उत्तराखंड इलेक्शन 2017: जंग ए मैदान में अब स्टार वार
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में दिलचस्प बात यह कि सूबे में व्यापक जनाधार रखने वाली दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में भाजपा स्टार प्रचारक के लिहाज से खासी समृद्ध नजर आ रही है।
देहरादून, [विकास धूलिया]: देवभूमि उत्तराखंड में हर पांच साल बाद होने वाले चुनावी समर के लिए सेनाएं तैयार हैं, सियासी बिसात पर मोहरे चल दिए गए हैं, महारथी जीत की रणनीति पर मंथन कर रहे हैं और सेनापति तलाश रहे हैं विरोधियों को चित करने के लिए कारगर सियासी शस्त्र।
इस सबके बीच एक सियासी हथियार ऐसा भी है जो हर चुनाव में प्रत्येक सियासी पार्टी आजमाती है और इस बार भी इसका सहारा लिया जाएगा, जीत सुनिश्चित करने को माहौल तैयार करने में। जी हां, यहां बात हो रही है प्रचार अभियान में शामिल होने वाले स्टार प्रचारकों की।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड चुनाव: तो उत्तराखंड में इस बार नहीं होगा पैराशूट सीएम
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में दिलचस्प बात यह कि सूबे में व्यापक जनाधार रखने वाली दोनों राष्ट्रीय पार्टियों, भाजपा और कांग्रेस में से भाजपा स्टार प्रचारक के लिहाज से खासी समृद्ध नजर आ रही है। भाजपा के पास राष्ट्रीय स्तर से लेकर सूबे तक में मास अपील वाले नेताओं की पूरी फौज है, जबकि कांग्रेस के पास दोनों जगह चुनिंदा ही चेहरे हैं।
सियासी सूरमा से सेलेब्रिटीज तक
उत्तराखंड में चौथे विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। 27 जनवरी तक नामांकन होंगे और उसके बाद आरंभ हो जाएगी सूबे में सत्ता कब्जाने की सियासी जंग। एक-दूसरे से लोहा लेने के लिए यूं तो सियासी पार्टियों के पास तमाम हथियार होते हैं, लेकिन एक ऐसा भी हथियार है, जो कॉमन होता है, स्टार प्रचारक। अब जबकि सूबे में सियासी पारा उछाल मारने लगा है, तो जल्द दीदार होंगे सियासी स्टार प्रचारकों के।
यह भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव: भीमलाल को मिला वफादारी का तोहफा
इनमें सियासत के बड़े-बड़े सूरमा तो शामिल होंगे ही, सिनेमा और टीवी की कुछ सेलेब्रिटीज भी अपनी पसंदीदा पार्टी या प्रत्याशी के लिए मुफीद माहौल बनाने के लिए मतदाताओं तक पहुंचेंगे। अब उत्तराखंड में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के ही बीच होना है, तो लाजिमी तौर पर इन्हीं दो पार्टियों के लिए ज्यादा स्टार प्रचारक मोर्चा संभालेंगे।
दिल है कि मानता नहीं
हालांकि सोशल मीडिया के इस तेज दौड़ते जमाने में वोटर इतना भी मासूम नहीं कि स्टार प्रचारकों की अपील पर सब कुछ न्यौछावर कर अपना कीमती वोट यूं ही दे डाले, मगर सियासी पार्टियों का दिल है कि मानता ही नहीं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड चुनाव 2017: वफा से ज्यादा ताकत पर खेला दांव
यही वजह है कि वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए सियासी पार्टियां अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहतीं। यह बात दीगर है कि वोटर इन हथकंडों को बखूबी समझता है मगर फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है।
चुनाव में सियासी पार्टियों द्वारा कई तरह के स्टार प्रचारक मैदान में उतारे जाते हैं। इनमें तो कुछ ऐसे होते हैं, जिनकी अपील सर्वव्यापी होती है, यानी इन्हें राज्य के किसी भी हिस्से में वोटर को रिझाने के लिए ले जाया जा सकता है। इनमें राष्ट्रीय नेताओं के साथ फिल्मी और कुछ हद तक खेलों की दुनिया की चर्चित हस्तियों को शामिल किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड विधासभा चुनावः दोनों मंडलों में खम ठोक दम दिखाएंगे सीएम
चुनाव खर्च से बचने की जुगत
