर में किशोर उपाध्याय की उम्मीदवारी को लेकर मुख्यमंत्री और किशोर दोनों पर ही निशाना साध रहे हैं, वहीं किशोर समर्थकों को इसमें गहरी साजिश भी नजर आ रही है। उनका मानना है कि किशोर के विरोध को जानबूझकर हवा दी जा रही है। इसे लेकर समर्थकों के निशाने पर एक बार फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं।

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    पीडीएफ से रिश्ते का है सवाल

    टिहरी जिले से किशोर के समर्थकों ने उन्हें टिहरी सीट पर ही उम्मीदवार बनाने की मांग को लेकर प्रदेश मुख्यालय में धरना शुरू कर दिया है। किशोर समर्थकों की इस मुहिम को टिकट वितरण में सर्वेसर्वा बने हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत पर दबाव बनाए रखने की रणनीति माना जा रहा है, ताकि असंतोष को थामने की कवायद मुख्यमंत्री के स्तर पर हो।

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    मुख्यमंत्री असंतुष्टों को सिर्फ साधे ही नहीं, वरन किशोर की जीत का रास्ता तैयार करने में भी ताकत झोंकें। ऐसा नहीं होने की स्थिति में टिहरी जिले की सियासत और पीडीएफ के साथ रिश्ते पर इसका असर पड़े भी नहीं रह सकता। पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो पीडीएफ के साथ रिश्तों के चलते सियासी जमीन कुर्बान करने की कीमत आखिरकार हरदा को ही चुकानी होगी।

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