चुनाव 2017: जवाहरबाग कांड के बहाने भाजपा-बसपा का सपा पर निशाना
सीतापुर में भाजपा और बसपा जवाहरबाग कांड का मुद्दा उछालकर अखिलेश सरकार को कानून व्यवस्था के नाम घेर रहे हैं।
सीतापुर (जेएनएन)। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा इन दिनों सियासी शूरमाओं के जुबां पर है। कान्हा की नगरी का नाम कृष्ण से जोड़कर नहीं बल्कि जवाहरबाग कांड के खलनायक रामवृक्ष यादव से जोड़ा जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंच से जवाहरबाग कांड का मुद्दा उछालकर अखिलेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरा जा रहा है। रामवृक्ष को चाचा का करीबी बताकर सपा की सह पर समानांतर प्रशासन को उखाडऩे में पुलिस के जवानों को शहादत का मुद्दा भी उछाला जा रहा है।
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जवाहरबाग कांड के खलनायक रामवृक्ष यादव का सीतापुर से खासा रिश्ता रह चुका है। उसकी सेना में सीतापुर के दर्जनों लोग शामिल थे। प्रशासन की गोलीबारी में महोली तहसील के कुसैला गांव की नीलम व उसके पति नानक चंद उर्फ शिवओम ढेर हुए थे। साल 2013 में महोली के मेला मैदान में रामवृक्ष ने जनसभा करके नारे भी लगवाए थे। इसके बाद से रामवृक्ष के स्वाधीन भारत संगठन की जड़े सीतापुर में गहरा गई थीं। यही वजह है कि मायावती ने जीआईसी मैदान पर जवाहरबाग कांड का मुद्दा उछालकर सपा सरकार को कानून व्यवस्था के मामले में खड़ा किया।
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राजा कॉलेज मैदान पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जवाहरबाग कांड के आरोपी रामवृक्ष का जिक्र मंच से किया था। उन्होंने कानून व्यवस्था की हालत बयां करते समय रामवृक्ष का नाम उछालकर चाचा का बगलगीर करार दिया था। इतना ही नहीं नुक्कड़ मीटिंगों व रैलियों में संबोधन के दौरान जवाहरबाग कांड का जिक्र अक्सर ही फिजां में गूंज जाता है। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अखिलेश सरकार को घेरने में भाजपा व बसपा के नेताओं ने चुनावी मुद्दा बना लिया है।
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