एक अन्य तरह के स्टार प्रचारक वे होते हैं, जिनका प्रभाव किसी क्षेत्र या तबका विशेष पर माना जाता है। एक किस्म प्रदेश स्तरीय स्टार प्रचारकों की होती है, जिनकी पकड़ वोटर पर ठीकठाक होती है। चुनावी राज्य में कब, कहां और कौन स्टार प्रचारक जाएगा, इसका निर्धारण पार्टी के प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व मिलकर करते हैं।
दरअसल, चुनाव लडऩे वालों के लिए खर्च की अधिकतम सीमा निर्धारित होती है। जैसे, इस समय विधानसभा चुनाव के लिए यह सीमा 28 लाख रुपये तय है। अब स्टार प्रचारकों के आवागमन पर ही इतनी भारी-भरकम धनराशि खर्च हो जाती है कि अगर इन्हें संबंधित प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड़ दिया जाए तो शायद वह चुनाव ही न लड़ पाए।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड चुनाव: भुवनचंद्र खंडूड़ी की छवि का लाभ मिलेगा सूबे को
इसके लिए सियासी पार्टियां निर्वाचन आयोग में 40 स्टार प्रचारकों की सूची सौंपती हैं और इनका खर्च पार्टी के हिस्से आता है, प्रत्याशी के नहीं। अमूमन इसमें आधे केंद्रीय व आधे सूबाई स्टार प्रचारक होते हैं।
भाजपा के पास चेहरे ही चेहरे
अब अगर पार्टियों के लिहाज से विश्लेषण किया जाए तो इस मामले में भाजपा अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निश्चित रूप से पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए सबसे बड़े स्टार प्रचारक रहेंगे।
हालांकि भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे बड़े सूबे सियासी लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं कि उत्तराखंड को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया जाए। लिहाजा तय है कि प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अवश्य उत्तराखंड में कुछ चुनावी रैलियां करेंगे।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड इलेक्शन: टिकट न मिलने पर सतपाल समर्थकों ने किया प्रदर्शन
भाजपा के केंद्रीय स्टार प्रचारकों में प्रदेश चुनाव प्रभारी के नाते जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान के नाम भी होंगे। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, उमाभारती, मनोहर पर्रीकर, स्मृति ईरानी मुख्य स्टार प्रचारक हो सकते हैं।
मनोज तिवारी, शहनवाज, मुख्तार अब्बास नकवी जैसे चर्चित चेहरों को भी भाजपा मैदान में उतार सकती है। सूबाई स्टार प्रचारकों में भाजपा के चार पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, डॉ. हरक सिंह रावत व यशपाल आर्य के नाम लिए जा सकते हैं।
कांग्रेस गांधी परिवार पर निर्भर
जहां तक कांग्रेस का सवाल है, पार्टी स्टार प्रचारकों की जमात के मामले में भाजपा से पीछे ही नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा पर ही पार्टी का पूरा दारोमदार रहेगा।
हालांकि इनके अलावा गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी जैसे चेहरों को कांग्रेस उत्तराखंड में चुनाव प्रचार का जिम्मा दे सकती है। प्रदेश में तो कांग्रेस के एकमात्र स्टार प्रचारक स्वयं मुख्यमंत्री हरीश रावत ही कहे जा सकते हैं।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड चुनाव: भाजपा में बुझ नहीं रही बगावत की आग
वैसे मुख्यमंत्री होने के नाते यह स्वाभाविक है मगर सच यह भी है कि इस वक्त कांग्रेस के पास दूसरा कोई ऐसा चेहरा है भी नहीं, जिसकी स्वीकार्यता पूरे प्रदेश में हो। पिछले दो साल में पार्टी के तमाम बड़े क्षत्रप कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
हां, कुछ हद तक कैबिनेट मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश, प्रीतम सिंह, सुरेंद्र सिंह नेगी, स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल भी क्षेत्र विशेष में प्रभावी साबित हो सकते हैं।
उत्तराखंंड चुनाव से संबंधित खबरों केे लिए यहां क्लिक करेंं--
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।