UP election result: हार पर मंथन के लिए अखिलेश और शिवपाल साथ-साथ
चुनावी हार के बाद समाजवादी कुनबे की दूरी खत्म करने का प्रयास शुरू है। आज विधायकों की बैठक में अखिलेश के साथ शिवपाल की मौजूदगी इसका संकेत है।
By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 16 Mar 2017 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 16 Mar 2017 07:54 PM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। तीन साल में दूसरी बड़ी चुनावी हार के बाद समाजवादी कुनबे की दूरी खत्म करने का प्रयास शुरू हो गया है। आज नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में अखिलेश यादव के साथ शिवपाल यादव की मंच पर मौजूदगी को इस दिशा का संकेत माना जा रहा है। विधायकों ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, सचेतक चुनने का अधिकार अखिलेश यादव को सौंपा है। यह भी कहा कि अब नए जोश-पूरे होश से 2019 की तैयारी शुरू करनी है।
17वीं विधानसभा के लिए निर्वाचित सपा के सभी 47 विधायकों की बैठक सुबह 11 बजे पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर बुलाई गई थी। मगर अखिलेश यादव काफी पहले कार्यालय पहुंच गए। साथ में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम थे। निर्धारित समय पर आजम खां पहुंचे और सीधे सभागार की ओर बढ़े। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अखिलेश यादव के कक्ष में भेजा। विधायकों के लोहिया सभागार में जुटने की जानकारी के बाद अखिलेश-आजम सभागार में पहुंचे। इस बीच पूर्व मंत्री शिवपाल यादव आकर विधायकों की पंक्ति में बैठने लगे। आजम ने हाथ पकड़कर उन्हें मंच पर लाये। यह चार माह बाद वह मौका था, जब अखिलेश-शिवपाल एक मंच पर थे। चुनाव में पराजय की चर्चा के दौरान विधायकों ने कहा कि हम ध्रुवीकरण नहीं रोक पाये। सपा का बूथ प्रबंधन मजबूत नहीं था। भितरघात का भी जिक्र हुआ। पार्टी के मुख्य जनाधार में सेंध लगने की चर्चा हुई। आजम खां ने कहा कि पुरानी बातें भुलाकर संघर्ष करने का समय है। उन्होंने विधायकों में जोश भरने का प्रयास किया। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि अब पीछे मुड़कर नहीं देखना है। नए इरादों के साथ लडऩा है। नए जोश व पूरे होश के साथ संघर्ष कर 2019 की तैयारी करनी है। जनता के बीच रहना है। संघर्ष के बल पर फिर सत्ता में लौटेंगे। विधायकों ने अपनी-अपनी बात रखी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचेतक नियुक्त करने का अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अखिलेश यादव को सौंप दिया। कहा कि वह उनके नेतृत्व में संघर्ष के लिए तैयार हैं। यादव ने कहा कि इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
ईवीएम व मीडिया की भूमिका पर चर्चा
इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ पर चर्चा हुई। बताया गया कि जिन बूथों में वीवीपैड (मत जिसे दिया गया, उसे मिला या नहीं यह दिखता है) थे, वहां भाजपा को बहुत कम वोट मिले, मगर जहां नहीं थे, वहां अप्रत्याशित मत मिले। यह गड़बड़ी का इशारा करता है। बैलेट पेपर पर मतदान कराने की मांग उठाने की बात कही गई। विधायकों ने खुलकर इसका समर्थन किया। मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि चारो ओर से गड़बड़ी की बात सामने आ रही तो चुनाव आयोग व केन्द्र सरकार को जांच करानी चाहिए। मीडिया की भूमिका पर निशाना साधा, कहा गया कि कतिपय मीडिया हाउस भाजपा कार्यकर्ता की भूमिका में थे। इन लोगों ने सपा विरुद्ध नकारात्मक व भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया। इससे सीखने की जरूरत है।
बेटे के साथ आजम आए मुलायम नहीं पहुंचे
सपा के संस्थापक सदस्य आजम खां स्वार से विधायक बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां को लेकर प्रदेश कार्यालय पहुंचे, इसमें खास बात यह थी कि उन्होने अपनी गाड़ी की अगली सीट पर बेटे को बैठाया, जबकि उनके बगल की पिछली सीट खाली थी। सपाई इस तरीके को अनुशासन से जोड़कर चर्चा करते रहे। कई कार्यकर्ता समाजवादी परिवार की कलह से इस अनुशासन को जोड़ते सुनाई दिये। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुलाकात व चुनावी चर्चा के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें संरक्षक मुलायम सिंह यादव के हिस्सा लेने की उम्मीद थी, मगर वह एक दिन पहले पहले संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेने की बात कहकर दिल्ली चले गए। पार्टी के लोगों के कहना है कि यह विधायकों के साथ परिचय के लिए बैठक थी, इसमें संरक्षक को आना ही नहीं था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में पराजित प्रत्याशियों की 18 मार्च को बैठक बुलाई है। इसमें हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। प्रत्याशियों को वोटों का बूथ वार ब्यौरा लेकर आने को कहा गया है। प्रत्याशियों से उनकी हार की वजह जानने के बाद 19 मार्च को जिला व नगर अध्यक्षों के साथ चुनावी हार की समीक्षा होगी, जिसमें अखिलेश यादव मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री तय होने पर सपा बनाएगी नेता प्रतिपक्ष
समाजवादी पार्टी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री का नाम तय होने का इंतजार करेगी। विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी होने के चलते नेता प्रतिपक्ष समाजवादी पार्टी का होगा। इस पद पर नियुक्ति का अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपा गया है। इस पद के लिए आजम खां, राम गोविंद चौधरी मुख्य दावेदार है। ऐसे में किसी को नियुक्त करने से पहले पार्टी सत्ता संभालने जा रही भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का नाम तय होने का इंतजार करेगी। उसी के अनुरूप वह अपनी रणनीति पर कार्य करेगी। इसके बाद विधानसभा में सपा के अन्य पदाधिकारियों का चयन होगा। अखिलेश, आजम, शिवपाल, रामगोविंद व नरेश उत्तम के बीच बंद कमरे में भी कुछ देर बात हुई। इस बातचीत का रहस्योद्घाटन नहीं हो सका, मगर कहा जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष व मुख्य सचेतक के नाम को लेकर बंद कमरे में चर्चा हुई है।
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